Saturday, November 23, 2024
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आज के बदले परिवेश में भारत -भूटान संबंध

वैश्विक स्तर पर भारत-भूटान संबंध एक मजबूत, समन्वित ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों की प्रधानता है। दोनों देशों के मध्य मजबूत स्थिर एवं घनिष्ठ सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, जो उनके वैदेशिक संबंधों से परिलक्षित होता है। सन 1949 में भारत भूटान के बीच पारस्परिक मैत्री संबंध की स्थापना हुई, जो उनके बीच के सौहार्द और पारस्परिक संबंधों का उन्नयन करता है और दोनों देशों के पारस्परिक संबंधों को मजबूती प्रदान करता है और जिसमें भारत के द्वारा भूटान के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को उन्नयन करता है। भारत भूटान के जल विद्युत परियोजनाओं, व्यापार और बुनियादी ढांचे के विकास पर आपसी सहयोग और अनुदान प्रदान करता है।

भूटान वैश्विक स्तर का वह सभ्य राष्ट्र-राज्य है जिसने अपने देश में विकास के आयाम को सकल राष्ट्रीय खुशहाली (GNH)को जारी करता है जो वैश्विक राष्ट्रों के लिए अनुपम मॉडल है और वैश्विक समुदाय को अपने ओर आकर्षित करता है। भारत के आत्मीय सहयोग ने भूटान के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। दोनों देशों ने क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर भूमंडलीय तापन, पर्यावरण प्रदूषण, दक्षिण के देश एवं वैश्विक बंधुता के उन्नयन के लिए आवाज़ उठाएं हैं। भारत और भूटान के बीच संबंधों का आधारशिला मजबूत ऐतिहासिक, उच्च कोटि के वैदेशिक संबंध, मजबूत आर्थिक और रचनात्मक सांस्कृतिक संबंध हैं। दोनों देशों ने आपसी व्यापार ,सुरक्षा और विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर घनिष्ठ मित्रता और समन्वय बनाए रखा है। दोनों देश के मध्य क्षेत्रीय स्तर और वैश्विक स्तर पर प्रत्येक आयाम एवं मुद्दे पर एकरूपता है। भारत और भूटान के मध्य संबंधों का प्रगाढ़ता सामाजिक मूल्य और पारस्परिक हितों का समन्वित प्रयास है।

भारत और भूटान के बीच संबंधों में गहरी ऐतिहासिक, पंथिक, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक कारक है। दोनों देशों ने पारस्परिक सम्मान और आत्मीय सहयोग में निहित एकता में निरंतर मैत्रीपूर्ण और सफल राजनीतिक संबंध को बनाए रखे हैं। विगत वर्षों से दोनों देशों के मध्य संबंधों का आधार व्यापार, रक्षा और विकास जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित हुआ है, जो दोनों देशों की सामाजिक और आर्थिक प्रकल्पों के मजबूती में योग दे रहा है। भूटान एक हिमालय का राज्य है जो पहाड़ों के मध्य घाटियों में बसा है। इसका क्षेत्रफल 18000 वर्ग मील और संप्रति आबादी 7.99 लाख है। भारत और भूटान आपसी आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों की उपादेयता के कारण एक दूसरे के अति निकस्थ मित्र हैं ।ऐतिहासिक मूल्य, परंपरागत वेशभूषा और समान विचारधारा के कारण दोनों देशों के बीच संकेंद्रित आपसी संबंध है। आर्थिक स्तर पर भी दोनों के बीच सामान्य संबंध है और और एक दूसरे के उद्यमों में निवेश करते हैं और इन उपादानों के कारण दोनों एक दूसरे के विकास आयाम में सहयोग करते हैं ।

