मांग और आपूर्ति के भारी अंतर के बावजूद, ट्रेंनें अभी भी यात्रा का सबसे पसंदीदा साधन हैं: railyatri.in के अध्ययन में हुआ खुलासा
नई दिल्ली: railyatri.in द्वारा किये गये हालिया अध्ययन में पता चला है कि 10 लाख से अधिक लोग ट्रेन टिकटों की अनुपलब्धता के कारण रोजाना यात्रा नहीं कर पाते हैं। लंबी दूरी की गाड़ियों में मांग-आपूर्ति में भारी अंतर सर्वविदित है यानी किसी खास गाड़ी में उपलब्ध सीटों की संख्या की तुलना में अधिक लोग यात्रा करने चाहते हैं। हालांकि, इस अंतर को कभी भी ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है। त्ंपसल्ंजतपण्पद द्वारा जनवरी 2016 से इस अंतर का विश्लेषण करने के लिए देश भर में टिकट बुकिंग पैटर्न पर नजर रखी जा रही है।
देश भर के ट्रेन यात्रियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, अध्ययन में खुलासा किया गया कि लगभग 10-12 लाख संभावित यात्री ऐसे हैं जोकि रोजाना आधार पर कन्फर्म न हुये टिकटों के कारण यात्रा नहीं कर सके। यह वे लोग हैं जिनकी वेटलिस्ट टिकट कन्फर्म नहीं हुये। प्रतिशत के आधार पर देखें तो यह रोजाना लंबी दूरी के ट्रेन यात्रियों का लगभग 13 प्रतिशत है। यात्रा के पीक सीजन में, यह संख्या बढ़कर 19 प्रतिशत पहुंच जाती है।
त्ंपसल्ंजतपण्पद के डेटा वैज्ञानिकों ने 3100 रेलवे स्टेशनों पर 2800 गाड़ियों में सीट की तलाश कर रहे 30 लाख से अधिक यात्रियों द्वारा दर्ज ट्रैवेल प्लान का विश्लेषण करने के लिए गणितीय मॉडल का उपयोग किया। प्रिडिक्शन मॉडल का उपयोग कर, railyatri.in ने अनुमान लगाया कि इसका समग्र प्रभाव रोजाना आधार पर देश पर पड़ रहा है। मनीष राठी, सीईओ एवं सह-संस्थापक, त्ंपसल्ंजतपण्पद ने कहा, ‘‘गाड़ी में यात्रा में मांग-आपूर्ति के बीच व्याप्त अंतर से हम हमेशा ही अवगत हैं, लेकिन हमारे अध्ययन में सामने आया सरप्लस मांग का पैमाना हम सभी के लिए आंखे खोल देने वाला है।‘‘
राठी ने बताया, ‘‘किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के पहिये में लोगों के लिए बिना किसी परेशानी के यात्रा करने का सामर्थ्य एक आवश्यक घटक है। परिवहन के विकल्पों में बढ़ोतरी के बावजूद, ट्रेनें अभी भी लंबी दूरी की यात्रा का सबसे पसंदीदा साधन बनी हुई हैं। यह सोचना जरूरी है कि अधिक ट्रेनों का समावेश करना आदर्श समाधान होगा। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि सैकड़ों अतिरिक्त गाड़ियों को प्रतिदिन चलाया जाये। पहले से ओवरलोड नेटवर्क के मद्देनजर निकट भविष्य में और अधिक ट्रेनों को जोड़ने के अवसर कठिन नजर आते हैं।‘‘
इस अध्ययन के हिस्से के तौर पर, त्ंपसल्ंजतपण्पद ने प्रमुख स्टेशनों और यात्रियों के प्रतिशत की एक सूची तैयार की है जिन्होंने टिकट तो बुक कराया पर वे सीट कन्फर्म नहीं होने के कारण यात्रा नहीं कर सके।
यात्रियों को सुझाव देते हुये राठी ने कहा, ‘‘ट्रेन यात्रियों को व्यावहारिकता के अनुसार अब मल्टी-मॉडल ट्रैवेल अप्रोच पर विचार करने की जरूरत है। त्ंपसल्ंजतप में हमारा एक प्रयास लंबी दूरी की बसों, टैक्सियों आदि से यात्रियों को जोड़कर उन्हें ऐसा करने में सक्षम बनाना है।‘‘
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