राजनांदगांव। साहित्य विभूतियों की संस्कारधानी को एक और गौरव का अधिकारी बनाते हुए दिग्विजय कालेज के हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ.चंद्रकुमार जैन ने हिंदी साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं में अपने शोध आलेख को शुमार कर दिखाया है। उनके विशिष्ट लेख हिंदी साहित्य का इतिहास, पुनर्लेखन की सम्मस्याएँ को इस विश्व स्तरीय सूची में जगह दी गई है।
उल्लेखनीय है कि सबसे पहले डॉ.चंद्रकुमार जैन ने अपना उक्त आलेख डॉ.बी.आर.अम्बेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, बिहार में हुए रेफ्रेशर कोर्स के दौरान प्रस्तुत किया था, जिसकी वि,वि. के तत्कालीन हिंदी विभाग अध्यक्ष और धुरंधर साहित्य समीक्षक प्रोफ़ेसर डॉ. प्रमोदकुमार सिंह और साहित्यकार रेवतीरमण ने मुक्त कंठ से सराहना की थी। बाद में आलेख का प्रकाशन गुजरात के लोक तेज प्रकाशन द्वारा ताप्तीलोक में प्रमुखता से किया गया। वहां से चयन के उपरांत उसे हिंदी साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं में सम्मानजनक जगह दी गई है। शहर और शिक्षा जगत के लिए बेशक यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
हिंदी की उत्कृष्ट रचनाओं में डॉ.चंद्रकुमार जैन की रचना सहित हिन्दी का उद्भव, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिली, हिन्दी साहित्य का इतिहास, श्याम चन्द्र कपूर,आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास डॉ. बच्चन सिंह, हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास गोपीचन्द्र गुप्त, साहित्य इतिहास लेखन की परंपरा और आचार्य द्विवेदी की आलोचना के लोचन, हिन्दी का प्रथम आत्मचरित अर्द्ध-कथानक – एक अनुशीलन, हिन्दी साहित्य का इतिहास, श्यामसुन्दर कपूर, रहस्यवादी जैन अपभ्रंश काव्य का हिन्दी पर प्रभाव प्रेमचन्द्र जैन ,भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी रामविलास शर्मा, हिन्दी साहित्य का आधा इतिहास, सुमन राजे, भारतेन्दु युग और हिन्दी भाषा की विकास परम्परा, डॉ राम विलास शर्मा, हिन्दी भाषा, इतिहास और स्वरूप,राजमणि शर्मा, हिन्दी साहित्य का इतिहास,नये विचार, नई दृष्टि डॉ सुरेश चन्द्र जैसी प्रसिद्द रचनाओं और कृतियों को शामिल किया गया है।