संयोग ही था की हाल ही में राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के बाहर ही साइकिल रोक कर एक शख्स ने आवाज जी प्रभात कुमारजी। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो करीब 30 साल पुराना एक चेहरा नजर आया और मेरे मुंह से लिखा कन्हैया लाल जी आप। बड़े लंबे समय बाद दर्शन हुए, यहां कैसे? चूंकि मेरी कभी इनसे जंगली जड़ी बूटियों की खोज करने वाले के रूप में थी अतः कहा क्या यहां भी औषधीय पौधे लगाने का काम मिल गया है ?
मेरी आशा के विपरीत कन्हैया लाल गुर्जर का उत्तर जो आश्चर्यचकित करने वाला था। कहने लगा आपको तो पता ही है मैंने मावसा के आसपास जंगलों में 30 वर्ष पूर्व 350 जड़ी बूंटी वाले पौधों की खोज की थी। मुझे पौधों का वनस्पतिक नाम जानने की जिज्ञासा हुई तो मैंने किताबें पढ़ना शुरू किया। पहले मैं रामपुरा के पुस्तकालय में आता – जाता था अब पिछले 16 साल से इस पुस्तकालय में सप्ताह में कम से कम एक बार आकार पुस्तकें ले जाता हूं और पहले की जमा करा जाता हूं। मवासा गांव से साइकिल पर 50 किमी आने जाने का क्रम निरंतर जारी है। हालांकि मैं केवल पांचवीं कक्षा तक पढ़ा लिखा हूं पर पुस्तक पढ़ने के शोक की वजह से दोनों पुस्तकालयों से अब तक करीब 35 हज़ार किताबें तथा इनमें से मंडल पुस्तकालय से 20 हज़ार किताबें विभिन्न विषयों और सम्पूर्ण साहित्य पर पढ़ चुका हूं।
कक्षा पांच पास और इतनी किताबें पढ़ना जान कर एक बार तो यकीन नहीं हुआ । पूछने पर जब उसने धड़ाधड़ बताया की पौराणिक चारों वेद, भारत,राजस्थान और हाड़ोती का इतिहास, स्वतंत्रता संग्राम और सेनानी, आदि गुरु शंकराचार्य, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी,कबीर और इनके गुरु रामानंद चार्य,बिहारी,रहीमदास,तुलसीदास, सूरदास, अयोध्या का इतिहास, आयुर्वेद, वनस्पति शास्त्र, समाज शास्त्र, हमारी परंपराएं, राजा राम मोहन राय, गांधी जी, अब्दुल कलाम आदि अनेक महापुरुषों का अध्ययन किया है। तीन किताबें तो आपकी ही पूरी पढ़ ली हैं। जिस प्रकार उसने एक फ्लो में बताया यकीन करना पड़ा। मेरे लिए यह जानकारी आश्चिचकित करने वाली थी। उसने बताया कि पुस्तकालय के डॉ.दीपका श्रीवास्तव ने उन्हें विश्व पुस्तकालय दिवस 2020 पर ” बेस्ट रीडर ऑफ द ईयर” का पुरस्कार मुझे दे कर मेरा हौंसला और बढ़ा दिया।
आजकल ज्यादातर विद्यार्थी डिजिटल माध्यम से अध्ययन करते हैं इस बारे में आप क्या सोचते हैं के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा हम जितनी देर मोबाइल या कंप्यूटर का उपयोग करते हैं केवल डिजिटल दुनिया का तनाव ही झेलते हैं। इस माध्यम से विषय के बारे में दिमाग में कोई चित्र नहीं बनता। जब की किताबें हमें न केवल डिजिटल दुनिया के तनाव से मुक्ति दिलाती हैं वरन हमारी विषय के प्रति समझ को प्रगाढ़ और मजबूत बनाती हैं। केवल पढ़ने से नहीं वरन लिखने से हमारी याददस्त की नीव मजबूत होती है। एक समस्या और भी है बच्चें शॉर्ट नोट पढ़ कर केवल अगली क्लास में तो चले जाते हैं पर उनकी विषय पर पकड़ मजबूत नहीं बनती।
अब जड़ी बूटियों के पौधों का काम बंद कर दिया क्या? वह बताते हैं इसे कैसे छोड़ सकता हूं, आज भी वन विभाग के सहयोग से अनंत पूरा स्मृति वन में 300 औषधीय पौधों की नर्सरी विकसित कर देखभाल कर रहा हूं। बॉटनी के विद्यार्थी यहां आते हैं उन्हें पौधों की जानकारी उपलब्ध करा कर उनके प्रेक्टिकल में सहयोग करता हूं। समय – समय पर वन विभाग, आयुवेद आदि के सहयोग से औषधीय पौधों की प्रदर्शनियां आयोजित करता रहता हूं। विभागीय प्रदर्शनियों के लिए कई बार तथा एक बार जिला प्रशासन द्वारा कलेक्टर तन्मय कुमार जी के समय स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के समारोह में सम्मानित किया गया है।
एक अच्छे पाठक के रूप में आप विद्यार्थियों को क्या संदेश देना चाहेंगे के उत्तर में उन्होंने कहा विधार्थी अधिक से अधिक पुस्तकें पढ़े, डिजिटल तनाव से बचे और जीवन में व्यायाम का महत्व समझे। मुझे देखिए 65 साल में साइकिल चलाना हूं जो अपने आप में अच्छा व्यायाम है। कमर, घुटनों और अन्य जोड़ों में भी किसी प्रकार का दर्द नहीं है और न सांस फूलती है। संपर्क : ग्राम मावासा, कैथून के पास, कोटा।