राजस्थान के कोटा शहर में राकेश सोनी ऐसी शख्शियत है जिन्हें डाक टिकट संग्रह करने का गज़ब का शोक है। इनके पास विभिन्न विषयों पर डाक टिकटों का एक अच्छा खासा संग्रह हैं। हाल ही में राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय, कोटा द्वारा 12 से 16 फरवरी 2024 तक आयोजित पांच दिवसीय संभाग स्तरीय पुस्तक मेले में इनके द्वारा भागीदारी निभाते हुए साहित्यिक ग्रंथों और साहित्यकारों पर समय – समय पर भारतीय डाक विभाग द्वारा जारी किए गए टिकटों को देखने का अवसर प्राप्त हुआ।
लेखक होने के नाते प्रथम बार इन डाक टिकटों को देख कर न केवल मुझे वरन दर्शकों सभी को गर्व की अनुभूति हुई कि हम उस देश के वासी हैं जिस देश का साहित्य इतना समृद्ध है और देश को कालज्यी साहित्यकार मिले जिन पर डाक टिकट जारी किए गए। निश्चित ही ऐसे अनूठे आयोजन से साहित्यिक विकास के प्रति चेतना जागृति का माहोल बनता है। खास कर नवांकुर साहित्यकारों को विशेष रूप से प्रेरणा मिलती है। सार्वजनिक पुस्तकालय के अधीक्षक डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव की यह पहल निसंदेह सार्थक कहीं जा सकती है कि उन्होंने पुस्तक उत्सव में इस साहित्यिक डाक प्रदर्शनी को शामिल किया।
देश की आजादी के बाद सर्वप्रथम 1952 में संत और कवियों पर डाक टिकटों की श्रृंखला संत कबीर, सूरदास, तुलसीदास, मीराबाई, गालिब और रविंद्रनाथ टैगोर पर जारी की गई। रविंद्र नाथ टैगोर पर 2011 में जारी दो आकर्षक डाक टिकट भी दर्शाए गए थे। वर्ष 2015 में चित्तौड़गढ़ से जारी मीरा मंदिर पर एक विशेष आवरण भी प्रदर्शित है।
वर्ष 1970 में महर्षि वाल्मीकि पर जारी एक आकर्षक डाक टिकट प्रदर्शित था जिसमें वाल्मीकि के आश्रम में राम सीता और लक्ष्मण की छवि अंकित है । तमिल के विद्वान और कंबर रामायण के रचयिता कंबर पर वर्ष 1966 में जारी डाक टिकट भी प्रदर्शित था। प्रदर्शनी में वर्ष 2017 में रामायण पर आधारित जारी 11 डाक टिकट भी प्रदर्शित किए गए थे ।
महात्मा गांधी के प्रिय भजन ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ के रचयिता नरसी मेहता पर वर्ष 1966 में जारी डाक टिकट भी दिखाया गया था। वर्ष 1960 में कालिदास की स्मृति में जारी डाक टिकटों पर मेघदूत और अभिज्ञान शकुंतलम के दृश्य चित्र थे जिसमें यक्ष मेघों से अपना संदेश अलकापुरी में अपनी प्रेमिका के पास भेजने की प्रार्थना कर रहा है दूसरे डाक टिकट में शकुंतला अधलेटी मुद्रा में दुष्यंत को पत्र लिख रही है यह दोनों चित्र राजा रवि वर्मा द्वारा बनाए गए थे, राजा रवि वर्मा का डाक टिकट भी यहां दर्शाया गया था।
संस्कृत के महान कवि जयदेव के महाकाव्य गीत गोविंद पर आधारित विष्णु के दशावतार पर जारी 11 डाक टिकट भी प्रदर्शित किए गए थे। आज से 700 वर्ष पहले हिंदी साहित्य के पितामह अमीर खुसरो पर भारत और पाकिस्तान द्वारा जारी डाक टिकट प्रदर्शित थे। आधुनिक हिंदी साहित्य के भारतेंदु हरिश्चंद्र मुंशी प्रेमचंद दुष्यंत कुमार, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला सुमित्रानंदन पंत हरिवंश राय बच्चन राग दरबारी के रचयिता पंडित शीला शुक्ला रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी माखनलाल चतुर्वेदी पर जारी डाक टिकट भी प्रदर्शनी में देखने को मिले ।
