Saturday, November 23, 2024
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मीडिया की स्वतंत्रता की आड़ में बीबीसी का कुप्रचार

बीबीसी ने भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री (मोदी जी प्रधान सेवक कहलाना पसंद करते हैं) पर 2 एपिसोड की डॉक्यूमेंट्री बनाई है ,जिसका नाम है -‘ इंडिया: द मोदी क्वेश्चन ‘ संयुक्त राष्ट्र के मौलिक सिद्धांतों और मानवाधिकार की सार्वभौमिक घोषणा पत्र (10 दिसंबर,1948)को अनुमोदन के आधार पर प्रत्येक देश(राज्य), संस्था ,संगठन, व्यक्तित्व एवं राष्ट्र – राज्य को गरिमा के साथ जीवन जीने ,अभिव्यक्ति की आजादी एवं वैश्विक स्तर व राष्ट्रीय स्तर पर मर्यादित आलोचना करने का तार्किक अधिकार है ;लेकिन आलोचना वैज्ञानिक तथ्यों, राष्ट्रीय संप्रभुता को खंडित ना करने वाला एवं स्वीकार योग्य हो। सेंसर का भी सामान्य सीमा है कि जिस व्यक्ति व व्यक्तित्व पर कोई डॉक्यूमेंट्री, अभिनय ,ड्रामा ,कलात्मक मंच नाटक एवं पात्र कलात्मक अभिनय करना व्यक्तित्व के विकास के लिए शुभ पक्ष हैं; लेकिन बीबीसी डॉक्युमेंट्री अवैज्ञानिक ,औपनिवेशिक मानसिकता की परिचायक एवं ऐसे narative को पेश किया है जिसे समाज एवं जनमत ने ठुकरा दिया है ।इस डॉक्यूमेंट्री के नकारात्मकता को ऐसे समझने का प्रयास कर रहे हैं:-

1.इसमें दिखाया गया है कि वर्ष 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए हिंसा में कम से कम 2000 लोगों की मौत हुई थी।
लोकतंत्र का अभिप्राय ही जनता का शासन होता है। मुख्यमंत्री जनता का वास्तविक प्रतिनिधि होता है; मुख्यमंत्री समाज के प्रत्येक व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है ,प्रत्येक समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है ।मोदी जी के करिश्माई( चमत्कारिक) व्यक्तिव का ही उपादेयता है कि भारतीय जनता पार्टी गुजरात में सातवीं बार सत्ता प्राप्त की है ।नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का ही देन है कि गुजरात में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत (2/3बहुमत से ऊपर मत) प्राप्त हुए हैं एवं मुख्य विपक्षी दल की करारी हार ,विपक्ष के योग्य ना हो पाना (विधानसभा की कुल संख्या का 10 % सीट होना चाहिए)। 27 वर्षों के लगातार शासन में रहना मतलब शासित लोक कल्याणकारी नीतियों ,गरीबी उन्मूलन एवं शासक समर्थक को स्वीकृति प्रदान की है। गुजरात में सतत,सर्व – स्पर्शी और सर्व समावेशी के सिद्धांत को सफल रूप से क्रियान्वित किया है।

2.ब्रिटिश विदेश विभाग की प्रतिवेदन का दावा है कि मोदी जी साल 2002 में गुजरात में हिंसा का माहौल बनाने में प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार है।
लोकतंत्र में शासक शासित के प्रति अपनी विधाई व कार्यपालिका नीतियों के लिए जिम्मेदार होता है ।लोकतंत्र जवाबदेही एवं पारदर्शी शासन का पर्याय है ,ऐसे में हिंसा के माहौल का आक्षेप बेबुनियाद, आधारहीन और अतार्किक एवं वैज्ञानिक तथ्यों की कसौटी पर अप्रासंगिक है।

3.भारत का सर्वोच्च न्यायालय नरेंद्र मोदी जी को गुजरात हिंसा के लिए बरी कर चुका है।
भारत की न्यायिक व्यवस्था एकीकृत न्यायिक व्यवस्था पर आधारित हैं। न्यायपालिका संविधान की संरक्षक एवं विधि के शासन की प्रणेता हैं। विधि का शासन सभी व्यक्तियों को समान, संवैधानिक सरकार एवं संविधानवाद के अवधारणा पर आधारित होती है ।मनगढ़ंत आरोप की उम्र बहुत लंबी नहीं होती ।गुजरात दंगा मामले में 20 साल से श्रीमान नरेंद्र मोदी जी को बदनाम करने के लिए सघन अभियान चलाया गया और हमारे लोकप्रिय नेता मोदी जी नीलकंठ की तरह इस अपमान को सहन करते रहे ;क्योंकि उनका एकमात्र ध्येय राष्ट्र की सेवा था। उच्चतम न्यायालय ने क्लीनचिट( बरी) करके इस दुष्प्रचार का अंत किया है ,यह एपिसोड औपनिवेशिक मानसिकता, दुष्प्रचार के लिए तैयार की गई है; क्योंकि गोरे वर्ण के व्यक्तियों में अभी भी श्रेष्ठता का भाव है। लोकतांत्रिक शासन प्रणाली में प्रधान मंत्री देश(राज्य) की जनता का प्रतिनिधित्व करता है ।इस एपिसोड को इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ही खारिज कर दिए हैं तो इसकी विश्वसनीयता को कौन स्वीकार करें?

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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