अमेरिकी फुलब्राइट-नेहरू फेलो एनस ड्रेमेन इंग्लिश टीचिंग असिस्टेंट हैं। उन्होंने भाषा और संस्कृति के नज़रिए से भारत को समझने की कोशिश की और अपने अनुभव को साझा कर रही हैं।
जनवरी 2020 में जब मैंने पहली बार भारत की यात्रा की, तो मैं सांस्कृतिक, भाषाई और रचनात्मक रूप से खुद को चुनौती देने के बारे में सोचती थी। मैं अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकल कर लिखना और संपादन कार्य करना चाहती थी। साहित्य और इसकी विविध विधाएं ही वे ज़रिया थीं जिसने दुनिया के बारे मे गलत धारणाओं पर सवाल उठाने और उन्हें तोड़ने में मेरी मदद की। मुझे उम्मीद थी कि मेरे अनुभव अंतर-सांस्कृतिक संवादों की जड़ों को रोपने का काम कर सकते हैं।
जब कोविड-19 लॉकडाउन शुरू हुआ तो मैं जयपुर में थी। मैं शहर में किसी को नहीं जानती थी, मुझे न तो कोई रहने की जगह मिल सकी और न ही मैं स्वदेश वापसी की उड़ान का खर्च वहन कर सकी। मैंने हालात से संकल्प के साथ जूझना तय किया। उस दौरान मैंने अपने संस्मरण का पहला मसौदा एक बैकपैकर्स हॉस्टल में लिखा था। मैं ‘‘द कवारेंटीन ट्रेन’’ में शामिल हो गई- जो भारत और विदेश के 90 से अधिक सदस्यों वाला एक वर्चुअल लेखन समूह था। मैं एक लेखक के रूप में परिपक्व हुई और मैंने भारतीय साहित्य और संस्कृतियों के बारे में अपनी समझ का विस्तार किया। धीरे-धीरे एक अनजाने देश में एक कम्युनिटी के साथ मैं घुलमिल गई।
कविता और फोटोग्राफी का सम्मिलन
गर्मियों में मैंने अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन स्टडीज़ के एक हिंदी पाट्यक्रम में दाखिला लिया, जिसका हिंदी प्रोग्राम जयपुर से चलाया जाता है। वर्चुअल कक्षाएं रात 9 बजे से शुरू होती थीं और शिक्षक अमेरिकी टाइमज़ोन की सुविधा को देखते हुए देर रात घर से पढ़ाते थे। मेरा मानना है कि सांस्कृतिक गहनता के लिए भाषा सीखना बेहद महत्वपूर्ण हैं और वह भी भारत जैसे भाषाई विविधता वाले देश में।
वर्चुअल कक्षाएं खत्म होने के अगले दिन मैं अपनी किताब को संपादित करने और लेखकों के समूह की निकटता के लिए गोवा चली गई। छात्रावास में व्हाइट टी बनाते समय मैं आने-जाने वाले मेहमानों को भी उसे पेश करती थी और इसी दौरान मेरी मुलाकात दिल्ली के एक पोर्ट्रेट फोटोग्राफर बलविंदर सिंह से हुई।
धीरे-धीरे बातचीत बढ़ी, फिर हमने गोवा के समुद्री तट के भ्रमण के लिए एक दिन के लिए स्कूटर किराए पर लिया और कविता और फोटोग्राफी पर एक-दूसरे के साथ गठबंधन का फैसला किया। इस दौरान हमारी बातचीत पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों दायरों के बीच जारी रही। हमारी दोस्ती की प्रारंभिक पड़ताल निर्णयों से जूझने, भावनाओं को व्यक्त करने और उड़ानों को दर्शाने के बारे में रही। लाइटिंग तकनीक, बालों और निरंतर सवालों के जरिए हमने पता लगाया कि जमीन से पैर उठाए बिना उड़ने का मतलब क्या है। इसके बाद बलविंदर संपादित तस्वीरों को साझा करते थे और मैं हमारे शब्दों को विषय के अनुरूप उनमें कविता में व्यक्त कर देती थी।
जटिलताओं की समझ
2022 में कोलकाता में अपने फुलब्राइट-नेहरू इंग्लिश टीचिंग असिस्टेंटशिप अनुभव के दौरान मेरा मकसद कक्षा में यथासंभव रचनात्मक गतिविधियों को शामिल करना था- क्रियाओं का अभिनय, अमेरिकी गाने गाना, बड़े होने के बारे में एक पुस्तिका लिखना और सीखने के लिए गलतियों को स्वीकारना। मेरी कोशिश एक उदार कक्षा के निर्माण की थी जहां युवा लड़कियों की कल्पना को प्रोत्साहित किया जाए।
उथल-पुथल से भरे समय में भारत की यात्रा करना, लेखकों से मेलमिलाप, भिन्न पृष्ठभूमि वाले कलाकारों के साथ सहयोग और बांग्ला माध्यम स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने से भारत की जटिलताओं के बारे में मेरी समझ और परिष्कृत हुई। मुझे विश्वास है कि कला और संवाद से संस्कृतियों और देशों के बीच आपसी समझ के बीज बोए जा सकते हैं। मैं जहां भी जाऊंगी, रचनात्मक लेखन और विभिन्न संस्कृतियों के बीच उदार संवाद के अपने जुनून को समन्वित करूंगीं।
एनस ड्रेमेन अमेरिकी लेखिकाहैं जो वर्ष 2022 में फ़ुलब्राइट-नेहरू इंग्लिश टीचिंग असिस्टेंट के तौर पर भारत में थीं। (फोटोग्राफ: साभार एनस ड्रेमेन)