शोले फिल्म के गब्बर सिंह की जान इमर्जेंसी की वजह से बची थी। इमर्जेंसी के दौर में बनी इस फिल्म में पहले क्लाइमैक्स में गब्बर की मौत हो जानी थी, मगर सरकारी अधिकारियों के कहने पर उसे मारने के बजाय जेल भेज दिया गया। शोले फिल्म का क्लाइमैक्स शूट भी हो चुका था, मगर सेंसर बोर्ड के अधिकारियों के जोर डालने के बाद इसे दोबारा शूट किया गया। नए क्लाइमैक्स में गब्बर को मारने के बजाए पुलिस के हवाले कर दिया। इंटरनेट पर शोले के मूल क्लाइमैक्स का विडियो भी उपलब्ध है।
शोले फिल्म के आखिरी पलों में दिखाया जाता है कि ठाकुर कील वाले जूतों से गब्बर की पिटाई कर रहा होता है। इससे पहले कि ठाकुर पीट-पीटकर गब्बर को मार डाले, पुलिस पहुंच जाती है और गब्बर को अरेस्ट करके ले जाती है। मगर फिल्म के मूल क्लाइमैक्स में गब्बर की मौत हो गई थी। इसमें कहानी यह थी कि ठाकुर अचानक कूदकर गब्बर की छाती पर चोट करता है और गब्बर उछलकर खंबे से जा टकराता है। खंबे से निकला नुकीला सरिया उसकी पीठ में घुस जाता है और उसकी मौत हो जाती है। इसके बाद वीरू वहां पहुंचकर ठाकुर को संभालता है।
शोले के निर्देशक रमेश सिप्पी के अलावा फिल्म लिखने वाली जोड़ी सलीम-जावेद के जावेद अख्तर भी बता चुके हैं कि इमर्जेंसी की वजह से फिल्म में बदलाव करना पड़ा था। उन्होंने कहा था, 'जिस दौरान यह फिल्म बनी थी, वह इमर्जेंसी का दौर था। सरकारी अधिकारियों का कहना था कि गब्बर सिंह को मार गिराना कानूनन सही नहीं है। ऐसे में मजबूरन क्लाइमैक्स को दोबारा शूट करना पड़ा। यह बात अलग है कि उन अधिकारियों को गब्बर की हरकतें गैर-कानूनी नहीं लगीं।'