मुंबई शहर को लेकर प्रायः यही सोच रहती है कि यहाँ लोग अपनी व्यस्तता में इतने डूबे रहते हैं कि अपन आसपास की दुनिया की उन्हें कोई खैर-खबर नहीं रहती। मगर इसी शहर में ऐसे लाखों लोग मिल जाएंगे जिनका दिल उन लोगों के लिए धड़कता है जो अपनी आवाज़, अपनी विषमता और अपनी असहाय स्थिति के बारे में न तो किसी से बात कर सकते हैं न कभी किसी को समझा सकते हैं।
मुंबई की श्री हरि सत्संग समिति और साहित्य, संस्कृति और सामाजिक सेवा के लिए प्रतिबध्द कविता गुप्ता और दिनेश गुप्ता के बादलपुर चैरिटी ट्रस्ट, साहित्य, कला व संस्कृति को समर्पित सृजनकर्मियों के मंच ‘चौपाल’ व लॉयंस क्लब ऑफ जुहू मिलेनियम ने मुंबई वासियों को ऐसी प्रतिभाओं से रु-ब-रु करवाया जिन्होंने अपनी नैसर्गिक प्रतिभा और आत्मविश्वास से मुंबई वासियों को संवेदना के अहसासों से भिगो दिया।
जुहू स्थित इस्कॉन सभाग्रह में भोपाल की संस्था ‘आरुषि’ के दिव्यांग बच्चों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम दर्शकों व श्रोताओं के लिए एक ऐसा अनुभव था जो आजीवन उनकी स्मृतियों में बना रहेगा। ‘आरुषि’ द्वारा दिव्यांग बच्चों को सृजनात्मक प्रशिक्षण देकर उनके अंदर कुछ कर गुज़रने का आत्मविश्वास पैदा किया जाता है, और इस मंच पर आकर इन बच्चों ने सिध्द कर दिया कि उनकी प्रतिभा, उनका आत्मविश्वास और उनका हौसला किसी सामान्य बच्चे से किसी भी स्थिति में कमतर नही है।
कार्यक्रम में गुलज़ार साहब को उनकी चिर-परिचित गर्जिली खरशती आवाज़ में सुनना एक अद्भुत व रोमांचकारी अनुभव था। गुलज़ार साहब ने बताया कि वे खुद जब भी भोपाल जाते हैं, इन बच्चों के साथ समय बिताते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस संस्था से 25-30 सालों से जुड़ा हूँ। जीना क्या होता है ये मैं इन बच्चों के बीच रहकर ही सीखता हूँ। मैने इन बच्चों को शैतानी करते भी देखा है और मस्ती करते हुए भी, मगर इन्हें कभी उदास नहीं देखा। समाज के हर व्यक्ति का दायित्व है कि हम इन बच्चों को अपनाएँ और इन्हें मुस्कराहट दें, ये हमें जीने का सलीका देंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत में दिव्यांग बालक विष्णु ने गीत प्रस्तुत किया। इसके बाद विवेक ने कृष्ण भजन के साथ ही ‘मन विजय करें मन को शक्ति देना’ गीत प्रस्तुत किया तो पूरा सभागार मानों संवेदनाओं में हिलोरें लेने लगा। विवेक ने यसुदास का गीत ‘मधुवन खुशबू देता है’ से श्रोताओं को शब्दों की मिठास से तरबतर कर दिया। इसके बाद शुभा की नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को स्तब्ध कर दिया। फिर महिमा द्वारा प्रस्तुत गीत तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी हैरान हूँ जिस आरोह अवरोह के साथ प्रस्तुत किया उससे श्रोता हैरान रह गए। एक के बाद एक बच्चों अनन्या, पूजा, आफशा और अमित जिंदल की प्रस्तुतियाँ होती रही और सभागार में तालियाँ गूँजती रही।
इसके बाद बच्चों ने ‘करेंगे नाटक’ के नाम से मजेदार नाटक प्रस्तुत किया। जिसमें बताया गया कि जंगल में रहने वाले प्राणी मनुष्यों द्वारा पैदा किए जा रहे शोर से कैसे परेशान हो रहे हैं। इस छोटे से से मगर प्रभावी नाटक में जंगल को बचाने के लिए जो संदेश दिया गया वह दर्शकों को झकझोरता रहा।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादेमी के अध्यक्ष व जाने माने एकल नाटकाकर श्री शेखर सेन, पटकथा लेखक व अभिनेता श्री अतुल तिवारी, श्री राजेन गुप्ता, गायिका रेखा भारद्वाज. सहित साहित्य, कला, संगीत व थिएटर से जुड़े कई जाने माने लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का सरस व प्रवाहमयी संचालन कनुप्रिया ने किया।