Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeपत्रिकाकला-संस्कृतिसरकार द्वारा भारतीय संस्कृति की धारा को नया आयाम देने की...

सरकार द्वारा भारतीय संस्कृति की धारा को नया आयाम देने की पहल

2014 के बाद मोदी सरकार ने अपने समृद्ध विरासत और समृद्ध संस्कृति पर गर्व किया है। मोदी सरकार ने अपने सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण लिए अति गंभीर है। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान अपने रुख को स्पष्ट किया है, जबकि इससे जुड़े पहलुओं को “दिल्ली घोषणा पत्र” में स्थान दिया गया है ।दिल्ली घोषणा पत्र में सर्वसम्मत से पारित किया गया है की तस्करी, चोरी सहित दूसरे देशों से आयातित किसी भी कलाकृति, सांस्कृतिक धरोहर को प्राप्त करने का मूल देश का मौलिक अधिकार है। जिन देशों के पास ऐसी बेशकीमती वस्तुएं मौजूद हैं उन्हें स्वेच्छा से उसे वापस कर देना चाहिए। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा G- 20 की बैठकों के दौरान इस विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता से रखा गया है; क्योंकि वर्तमान सरकार भारत के सांस्कृतिक धरोहर पर गौरव कर रही है। मंत्रालय के अनुसार, विगत वर्षों में उसे दूसरे देशों में मौजूद अपनी कलाकृतियों को वापस लाने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है।

वर्तमान सरकार के सक्रिय सहयोग और उपादेयता से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और अन्य परियोजनाओं के उपादेयता के कारण मंदिरों, गंगा जी की घाटों, गलियों और मंदिर परिसरों का कायाकल्प हुआ है। केदारनाथ मंदिर मोदी जी के हृदय और मानस में बसता है। मोदी जी ने केदारनाथ परिसर में आदि शंकराचार्य की नई प्रतिमा का अनावरण किया, जो सभ्यता और संस्कृति का शाश्वत प्रतीक है। मोदी जी ने अगस्त, 2020 में अयोध्या में श्री राम मंदिर के लिए भूमि पूजन किया, जो जनवरी ,2024 में बनकर पूरी तरह तैयार है। यह संप्रति भारत में यादगार अवसर बन चुका है। देश की खोई हुई विरासत को स्वदेश लाना मोदी सरकार की मौलिक प्राथमिकता रही है। मोदी सरकार ने हमारे” पूजनीय देवताओं को वापस लाना” के लिए आगे बढ़कर काम किया है।

कई बार विदेशी यात्राओं पर वैश्विक नेताओं और बहुपक्षीय संस्थाओं से इस पर विचार – विमर्श किए हैं। इस ऊर्जावान संचेतना की उपादेयता है कि यूरोप और संसार के अन्य बहुत से देश भी इस दिशा में प्रेरित हुए है। इस प्रकार मोदी जी ने सफलतापूर्वक वैश्विक आंदोलन की शुरुआत किए हैं। अभी तक 251 मूर्तियां और प्राचीन धरोहरों को दूसरे देशों से वापस लाया गया है। मोदी सरकार ने स्वदेश दर्शन के तहत 15 पर्यटन सर्किट को विकसित किया है। चार धाम कनेक्टिविटी योजना के तहत 889 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित किए जाएंगे। हृदय योजना के अंतर्गत 12 हेरिटेज शहरों का विकास किया जा रहा है। प्रसाद योजना के अंतर्गत सांस्कृतिक स्थलों के विकास के लिए 1200 करोड रुपए का निवेश किया गया है। भारत सरकार द्वारा 10 नए जनजाति स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्थापित किया जा रहे हैं।

देश से 251 मूर्तियां और प्राचीन धरोहरों को वापस लाया गया है। इनमें 238 मूर्तियां और प्राचीन धरोहरों को 2014 के पश्चात लाया गया है। इस दौरान जिन प्राचीन धरोहरों और पवित्र मूर्तियों को वापस लाया गया है उनमें वाराणसी की अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति, चित्तौड़गढ़ की नटराज की मूर्ति,चोल कॉल की श्री देवी जी की मूर्ति ,हनुमान जी की मूर्ति, राम जी ,लक्ष्मण जी और सीता जी की अष्टधातु की मूर्तियां और भगवान बुद्ध की कई प्रतिमाएं शामिल हैं। इन मूर्तियों और धरोहरों में से ज्यादातर अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से वापस लाई गई है। औपनिवेशिक कालखंड में भारत से बड़े पैमाने पर अमूल्य कलाकृतियां और धरोहरों को ब्रिटेन और फ्रांस सहित कई देशों में चोरी छुपे या फिर युद्ध के दौरान लूट कर ले जाया गया था।

(लेखक प्राध्यापक एवँ राजनीतिक विश्लेषक हैं)

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार