कोटा 21 फरवरी/ राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा में पिछले दिनों पांच दिवसीय “लिट्रेचर फेस्टिवल” का आयोजन हुआ. जहाँ तक मेरी स्मृति है,ऐसा आयोजन कोटा में पहलीबार ही हुआ है जिसमें पुस्तकालय के ऊर्जावान पुस्तकालयाध्यक्ष श्रीमान डॉ दीपक श्रीवास्तव जी की दूरदृष्टि और त्वरित संयोजन क्षमता का अद्भुत संगम देखने को मिला।
पाँचदिनों साहित्य का,त्यौहार लगा अलबेला जी,
खूब रहा था पांचो ही दिन,यह सारस्वत मेला जी ।
भांति भांति के विषयों वाली,बुकस्टालेँ खूब लगी,
जहाँ देखके श्रेष्ठ पुस्तकें,सोई पाठक ललक जगी ।
हज़ारों पुस्तकों से सजी प्रख्यात प्रकाशन संस्थानों की बुकस्टालोँ का तो आकर्षण रहा ही, लेकिन हाड़ोती के साहित्यकारों और उनके साहित्य को लेकर जिस प्रकार से शताधिक चर्चा – सत्रोँ का निर्माण किया गया और वे सभी सत्र लगभग 250-300 रचनाकारों के सहज जुड़ाव का माध्यम बने, बनकर डॉ दीपक श्रीवास्तव तथा उनके अन्य सहयोगियों के आयोजन चातुर्य के साक्षी रहे l
स्थानीय एवं हाड़ोती संभाग के दूरस्थ स्थानों से भी इस फेस्टिवल में सहभागिता करने हेतु बड़ी ललक के साथ आये साहित्यकारों का यह अनूठा संगम रहा।
कहने में कोई संकोच नहीं है कि इस पंचदिवसीय “लिट्रेचर फेस्टिवल” ने पहलीबार हाड़ोती में नवीन अभिनव साहित्यिक माहौल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ख्यातनाम शिक्षाविदों, विश्वविद्यालय के कुलपतियों, संस्कृतिकर्मियों, समाज के सजग नागरिकों, पत्रकारों, सभी ने इसकी मुक्तकंठ से सराहना करी है और भविष्य के लिये बेहतरीन सम्भावनाओं को जगाया है । कह सकता हूँ कि —
चाहे आयोजित हुआ , हो यह पहलीबार
लेकिन पूर्ण सफल था, यह पोथी त्यौहार
ललक जगाई , होवे ऐसा, प्रतिवर्ष हरबार
पात्र बधाई का है पूरा,पुस्तकालय परिवार