Sunday, December 29, 2024
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रीना इस्माइल के “मल्हार” में कैलिफ़ोर्निया भीगा

हम अक्सर बॉलीवुड की चकाचौंध दुनिया में इस कदर खोये रहते हैं की अपने आस-पास की आवाज़ भी ठीक तरह से सुनाई नहीं देती। कितनी ही बार ऐसा होता है कि बॉलीवुड के कॉन्सर्ट, कुछ अपवादों को छोड़कर, संगीत से अधिक शोर होते हैं। हर कॉन्सर्ट के बाद दिमाग और कानों को अभ्यस्त होने में समय लगता है। पर हम संगीत और सिनेमा थिएटर में क्यों देखते हैं? सिनेमा हम थिएटर में इसलिए देखते हैं ताकि हम एकाग्रचित होकर किसी किरदार से जुड़ सकें, उसकी कहानियों का हिस्सा बन सकें। ठीक उसी तरह सही और मधुर संगीत आत्मा का भोजन है और ये भोजन हमें तभी मिलता है जब संगीत शोर न हो बल्कि उसमें वो मधुरता हो, जो हमारी आत्मा को रेशा-रेशा शहद पिलाता रहे। बिलकुल इसी तरह के संगीत का रसास्वादन हुआ जब हम रीना इस्माइल के मल्हार में भीगे और खूब भीगे!

लॉस एंजेल्स के खूबसूरत वाल्ट डिज़नी कॉन्सर्ट हॉल में २६ मार्च को Los Angeles Master Chorale द्वारा रीना इस्माइल (Reena Esmail) के लेटेस्ट वर्क का शानदार प्रदर्शन हुआ। इसके साथ ही Gabriel Faure’s के Requiem का मज़ा भी दर्शकों ने लिया।

रीना इस्माइल भारतीय मूल की हैं और उनका उनका पूरा जीवन अमेरिका में बीता है। लॉस एंजेल्स में पली-बढ़ी, रीना ने संगीत की अपनी पढाई Yale School of Music से की है। इसके साथ ही उन्होंने Srimati Lakshmi Shankar और Gaurav Mazumdar से हिन्दुस्तानी संगीत भी सीखा है। उनकी इसी असाधारण प्रतिभा के कारण, वे दोनों तरह के संगीत को बेहतर तरीके से समझती है। दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग हैं जिनको वेस्टर्न और हिन्दुस्तानी संगीत की इतनी गहरी समझ है। इन दिनों रीना, Los Angeles Master Chorale’s की 2020-2025 Swan Family Artist in Residence हैं और उनके बहुत सारे Chorale, Oxford University Press से प्रकाशित हुए हैं।

रीना इस्माइल द्वारा लिखा हुआ “मल्हार” पानी को एक नयी नज़र से देखने की कोशिश है। हम सब इस धरा पर रहते हैं और पानी हम सबका जीवन है जो बिना किसी भेद-भाव के हम सबको जोड़ता है। यही उनकी इस प्रस्तुति की मूल सोच थी। रीना के मल्हारी सपनों में सुरों के रंग भरे सैली ओक (Saili Oak) ने और तबले पर अभिमान कौशल (Abhiman Kaushal) ने अपने संगीत का कौशल दिखाया। Camilla Tassi ने अपने वीडियो प्रोजेक्शन से इसे और खूबसूरत बना दिया। लगभग 102 मिनट के इस कॉन्सर्ट ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। खचाखच भरे डिज़नी कॉन्सर्ट हॉल में दर्शकों ने इसको इतना भाव-विभोर होकर सुना कि सिवाय संगीत के पूरे सभागार में और कोई आवाज़ नहीं थी। इसी ख़ामोशी में रीना का संगीत सबको मदहोश करता रहा।

कहते हैं संगीत की कोई भाषा नहीं होती और इस कॉन्सर्ट ने इसे पूरी तरह से सार्थक किया। वेस्टर्न क्लासिकल पार्श्वसंगीत की ज़मीन पर जब सैली अपने हिंदुस्तानी गायन के नन्हे-नन्हे सुरीले पौधे लगा रही थीं तो ऐसा लग रहा था कि लता मंगेशकर और Elton John एक साथ राग मल्हार गा रहे हों। Los Angeles Master Chorale के सारे गायकों ने कमाल किया और उनका सुर इतना सधा था कि फर्क करना मुश्किल था कि ये एक आवाज़ है या इतने सारे लोग इतने साथ गा रहे हैं। Graycie Gardner और Adam Furuqi ने अपनी आवाज़ और performance से सबको चकित कर दिया। इससे पहले Jenny Wong द्वारा संचालित Fauré Requiem ने सबका मन मोह लिया। Addy Sterrett और Abdiel Gonzalez ने अपनी शानदार एकल गायकी से सबको ख़ुशी से भर दिया। Los Angeles Master Chorale की पूरी Orchestra ने और Jaebon Hwang ने समां बांध दिया।

सही मायनों में सबने संगीत को भरपूर जिया। वो जो गा रहे थे, वो जो बजा रहे थे, वो जो सुन रहे थे, और वो जिन्होंने इसकी रचना की। सब कुछ किसी जादू से कम नहीं था और ऐसा लग रहा था की वे सब संगीत के लिए ही बने हैं। वाल्ट डिज़नी कॉन्सर्ट हॉल की साज-सज्जा ने और उसके साउंड सिस्टम ने रीना की सोच को और भी नए आयाम दे दिए। माइक्रोफोन इस तरह से रखे गए थे कि उनमें से गुजरने वाला संगीत जब कानों को छूता था तो लगता था कि सचमुच वे संग में गीत गा रहे हैं और यही बात इस तरह के कॉन्सर्ट को और सुन्दर बना देती है। सब कुछ बहुत अच्छा था पर जो एक बात मुझे थोड़ी चुभती रही की उस खचाखच भरे कॉन्सर्ट हॉल में लगभग न के बराबर भारतीय थे। कॉन्सर्ट के बाद जब हम रीना से मिले तो शायद उन्हें भी इस बात का कहीं न कहीं मलाल था क्योंकि मिलते ही वो बोलीं, मुझे भारतीय लोगों को इस कॉन्सर्ट में देखकर अच्छा लगा।

कहते हैं राग मेघ-मल्हार गाने से वर्षा होती थी और अब ये सब शायद एक मज़ाक लगता है। राग मेघ-मल्हार के गायन से बारिश होती थी या नहीं, कहना मुश्किल है पर इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि रीना के “मल्हार” में सबके दिल और अन्तरात्मा ज़रूर भीगे होंगे और एक अच्छे संगीत की शायद यही सबसे बड़ी बात होती है कि हम सूखे में भी भीग जाएं, दुःख में भी सुख का अहसास होने लगे और शरीर के उस हिस्से को छू जाए, जिसे हम मन कहते हैं। उम्मीद है रीना इस्माइल का ये संगीतमयी तिलिस्म हमारे मन को हर बार इसी तरह सुख देता रहेगा।

 (रचना श्रीवास्तव अमरीका में रहती हैं व वहाँ रहने वाले भारतीयों के बारे में व भारतीय समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के बारे में नियमित रूप से लिखती है)

Photo Credit: Jamie Pham

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