उस डॉक्यूमेंट में आखिर ऐसा क्या है जिससे हमें परेशान होना चाहिए? असल में उसमें हमारे लिए एक आईना भी है। मैं बताता हूँ कि उसमें क्या है, लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि वामपंथियों के लिए उसे किसी सरकार ने नहीं बनाया है, चंद लोगों और कुछ संगठनों ने तैयार किया है उसे। हम भी कर सकते हैं,लेकिन नहीं करते। ‘किसान आंदोलन क्या है?’ – उन्होंने एक सवाल डाला और एकाध पन्ने का जवाब बना डाला प्रोपेगंडा के लिए। ज्यादा कुछ नहीं लिखा, बस 10-15 लाईनें। क्या हम ऐसा नहीं कर सकते? PIB और मंत्रालयों की वेबसाइटों पर सब बना-बनाया उपलब्ध है। दुनिया को बताने के लिए निकलना होगा।
अनपढ़ ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से पूरे टूलकिट को लीक कर दिया। उसमें सब लिखा है कि कब क्या करना है और किस दिन कितने बजे कौन सा सेलेब्रिटी कौन सी खबर का लिंक शेयर कर के कौन सी फोटो ट्वीट करेगा। इस डॉक्यूमेंट में विदेशियों को बताया गया है कि संसद ने जल्दबाजी में बिना किसानों की सलाह लिए बिल पास करा दिया। जबकि सच्चाई ये है कि इस पर एक दशक से विमर्श की प्रक्रिया चल रही थी और बहस के बाद दोनों सदनों से ये पास हुआ। लिखा है कि भारत सरकार अपने नागरिकों की हत्या कर रही है, उनके साथ क्रूरता कर रही है और उन्हें जेल भेज रही है। फिर 26 जनवरी को घायल होने वाले 400 पुलिसकर्मी कौन थे?
भारत को एक तानाशाही देश की छवि देने का प्रयास है ये। APMC और MSP को लेकर झूठ फैलाया गया है। पुलिस पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर हमलों का आरोप है। शांति हम देख ही चुके हैं इनकी। इससे पहले इन्होंने ‘अडानी फाइल्स’ बनाई थी, ताकि अडानी ग्रुप्स को ऑस्ट्रेलिया में निवेश करने से रोका जाए। भारत का निवेश वहाँ न हो, इसकी साज़िश है ये। यूएस-यूरोप की बड़ाई की गई है कि उन्होंने छोटे किसानों को जमीनें दी। वाहवाही के लिए दावा किया गया कि अधिकतर ये आंदोलन महिलाएँ चला रही हैं। CAA विरोधी आंदोलन के समय कैसे ख़ातूनों को आगे किया गया था, हमने देखा।
UN से लेकर UK सरकार के किस अधिकारी/नेता को कब और कैसे याचिका डालनी है – सब बताया गया है। AltNews से लेकर अन्य कौन से संस्थानों और लिबरल गिरोह के लोगों को फॉलो करना है, ये भी लिखा है। भारत सरकार के किन हैंडलों को टैग कर के दबाव बनाना है, ये भी लिखा है। महँगाई बढ़ने की बात कही गई है, जबकि आँकड़े कहते हैं कि Inflation कम हुआ है। कैसे ट्वीट करना है, इसकी कई टेक्स्ट्स की सूची दी गई है। जो मन है, वो ट्वीट करें। ट्रैक्टरों, महिलाओं और प्रदर्शनकारियों की कुछ तस्वीरें हैं, जिन्हें आप ट्वीट कर सकते हैं। सोशल मीडिया के जरिए देश की छवि बिगाड़ने के लिए ये सब किया गया।
