राजनांदगांव। दिग्विजय कालेज और संस्कारधानी के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य का नाम रौशन करते हुए डॉ. चन्द्रकुमार जैन ने विदेश में अपनी अचूक अभिव्यक्त कला की छाप छोड़ी और साहित्य तथा भाषा की निरंतर सेवा के लिए प्रतिष्ठित वैश्विक अवार्ड के नवाज़े गए। कतर, दोहा में कारवाँ-ए-उर्दू के भव्य आलमी मुशायरे और कवि सम्मेलन में डॉ. जैन ने दुनिया भर में मशहूर शायर अजहर इनायती सहित बारह अन्य जाने माने कलमकारों और प्रख्यात कवि-गीतकार डॉ. कुमार विश्वास के साथ पांच घंटे तक मंच साझा किया। डॉ. विश्वास के साथ हिंदी साहित्य और भाषा की अति विशिष्ट सेवा के लिए डॉ. जैन सम्मानित हुए। उन्हें संस्था के अध्यक्ष अजीम अब्बास और प्रवासी भारतीय सम्मान गौरव प्राप्त हसन चौगले ने सम्मानित किया। डॉ. कुमार विश्वास ने ऐतिहासिक आयोजन के मंच की बागडोर संभाली।
आयोजन के दौरान दोहा का डीपीएस एमआईएस आडिटोरियम नामचीन हस्तियों और शायरी के दीवानों तथा काव्य प्रेमियों से भरा हुआ था। आगाज़ से अंजाम तक लोगों की निगाहें मंच पर टिकी रहीं और लोग लाज़वाब मुक्तकों, गीतों, गजलों और कविताओं का रसास्वाद देर रात तक करते रहे। आयोजक संस्था द्वारा साहित्य अकादमी सम्मान से अलंकृत शायर अजहर इनायती को आजीवन सेवा सम्मान से विभूषित किया गया। इस अवसर पर आयोजन की स्मारिका का विमोचन भी किया गया जिसमें तमाम शायरों के साथ डॉ. जैन की रचना सच कहूँ सूरज के आगे दीप मैंने रख दिया है को प्रमुखता के साथ शामिल किया गया है।
आयोजन के आरम्भ में आमंत्रित कवियों और शायरों का भावभीना स्वागत और सम्मान कारवां-ए-उर्दू के चेयरमैन अजीम अब्बास व पदाधिकारी तथा और दोहा की अन्य हस्तियों ने किया। गौरतलब है कि दिग्विजय कालेज के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. चन्द्रकुमार जैन को दोहा के उक्त हिंदी और उर्दू के दोआब वाले यादगार आयोजन में खास तौर पर आमंत्रित किया गया था। पांच घंटे तक हर्ष ध्वनि के साथ साहित्य रस में डूबे श्रोताओं ने आयोजन का भरपूर लुत्फ़ उठाया। डॉ. जैन ने अपनी चुनिंदा रुबाइयों और मुक्तकों के साथ चर्चित गीत जीवन के गीत लिखो सुनकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दिग्विजय कालजे की प्राचार्य डॉ. श्रीमती बी.एन. मेश्राम और महाविद्यालय परिवार तथा सुधी साहित्य सेवियों ने डॉ. जैन को इस अभूतपूर्व रचनात्मक उपलब्धि के लिए बधाई दी है। आयोजन में हमारे दौर दौरान की लोकप्रिय शायरा शबीना अदीब, शायर जौहर कानपुरी, मलका नसीम, नदीम शाद के अलावा दोहा और अन्य देशों के शायरों ने शिरकत की।