कोटा। सूचना एवम जनसंपर्क विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक और पर्यटन लेखक डॉ.प्रभात कुमार सिंघल और सह लेखक संग्रहालय एवं पुरातत्व विभाग,कोटा के संभागीय अधीक्षक उमराव सिंह की पुस्तक ” राजस्थान : हाड़ोती पुरातत्व एक अध्ययन” का विमोचन कोटा के राजकीय संग्रहालय परिसर में शुक्रवार को किया गया। मुख्य अथिति राजस्थान खादी एवं ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष पंकज मेहता ने अन्य अथितियो के साथ पुस्तक का विमोचन किया। ऐसा कम ही होता है कि पुरातत्व पर लिखी पुस्तक का विमोचन भी कोटा के एतिहासिक पुरातत्व स्थल छत्र विलास महल में हुआ जहां संग्रहालय है।
मुख्य अतिथि पंकज मेहता ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. सिंघल का लेखन राष्ट्रीय मुद्दों और पर्यटन पर तो लिखते ही रहे हैं लेकिन हाड़ोती के ऐतिहासिक और पुरात्तत्व महत्व सहित , कला , संस्कृति , पर्यटन और विकास आदि विषयों पर अनवरत जारी है और इनकी हर पुस्तक प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए हैंडबुक शोध ग्रंथ होता है। सह लेखक उमराव सिंह के साथ लिखी यह पुस्तक हाड़ोती के पर्यटन विकास में सहायक बनेगी।
मेहता ने इस अवसर पर कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान की पुरासम्पदा, संस्कृति , लोक कला , साहित्य को संरक्षित और विकसित करने के लिए हमेशा चिन्त्तित रहते हैं। हाड़ोती की पुरातत्व महत्व की सम्पदा को विकसित करने के पहले भी बजट में प्रावधान किया है और आगामी बजट में भी प्रावधान होंगे। कई पुरा स्थलों का जीर्णोधार किया जा चुका है और कई का किया जा रहा हैं। उन्होंने डॉ.सिंघल को बधाई देते हुए कहा लगभग चार दशकों में हाड़ोती उत्सव , दशहरा मेले और स्थानीय संस्कृति कार्य्रकम के रूप में में लगातार इनकी सक्रिय भागीदारी के साथ मिलकर काम करता रहा हूँ।
कार्यकम की अध्यक्षता करते हुए राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि पुरातत्व महत्व पर यह अनोखी, अनूठी और उपयोगी पुस्तक है जो पुस्तकालयों के माध्यम से भी रीडर्स के लिए उपयोगी , ज्ञानवर्धक है। उन्होंने कहा कि ऐसी पुस्तकों का डिजिलटल करना ज़रूरी है जबकि आधुनिक तकनीक के माध्यम से हर मंच पर ऐसी ज्ञानवर्धक पुस्तकों का प्रकाशन कर प्रोत्साहित करना ज़रूरी हो गया है।
कार्य्रकम के विशिष्ट अतिथि ह्यूमन रिलीफ सोसायटी के महासचिव एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने कहा के , डॉ.सिंघल कभी भी सेवाओं से निवृत नहीं हुए हैं क्योंकि कोई भी व्यक्ति जो सेवा के उद्देश्य से लेखन करता है वह कभी निर्वत्त नहीं होता। इसीलिए ,हज़ारों लेख लिखने, दर्जनों पुस्तकों के लेखन ,अख़बारों के सम्पादन के बावजूद भी हर रोज़ लिखने की इन्हें अंतरात्मा से प्रेरणा मिलती है और हर विषय लिखते हैं।
विशिष्ठ अथिति वरिष्ठ साहित्यकार जितेंद्र निर्मोही ने कहा कि डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल का लेखन और सृजन साहित्य की परिभाषा से परे नहीं है। इनका लेखन ज्ञान वर्धन करता है जिसने एक दर्शन होता है। हाल ही में इन्होंने मेरे बारे में संक्षिप्त लिखा जिसे राजस्थानी भाषा साहित्यकारों के शीर्ष लोगों ने बेहतर तरीके से सराहते हुए ऐसे लेखन की प्रशंसा की, मैं धन्य हो गया।
लेखक डॉ. सिंघल ने बताया कि किताब के लिए भेजे गए यूडीएच मंत्री श्री शांति धारीवाल जी का संदेश भी महत्वपूर्ण है। भूमिका विद्वान इतिहासविद डॉ.बृज किशोर शर्मा द्वारा लिखी गई है। किताब में कोटा,बूंदी,झालावाड़ और बारां जिलों के पुरातत्व स्थलों के साथ – साथ सभी राजकीय और राव माधोसिंह संग्रहालयों को शामिल किया गया है। पुरातत्व स्थलों के साथ – साथ अन्य पर्यटन स्थलों और हेरिटेज संरक्षण कार्यों को भी संदर्भवश शामिल किया गया है। अलग से एक अध्याय संस्कृति के प्रमुख पक्षों पर भी है। यथा स्थान कतिपय चित्रों का समावेश भी किया गया है। किताब तैयार करने में कोटा के इतिहासविद श्री फिरोज अहमद और झालवाड़ के पुरातत्वविद ललित शर्मा और चारों संग्रहालयों के प्रभारियों का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ है।
सह लेखक उमराव सिंह ने बताया कि राज्य सरकार के संरक्षित 60 स्थल पुरातत्व स्थलों सहित भारत सरकार के संरक्षण पुरात्तव विभाग के अंचल के सभी पुरास्थलों की महत्वपूर्ण जानकारी को एक जगह पर इस पुस्तक के माध्यम से संकलित किया गया है। मैने देखा कि सिंघल में कई दिनों तक घंटों – घंटों संग्रहालय में बैठ कर प्रदर्शनों का बारीकी से गूढ़ अध्ययन और विश्लेषण किया है। पहले इनकी योजना केवल चारों राजकीय संग्रहालय पर लिखने की थी परन्तु बाद में योजना ने बदलाव कर समस्त राजकीय पुरातत्व स्थलों को जोड़ने की योजना बनाई गई।
चिल्ड्रन वेलफेयर सोसायटी के सदस्य अरुण भार्गव ने कहा कि हम जहां भी जाते हैं डॉ. सिंघल के लेखन पर चर्चा ज़रूर होती हैं। जिला पर्यटन अधिकारी संदीप श्रीवास्तव कहा की डॉ. सिंघल ने हाड़ोती के साथ – राजस्थान की कला, संस्कृति और पर्यटन को न केवल राष्ट्रीय वरन अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में लेखन किया है।ये पर्यटन विभाग से सक्रिय रूप से जुड़े रहते हैं।
इतिहासविद फ़िरोज़ अहमद ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. सिंघल ने ऐतिहासिक विषय हो , पुरातत्व विषय हो , वर्तमान में नामचीन शख्सियतें हों , विरासत को बचाने , लोगों तक पहुंचाने के लिए सार्थक और सकारात्मक प्रयासों में जुटे हैं। उनकी इन सेवाओं की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। साहित्यकार विजय जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।श्रीमती शमा फिरोज ने विरासत पर अपनी गजल प्रस्तुत कार्यक्रम को सार्थकता प्रदान की।
आभार व्यक्त करते हुए सेवानिवृत सहायक निदेशक जनसंपर्क घनश्याम वर्मा ने कहा कि डॉ.सिंघल की लगातार लिखने की क्षमता को देखकर हमें भी प्रेरणा मिलती है। उन्होंने अपने निरंतर लेखन के अनुभव भी बताए। कार्यक्रम में ,पत्रकार के डी अब्बासी , न्याज़ मोहम्मद , सिक्कों के संग्रहणकर्ता विशेषज्ञ , एडवोकेट शैलेश शर्मा, हस्तशिल्पी अखिलेश बेगरी , सहितत्यकार हेमंत पाराशर , वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विजय जोशी, प्रसिद्ध फोटिग्राफर नेचर प्रमोटर अब्दुल हफ़ीज़ जैदी, रणदीप सोलंकी सहित शहर के गणमान्य , साहित्यकार, प्रबुद्ध लोग मौजूद थे।