मिर्ज़ा ग़ालिब पर भारत और पाकिस्तान द्वारा जारी डाक टिकट भी प्रदर्शित थे। असरार उल हक मजाज पर जारी डाक टिकट भी था। पंचतंत्र की नीति कथाओं को भी आठ आकर्षक डाक टिकटों द्वारा दर्शाया गया।
विश्व हिंदी सम्मेलन का इतिहास भी डाक टिकटों के माध्यम से बताया गया 1975 में पहले विश्व हिंदी सम्मेलन और 2015 में दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन पर जारी डाक टिकट प्रदर्शित थे। एक लेख पितामह गुरु द्रोणाचार्य और एकलव्य पर था जिसमें 2013 में एकलव्य पर जारी डाक टिकट के आवरण पर एकलव्य और द्रोणाचार्य की छवि अंकित है।
राकेश सोनी के साथ उनकी इस डाक टिकटों की प्रदर्शनी देखने के बाद उनसे इस अभिरुचि और संकलन पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि डाक टिकट संग्रह का शौक तो बचपन से ही रहा है । उन्होंने वर्ष प्रथम बार डीएवी स्कूल, कोटा में भारतीय डाक विभाग की ओर से लगाई गई चौथी जिला स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी कोटापैक्स 2013 में भाग लिया और इसमें उन्हें तीसरा पुरस्कार प्राप्त होने से उत्साहवर्धन हुआ। इसके बाद “कोटापैक्स 2019” लॉरेंस एंड मेयो पब्लिक स्कूल में आयोजित की गई उसमें भी इन्हें इनके एक्जीबिट “भारत पाकिस्तान युद्ध 1971” पर सर्वोत्तम एक्जीबिट पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।
ये सिलसिला चलता रह और फरवरी 2023 में भारत सरकार की पहल पर आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत नई दिल्ली के प्रगति मैदान में अमृत पैक्स 2023 नामक “राष्ट्रीय डाक टिकट प्रदर्शनी” लगाई गई। इसमें देश भर के 500 चयनित डाक टिकट संग्रहकर्ताओं द्वारा 20 हजार से अधिक डाक टिकट प्रदर्शित किए गए थे । इसमें राजस्थान के हाड़ोती संभाग से भाग लेने वाले वे एकमात्र फिलेटलिस्ट थे। इस प्रदर्शनी में मेरे इनके डाक टिकट “भारतीय सशस्त्र क्रांति का इतिहास” को दूसरा पुरस्कार प्राप्त हुआ ।
ब्रोंज मेडल :
इसी वर्ष जयपुर के जवाहर कला केंद्र में राजपैक्स 2023 नामक राज्य स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी का आयोजन भारतीय डाक विभाग राजस्थान द्वारा किया गया। इस प्रदर्शनी में भी इनके दोनों संग्रह “भारतीय सशस्त्र क्रांति का इतिहास” और “भारत पाकिस्तान युद्ध 1971” को ब्रोंज मेडल प्राप्त हुआ ।
विविध विषयों के डाक टिकट :
आपने बताया कि इन प्रमुख प्रदर्शनियों के अलावा पिछले चार-पांच वर्षों से वन विभाग द्वारा आयोजित वन्यजीव सप्ताह में वन्यजीव और वनस्पति से संबंधित अपने डाक टिकट प्रदर्शित कर रहे हैं। माहेश्वरी पब्लिक स्कूल और एस.आर.पब्लिक स्कूल में 16 दिसंबर को भारत पाकिस्तान युद्ध के विजय दिवस के अवसर पर इस युद्ध से संबंधित डाक टिकट संग्रह का प्रदर्शन कर चुके हैं। जिसमें भारतीय सेना की बटालियनो की बहादुरी और भारतीय सैनिकों द्वारा लड़ी गई जंग के बारे में रोचक जानकारी डाक टिकट और पोस्टल सामग्री द्वारा दी जाती है। साथ ही भारत के परमवीर चक्र विजेताओं तथा महावीर चक्र विजेताओं के बारे में भी जानकारी होती है। केवल भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के वार हीरोज के बारे में भी जानकारी होती है । आपने एम कॉम और एलएलबी की डिग्रियां प्राप्त की हैं।