समाज में अनेक विभूतियां देखने को मिलती हैं जिन्होंने अपनी रुचि और प्रयास से अपना मुकाम बनाया और प्रसिद्धि प्राप्त कर प्रेरणा का श्रोत बने। जब मुझे पता चला कि कोटा की श्रीमती मुक्ता पाराशर ने कुन्हाड़ी में बिजासन माताजी मंदिर के पीछे सीढ़ियों से नीचे उतर कर कराई में दशावतार पट्टिका और कुछ अन्य पुरातत्व चिन्हों पर अनुसंधान कर एक लेख लिखा है तो इतिहास का अध्येता होने के नाते इस विषय में मेरी भी जिज्ञासा जाग्रत हुई और आर्य समाज रोड स्थित उनके पैतृक आवास पर रविवार 26 फरवरी को मुलाकात करने जा पहुंचा।
उन्होंने बताया की पुरानी वस्तुओं को देखने की रुचि पहले से थी। वह कई बार संग्रहालय और पुराने मंदिर देख चुकी हैं। करीब 10 साल पहले कुछ इतिहास और पुरातत्व विशेषज्ञों के संपर्क में आई। इनसे संपर्क होने पर पुरातत्व की ओर उनकी रुचि बढ़ गई और उन्होंने प्राचीन स्थानों को देखने और उन पर खोज कर लिखना शुरू कर दिया। प्रारंभिक तौर पर दशावतार पट्टिका प्रथम प्रयास है। इस स्थान को स्थानीय लोग ” कान्हा कराई” कहते हैं। जब इनका पता चला तो संदेह हुआ कि कहीं ये महत्वपूर्ण स्थल चंबल रिवर फ्रंट की वजह से संकट में नहीं आ जाए। इसको लेकर जब धारीवाल जी से मिले तो उन्होंने कहा चिंता नहीं करें अगर ऐसा हुआ तो इन्हें संग्रहालय में रखवा देंगे। उन्होंने कैथून क्षेत्र के दो मंदिरों बनियानी मंदिर और उरना मंदिर पर भी अनुसंधान किया है। उनका प्रयास रहेगा कि ऐसे प्राचीन मंदिरों और स्थानों पर शोध कार्य कर प्रकाश में लाएं जो पुरातत्व विभाग के अधीन नहीं हैं। उनके पुरातत्व संबंधी आलेख इतिहास से संबंधित कुछ पत्रिकाओं में प्रकाशित होने से वे इस ओर पूर्ण उत्साहित हैं।
ऐसे ही किशोरावस्था में अपनी बड़ी बहन प्रीत को जब ड्राइंग बनाते देखती थी तो चित्रकला के प्रति रुझान हो गया। आपने इसी वजह से विज्ञान में स्नात्तक उत्तीर्ण करने पर ड्राइंग में स्नातकोत्तर और “कोटा पेंटिंग में प्रकृति चित्रण ” विषय पर 2010 में पीएच. डी.की उपाधि हांसिल की। चित्रकला का ऐसा जुनून सवार हुआ कि इस क्षेत्र में आप एक हस्ताक्षर बन गई।
आपने स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की करीब 50 चित्रकला प्रदर्शनियों और अनेक सेमिनारों में भाग लिया। सेमिनार्स में चित्रकला संबंधी शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं और कई पत्रिकाओं में इनका प्रकाशन हुआ है।अंकलक शोध संथान कोटा और राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन नई दिल्ली 2012 द्वारा ‘राजस्थान की ज्ञान संपदा और पांडुलिपी’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लिया। आपने 2020- 2021 में पेपर प्रेजेंटेशन और लगभग 67 अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय वेबिनार में भाग लिया। रूस और भारत द्वारा 2023 में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अतिथि व्याख्यान हेतु इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र व सांस्कृति मंत्रालय मे आमंत्रित किया। रूसी दूतावास में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में भाग लिया। शोध प्रबंध पर पुस्तक के साथ – साथ पुस्तक भी प्रकाशित हुई है। आपने चित्रकला की तीन प्रदर्शनियों के खूबसूरत केटलाग भी डिजाइन कर प्रकाशित कराए हैं। चित्रकला में आप शोध गाइड के रूप में भी पंजीकृत हैं। दो विद्यार्थियों ने आपके मार्गदर्शन में पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त करली हैं और एक विद्यार्थी का शोध प्रबंध उपाधि प्राप्त करने की प्रक्रिया में है।