भारत और भूटान के मध्य पारस्परिक संधि दोनों के मध्य राजनीतिक, आर्थिक और राजनयिक संबंधों के उन्नयन में महती उपादेयता प्रदान करता है। इन संबंधों के माधुर्य में दोनों के मध्य की संधि उत्तरदाई आधारशिला है, जो एक दूसरे को सहयोग, शांति, पारस्परिक मित्रता, सतत संबंधित विश्वास और पारस्परिक समर्थन पर बल देती है। दोनों देश बुनियादी ढांचे के उन्नयन, पर्यावरण संवर्धन, मजबूत स्थिर और टिकाऊ साझेदारी के उन्नयन पर सहयोगात्मक कार्य कर रहे हैं। अतीत से ही भारत और भूटान ने परस्पर स्थाई, स्थिर और भरोसेमंद मित्रता को बनाए रखने का आश्वासन प्रदान किया था। इस परंपरागत मूल्यों के द्वारा सामान्य संबंध बनाए रखेंगे। भारत सामरिक उपादेयता के हिमालय राज्य भूटान के साथ मिलकर परंपरागत मित्रता बनाए रखना चाहता है। इस मित्रता के कारण भारत का हिमालय क्षेत्र में प्रभाव कायम रह सके। वैश्विक स्तर पर भूटान का अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन के साथ कोई विशेष संबंध नहीं है, जबकि भारत के साथ सामरिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्तर पर विशेष संबंध है जिसका उपयोग भारत चीन को घेराबंदी और प्रति सामरिक स्तर पर करना चाहता है।

विगत वर्ष चीन डोकलाम में भूटान से सटे सीमा पर सड़क बन रहा था जिसको भारतीय सेना ने रोका। इस प्रकरण में चीन की मांग रही है कि भूटान चीन को 269 वर्ग किलोमीटर का जमीन दे दे। डोकोलाम से सटे उसे क्षेत्र को जिसका इस्तेमाल चीन की सेना भारत के खिलाफ सामरिक मजबूती के लिए कर सकती है ।भूटान ने चीन के इस मांग को अस्वीकृत कर दिया, जिससे दोनों राष्ट्र राज्यों के मध्य तनाव उत्पन्न हुआ, लेकिन इस मुद्दे पर भूटान ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा एवं भारत के राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा था। भूटान सन 1968 में भारत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किया था। भूटान ने सन् 1971 में भारत के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन गया था। भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए भूटान का खुलकर समर्थन है। भारत और भूटान के बीच 600 मेगावाट के पन बिजली विद्युत परियोजना पर पारस्परिक समझौता पर हस्ताक्षर है।

1972 के पारगमन समझौते के अंतर्गत भारत और भूटान के बीच कर मुक्त व्यापार होता है। 2017 में भारत भूटान के मध्य 8990 करोड रुपए का द्विपक्षीय व्यापार किया था। व्यापार में बढ़ोतरी के साथ दक्षिण एशिया में भूटान भारत का बड़ा व्यापारिक भागीदार बन चुका है। भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात एवं निर्यात में 80% से अधिक का योगदान है। 8 नवंबर, 2023 को भारत और भूटान ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए कई पहलुओं की घोषणा किए हैं। भारत ने भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं, उसकी पन बिजली परियोजनाओं और प्रमुख बुनियादी ढांचे परियोजनाओं को वित्त पोषण किया है।

भारत भूटान संबंधों का प्रधान कारक आर्थिक संबंध रहे हैं। भारत भूटान का प्रमुख विकास भागीदार रहा है, बल्कि इसका प्रमुख व्यापार भागीदार भी है। भारत और भूटान के बीच परस्पर मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का उद्देश्य सदियों पुराने आपसी संबंधों को और मजबूत करना और दोनों देशों के पारस्परिक लाभ और विकास के लिए द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है। भारत और भूटान के मध्य द्विपक्षी संबंधों की महत्वपूर्ण विशेषता मजबूत ऐतिहासिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों की प्रगणता है। दोनों देशों ने व्यापार, सुरक्षा और विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर मित्रता और सहयोग को बनाए रखा है। दोनों देशों के साझे मूल्य और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता एक सकारात्मक और पारस्परिक संबंधों के उपादेयता को बढ़ाती है जो दोनों देशों के मध्य बृहद संबंध को बढ़ावा दे रहे हैं।

(लेखक गंगा समग्र के प्रचार प्रमुख हैं)

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