राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजभवन में गुरुवार को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक पन्नालाल मेघवाल द्वारा लिखित ‘राजस्थान लोकाभिव्यक्ति के आयाम’ (हिंदी) एवं ‘दी फोक डांसेज ऑफ राजस्थान’ (अंग्रेजी) पुस्तकों का विमोचन किया।
पन्नालाल मेघवाल की ‘राजस्थान लोकाभिव्यक्ति के आयाम’ पुस्तक में राजस्थान के लोकनृत्यों, लोकगायन एवं लोकवादन को आकर्षक छायाचित्रों के माध्यम से प्रकाशित किया गया है। इसी पुस्तक का अंग्रेजी रूपांतरण ‘दी फोक डांसेज ऑफ़ राजस्थान’ पुस्तक प्रकाशित की गई है।
पन्नालाल मेघवाल की हिंदी एवं अंग्रेजी की इन पुस्तकों में तेरहताली, घूमर, चरी, कालबेलिया, चकरी, भवाई, जसनाथी, धाकड़, गींदड, वीर तेजाजी, कच्छी घोड़ी, कथौड़ी, भील, गरासिया, गैर, चंग, बम, ढोल एवं शूकर लोकनृत्य सम्मिलित हैं।
इन पुस्तकों में मांड, मांगणियार एवं लांगुरिया गायन, तुर्रा कलंगी, कुचामणि ख्याल एवं गवरी लोकनाट्य, सहरिया एवं टूंटिया स्वांग, बीकानेर की रम्मतें, राजस्थान की नट परंपरा, कठपुतली नृत्य कला एवं राजस्थान के लोक वाद्य यंत्रों का विषद उल्लेख है।
पुस्तक के लेखक पन्नालाल मेघवाल ने सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय सम्मानित लोक कलाकारों, लोक गायकों, से उनके घर, आंगन, चौपाल एवं गांव में उनके साथ बैठकर उनसे साक्षात्कार कर इन पुस्तकों का लेखन किया है। इन पुस्तकों में लोक नृत्य, लोक गायन, लोक वादन एवं लोक वाद्य यंत्रों के मनमोहक चित्रों के माध्यम से संकलित किया है। राजस्थान की कला एवं संस्कृति का दिग्दर्शन कराती ये दोनों पुस्तकें राजस्थान की कला एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन में मील का पत्थर साबित होंगी।
इस अवसर पर वित्त विभाग के संयुक्त शासन सचिव (व्यय) वी.सी. बुनकर, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अतिरिक्त निदेशक अरुण जोशी, संयुक्त निदेशक राजेश व्यास, सहायक निदेशक विवेक जादोन एवं डीआईपीआर के निजी सचिव रवि पारीक उपस्थित थे।
पुस्तक के लेखक उदयपुर निवासी पन्नालाल लोक कला और लोक संस्कृति के मर्मज्ञ हैं और विभिन्न पहलुओं पर इनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।