भारत में भले ही नागरिकों को अभी तक 'राइट टू फूड' नहीं मिला हो लेकिन बुंदेलखंड के सबसे पिछड़े जिलों में से एक महोबा में इसको अमल में लाने का काम शुरु हो गया है। 40 युवाओं और 5 वरिष्ठ नागरिकों द्वारा चलाया जा रहा एक 'रोटी बैंक' लोगों के घर-घर जाकर घर की बनी रोटी और सब्जी मुहैया जमा कर रहा है और इन्हें जरूरतमंदों को उपलब्ध करा रहा है।
महोबा के करीब 400 घरों से छह बजे के बाद युवाओं को 400 पैकेट खाना तैयार दिया जाता है, जिसे वे असहायों के बीच बांटते हैं। यह सब 15 अप्रैल से शुरू अनोखे रोटी बैंक के माध्यम से, हो रहा है, जिसे बुंदेली समाज आगे बढ़ा रहा है। 40 उत्साही युवा शिद्दत से यह काम करते दिखाई दे रहे हैं। इसमें हिंदू, मुस्लिम व ईसाई युवा गरीबों व असहायों को रोटी बांट रहे हैं।
बुंदेली समाज के अध्यक्ष हाजी मुट्टन चच्चा व संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि एक दिन वह सुबह बस स्टैंड पर खड़े थे, तभी पांच छह बच्चे भीख मांगने आ गए। जब उनसे कहा गया कि पैसे लेकर क्या करोगे रोटी खाओ तो खिलाएं, बच्चों ने अपनी सहमति दी और दो वक्त की रोटी मिलने पर भीख मांगने से तौबा करने की बात कही। यहीं से विचार जन्मा कि अगर ये बच्चे खाना मिलने पर भीख नहीं मांगेंगे तो तमाम ऐसे असहाय होंगे जो अशक्त होकर भूखे मर रहे होंगे। तमाम घरों में बात की गई तो खाना देने को वे तैयार हो गए और युवाओं ने भी इस नेक काम में सहयोग करने के लिए सहमति दी।
पूरे शहर को छह जोन में बांटा गया है। पहले जोन की जिम्मेदारी असगर, शहबाज की। इसी प्रकार अन्य लोगों की जिम्मेदारी तय की गई है। शादाब, असगर, अमर, जुम्मन आदि कहते हैं कि यह नेक काम करने से उनको मंदिर व मस्जिद में जाने से ज्यादा इबादत का काम समझ में आता है। घरों से दो रोटी, सब्जी, अचार व सलाद पैक कर महिलाएं शाम छह बजे तक उन्हें दे देती हैं। फिर वे लोग गरीबों को खाना पहुंचा देते हैं। इसमें वह अपने निजी वाहनों का सहारा लेते हैं। पूरे काम में तीन से चार घंटे लगते हैं। आगे दोनों वक्त रोटी देने की योजना है। इनका हेल्पलाइन नम्बर 9554199090 व 8052354434 भी है।
साभार- http://naidunia.jagran.com/ से