चित्रकला और विविध क्षेत्रों में सेवाएं देने पर आपको कई बार विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। आपको मिले पुरस्कारों की इतनी लंबी फेरिस्त है की आपका एक कक्ष अजायबघर बन गया है। प्रमुख पुरस्कार और सम्मान में “कला इतिहास रतन” राष्ट्रीय पुरस्कार “साहित्य मंडल”, श्रीनाथद्वारा,अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्य अकादमी’ पुरस्कार, इलाहाबाद , टाइम्स ऑफ इंडिया और बंसल क्लासेस कोटा द्वारा सम्मानित ‘वुमन ऑफ सब्सटेंस’ पुरस्कार, हड़ौती उत्सव आयोजन समिति कोटा द्वारा ‘हड़ौती नारीत्व सम्मान’ , संवेदना सेवा एवं रिसर्च फाउंडेशन समिति कोटा द्वारा नशा मुक्ति अभियान मे कला द्वारा जागरूकता के लिए सम्मान, प्राइवेट कॉलेज एसोसिएशन यूओके द्वारा ‘शिक्षक रतन’ पुरस्कार, अखिल राजस्थान संनाढय ब्राह्मण महिला सभा द्वारा ‘संध्या गोरव’ पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय युवा परियोजना द्वारा ‘शांति के पुजारी’ पुरस्कार, संकल्प क्रांति सम्मान, शाइन इंडिया फाउंडेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ आई एंड ऑर्गन डोनेशन द्वारा अभियान में कला द्वारा जागरूकता के लिए कोटा रत्न, ज़ी न्यूज राजस्थान “वूमेन एम्पावरमेन्ट एवार्ड, 2019 ,फॉरएवर स्टार इंडिया अवार्ड द्वारा रियल सुपर वुमन अवार्ड 2020, राजस्थान पुरातत्व पुरालेख कांग्रेस 2020 द्वारा “कला इतिहास श्री” सम्मान, मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी फारसी शोध संस्थान 2018 द्वारा सम्मान, वर्ल्ड रिकोड्स बिएनले फाउंडेशन 2020 द्वारा कोविड 19 की जागरूकता के लिए “दयालुता प्रमाणपत्र” सम्मान, जीएसी गुजरात 2020 द्वारा कोविड 19 के लिए फ्रंट लाइन वॉरियर ऑनर, श्री दादा साहेब फाल्के अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार फिल्म फाउंडेशन वडोदरा गुजरात 2020 द्वारा “कोरोना योद्धा” पुरस्कार, टीआई पी द्वारा वर्ष 2021 के असाधारण चैजमेकर्स काइंडनेस एंबेसडर सम्मान, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम शिक्षा उत्कृष्टता पुरस्कार 2022 एवं मिकेल एंजिलो पुरस्कार 2022 उल्लेखनीय हैं।
परिचय
आपका जन्म कोटा में हुआ।आपने 1997 में जीवविज्ञान से स्नातक, 1999 में ड्राइंग और पेंटिंग में तथा 2006 में इतिहास ने स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर 2010 में ललित कला में पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की। प्राकृतिक चिकित्सा में दिल्ली से 2000 में डिप्लोमा भी किया। आपको 20 वर्ष का स्नातक तक और 11 वर्ष का स्नातकोत्तर अध्यापन का अनुभव है। आप कई कला संस्थाओं से भी जुड़ी हैं। वर्तमान में आप अकलंक कॉलेज में अध्यापन कार्य, शोध पर्यवेक्ष और पुरातत्व अनुसंधान में
में सक्रिय हैं।
संपर्क मो.09079235853/098291-06356
(डॉ.प्रभात कुमार सिंघल लेखक एवं मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं व ऐतिहासिक, कला व संस्कृति से लेकर पर्यटन से जुड़े विषयों पर नियमित लेखन करते हैं)