कोटा/ कोटा की मदर टेरेसा प्रसन्ना भंडारी आज हम सब को छोड़ कर देवलोक गमन कर गई हैं।छोटा हो या बड़ा कोई भी जब उनसे मिलता है तो उन्हें मम्मी ही कहता है। उन्होंने अपनी उम्र का लंबा समय बच्चों की सेवा में दिया, उन बच्चों को जिन्हें उनके अपने छोड़ गए। श्रीकरनी नगर विकास समिति की पहचान स्थापित करने वाली समाजसेविका ने करीब 3000 से ज्यादा बच्चों की जिंदगी को उन्होंने संवारा। वर्ष 1960 में उन्होंने ने चिल्ड्रन होम शुरू किया था। अब तक 6 से 18 साल के 2000 बच्चे उनके पास आ चुके हैं।
वही अब तक 980 नवजात उनके पास आ चुके। ये सभी वो नवजात बच्चे थे जिन्हें जन्म के बाद इधर उधर फेंक दिया गया था। आज इन्हीं में से ज्यादातर बच्चे अच्छे घरों में गोद जा कर परवरिश पा रहे हैं। इनमें करीब 200 से ज्यादा बालिकाएं भी थी। उन्होंने 6 से 18 साल तक की उम्र के आने वाले बच्चों की पढ़ाई का भी ध्यान रखा। इनमें से कई आज डॉक्टर, कांट्रेक्टर है तो कई खुद का काम कर रहे हैं। वहीं 48 बालिकाओं का 18 साल की उम्र होने के बाद शादी का जिम्मा भी प्रसन्ना भंडारी ने उठाया। इन बच्चियों की पढ़ाई लिखाई करवा कर इनकी शादी करवाई।
वृद्धाश्रम और बेसहारा महिलाओंको आश्रय सहित कई सामाजिक गतिविधियां चला रही थी। प्रसन्ना भंडारी को मिले कई पुरस्कारों में राष्ट्रपति द्वारा उन्हें बाल कल्याण सेवाओं के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रमुख रहा।