और हमारे यहाँ जो भी मोदी विरोधी वामपंथी हैं, वो हो-हो कर के इनका साथ दे रहे हैं और इन देश-विरोधी गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं। वो इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प – सब पर एक-एक चीजें शेयर करते हैं। फिर हम क्यों नहीं? PIB ने FAQ जारी किया था किसान आंदोलन को लेकर, कृषि मंत्रालय रोज इसके फायदे ट्वीट्स करता है ग्राफ और तस्वीरों से – हम में से कितनों ने शेयर किया? बाद में हम सरकार को गाली देंगे कि तुमने इकोसिस्टम नहीं बनाया। वो ‘Fascism’ लिखते रहेंगे और ‘Spine’ की बातें करते रहेंगे, हमें तो बस तथ्यों को शेयर कर देना है। जैसे, कल हमारी जीत हुई।
सुबह से वो रिहाना-रिहाना कर रहे थे। ग्रेटा थनबर्ग और मिया खलीफा के ट्वीट्स आए। शाम तक गेम बदल गया। सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर से लेकर विराट कोहली और अक्षय कुमार तक ने ‘India Against Propaganda’ और ‘India Together’ हैशटैग के साथ ट्वीट किया। सारे ट्रेंड्स हमारे पक्ष में आए। जो कह रहे थे कि रिहाना ने इसे गलत कह दिया तो ये गलत है, वो कहने लगे कि सेलेब्स के कहने से थोड़ी होगा। नया भारत है ये, जहाँ हमने एक सेलेब के बदले 100 उतार दिए। हमने नहीं, सरकार ने। सरकार ने भी इसीलिए, क्योंकि हम एक हैं। हमें ऐसा बनना है कि हमारी सरकार न भी हो, तब भी ऐसे ही जीत हो।
हमने कल ताकत दिखाई। करोड़ों ट्वीट्स हुए। जमीन पर हम ही मजबूत हैं, किसी को भी नेस्तनाबूत कर सकते हैं। विदेशी पोर्न स्टार्स दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को नहीं सिखाएगी कि कैसे कानून पास करते हैं। ये हम तय करेंगे। जो भी किसान आंदोलन का समर्थन करे, उनसे पूछिए कि उन घायल 400 दिल्ली पुलिस के जवानों के मानवाधिकारों का क्या? जब वो कहें कि हमला करने वाले भाजपाई थे, तो उनसे पूछिए कि फिर उनके लिए 70 वकीलों की फौज कॉन्ग्रेस की सरकार क्यों उतार रही है? फिर वो ‘Fascism-Fascism’ करते हुए भाग खड़े होंगे। जब किसान नाराज है तो पंजाब का ही क्यों? जबकि अधिकतर खेत यूपी-बिहार-एमपी में हैं।
रिहाना और बिल गेट्स में किसकी बात मानी जाएगी? बिल गेट्स ने तो मोदी को अवॉर्ड दिया था न? अब तक एक भी, एक भी विदेशी सरकार ने किसान आंदोलन पर बयान नहीं दिया है। फिर भी झूठ फैलाया जा रहा। हम तो पूरी दुनिया को वैक्सीन देने में लगे हैं। क्या यही है फासीवाद? दुनिए भर में भारत की दरियादिली की प्रशंसा हो रही है, इसीलिए वे कुचक्र रचा जा रहा है। अब तो अमेरिका में भी हमारी वैक्सीन जाएगी। ‘वैक्सीन मैत्री’ को छिपाने के लिए ‘किसान आंदोलन’ लाया गया है। अगर विदेश में हमारी छवि खराब होती तो दर्जनों देशों (कई इस्लामी मुल्क) ने मोदी को सर्वोच्च अवॉर्ड नहीं दिया होता।
बस एक निवेदन है आपलोगों से। प्रतिदिन अपने 4 सोशल मीडिया हैण्डलों (इंस्टा, ट्विटर, फेसबुक और व्हाट्सएप्प) पर स्टोरी के माध्यम से सकारात्मक चीजें पोस्ट करें, जो हमारे नैरेटिव को आगे बढ़ाता हो। 4 मिनट लगेंगे रोज। दुनिया को जैसे कल लोहा मनवाया, आगे भी मनवाएँगे।
तत्वज्ञ देवस्य की वाल से साभार ।
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