एक दिन ही सही,
वतन-परस्ती के ज़ज़्बे से स्नान कर लेना,
मज़हब अपना हिन्दुस्तानी कर लेना,
एक दिन ही सही,
सियाचिन पर तैनात फौलादी फौजियों की,
थोड़ी खैरियत ही पूछ लेना,
वतन-परस्ती के ज़ज़्बे से स्नान कर लेना।
एक दिन ही सही,
आजाद,उधम, भगतसिंह को सलाम कर देना,
काले पानी में जमींदोज शहादतों पर इंकलाब लिख देना,
एक दिन ही सही,
जलियांवाला हत्याकांड याद कर आंखें नम कर लेना,
डोली उठी आजादी की उन कांधों को सलाम कर लेना,
वतन-परस्ती के ज़ज़्बे से स्नान कर लेना।
एक दिन ही सही,
कोख के कुंवर जिनके चढ़ गये सूली पर,
लाखों मांओं को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दे देना,
कांधे पर निकला ज़नाज़ा जवान का,
उस बाप की जड़ आंखें याद कर लेना।
वतन-परस्ती के ज़ज़्बे से स्नान कर लेना।
एक दिन ही सही,
पुलवामा की रक्त-रंजित माटी से मस्तक पर टिका निकाल लेना,
पंजाब,सिंध, गुजरात, मराठा तक नहीं,
द्राविड़, उत्कल, बंगा तक नहीं,
पड़ोसी देश तक तिरंगा फहरा देना।
एक दिन ही सही,
लहू के कतरे-कतरे पर जय हिन्द-जय भारत लिख देना,
कविता का हर अल्फाज़ देश के नाम कर देना,
वतन-परस्ती के ज़ज़्बे से स्नान कर लेना।
एक दिन ही सही,
खुद को सौभाग्यशाली समझ लेना,
युगपुरुष श्रीराम का पुनरागमन देख लेना,
एक दिन ही सही,
अखंड आर्यावर्त भारत-भू पर,
अखंड ज्योत प्रज्वलित कर लेना।
एक दिन ही सही,
घर-घर भगवा फहरा देना,
मज़हब अपना हिन्दुस्तानी कर लेना।
एक दिन ही सही,
नये हिन्दुस्तान की कल्पना तो कर लेना।
आज मेरा देश सही अर्थों में गणतंत्र मना रहा है,
देखो,मेरा तिरंगा भी श्रीराम के चरण चूमने कैसा आतुर हो रहा है!
कलियुग का नाश करने, रावणों का संहार करने,
एक बार दुबारा ही सही,
भगवान ने भूलोक पर फिर जन्म लिया है,
बुराई पर अच्छाई की जीत को फिर सिद्ध किया है।
एक बार ही सही,
जयकारा जय श्री राम का लगा लेना,
दिल्ली के चौबारों तक भी दिवाली मना लेना,
मज़हब अपना हिन्दुस्तानी बना लेना,
वतन-परस्ती के ज़ज़्बे से स्नान कर लेना।