जौनपुर जिले के सराय ख्वाजा का भादों छठ( सूर्य षष्ठी) मेला दिनांक 20 सितम्बर दिन रविवार को प्राचीन धरोहर दिव्य सूर्य कुंड सरोवर (पोखरे) मे स्नान के साथ ही विधिवत प्रारभ हो गया।
इस ऐतिहासिक मेले में लकड़ी, लोहे के व्यापारी सुदूर स्थित जिलों शहरों एवं गाँवों, कस्बों से प्रतिवर्ष १५ दिन पूर्व से पहुंचना प्रारंभ कर देते हैं !
पहले यहाँ पशुओं का भी मेला लगता था लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा मेले की भूमि पर कब्ज़ा ( अतिक्रमण) कर लेने के कारण स्थानाभाव में मेले का संकुचन हो गया ! अब यह ऐतिहासिक मेला सिर्फ और सिर्फ सड़क के किनारे सिमट कर रह गया है !
भू माफियाओं एवं अतिक्रमण करने वालों नेभ्रष्ट तरीके से राजस्व विभाग की मिलीभगत से इस ऐतिहासिक मेले की भूमि सहित बहुत सारे तालाब – पोखरे, झीलों एवं विनोबा भावे जी के भूदान आन्दोलन के वक़्त भूदान में अर्जित भूमि सहित पुराने सरायों, प्याऊ, पौसरों, गोचरों आदि सार्वजानिक प्रयोग की भूमि के दस्तावेजों में हेरा – फेरी कर धोखाधडी से अपने नाम दर्ज कराकर उनपे कब्ज़ा कर निजी संपत्ति घोषित कर रखा है !
कुछ तो पाट – पुट समतल करके उस पर खेती कर रहे कुछ उस पे बड़े- बड़े भवन बना रखे हैं कुछ उन्हें बेंचकर करोड़पति बने बैठे हैं ! ऐसे सार्वजानिक उपयोग की सरकारी सम्पत्ति को १९५२ के रिकार्ड्स से मिलान कर उसका सर्वे कराकर दोषी सभी अधिअक्रियों कर्मचारियों एवं कब्जेदार भू माफियाओं के खिलाफ दंडात्मक अक्र्यवाही सुनिश्चित करते हुए सभी सार्वजनिक उपयोग वाली सरकारी संपत्ति को व्यक्तिगत कब्जे से मुक्त कराया जाना जिला प्रशासन की प्राथमिकता में हो !
श्रद्धालु सूर्य कुंड सर्वोवर में भोर से ही स्नान प्रारंभ कर देते हैं । सूर्य कुंड सरोवर में कमल के बड़े पैमाने पे लगे पुष्पयुक्त पौधे सरोवर की शोभा को कई गुना बढ़ाते हैं , लेकिन दुर्भाग्यवश उस दिव्य कुंड सरोवर में बहुत ज्यादा गन्दगी ( प्रदुषण) के कारण उस सरोवर का पानी बदबू कर रहा था ।
कई वर्ष पूर्व हम उपरोक्त मेला स्थित कृषि विज्ञानं प्रदर्शनी में मुख्य अतिथि की हैसियत से उपरोक्त सरोवर की सफाई की बात (प्रताव) मेला) आयोजकों के समक्ष उठाई थी जिस्का परिणाम था कि विगत वर्ष तक सरोवर एवं उसका पानी बिलकुल साफ़ था , लेकिन इस वर्ष तो बहुत ही गन्दा था ।
गन्दगी का मुख्य कारण नियमित साफ़ सफाई ना होना, बाहर से भी गन्दगी का बहकर आना, पोखरे( सरोवर) के आस – पास भींटो पे बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों का नियमित शौच करना, स्नानार्थियों द्वारा सूर्य कुंड सरोवर के जल में पुष्पांजलि ( फुल माला सहित पूजन सामग्री) प्रवाहित करना , घाटों पर स्नान के बाद अपने कपडे वहीँ छोड़ देना, जल के अन्दर की मछलियाँ जोकि जल की सफाई करती हैं उनको बड़े पैमाने पर मारना !
इनसे गंदगी ( प्रदुषण) का स्तर दिनों दिन बढ़ता जा रहा ! इस अति प्राचीन दिव्य सूर्य कुंड सरोवर के दिव्यता एवं भव्यता को कायम रखने हेतु जिला प्रशासन को प्रदुषण ( गन्दगी) बढाने एवं फ़ैलाने वाले नेगेटिव कृत्यों पर सख्ती से रोक लगाने के साथ ही प्रतिवर्ष साफ़ सफाई कराते रहने चाहिए ! —