हर एक महान क्रिकेटर के पीछे उसके असाधारण गुरु की कम–से–कम एक कहानी तो होती ही है। ईशांत के मामले में, उनके गुरु हैं– उनके स्कूल के दिनों के क्रिकेट कोच– श्रवण कुमार। क्रिकबज़ (Cricbuzz) के नए शो स्पाइसी पिच के आधे घंटे के वेब एपिसोड में शर्मा ने बताया कि कैसे उनके कोच ने उनका जीवन बदल कर रख दिया।
जब शर्मा ने दसवीं पास कर ली तब दिल्ली में एक भी स्कूल ऐसा नहीं था जो उन्हें दाखिला देने को तैयार हो। वे सिर्फ स्टेट लेवल पर खेल रहे क्रिकेटरों को ही दाखिला देना चाहते थे। ऐसे में शर्मा अपने कोच श्रवण कुमार के पास गए।
ईशांत श्रवण कुमार से मिलने गए लेकिन वे क्रिकेट खेलने का मन बना कर नहीं गए थे। फिर भी कुमार ने उनसे कुछ गेंदें डालने को कही (वह भी उनके रबर के चप्पलों में ही) और उन 2–3 डिलीवरीज़ ने ही शर्मा का भाग्य बना दिया। कुमार ने उन्हें गंगा इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला दिला दिया (तब वे इसी स्कूल के हेड कोच थे)।
और यहीं से शुरु हुआ शर्मा का खेल करिअर– वे इस तरह से प्रैक्टिस करते जैसे यह खेल ही उनके जीवन का आधार हो, वे बहुत प्रतिस्पर्धात्मक (कॉम्पेटेटिव) इंटर– स्कूल टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेते और सबसे महत्वपूर्ण बात, उन्हें हर एक दिन कुमार से प्रशिक्षण मिल रहा था।
शर्मा याद करते हुए बताते हैं, “हर दिन सर मुझे दोपहर के 1 बजे गेंद देते थे और मुझे अंधेरा होने तक बॉलिंग करनी पड़ती थी। इस तरह मुझे लॉन्ग स्पेल्स के लिए स्टैमिना मिली। बॉलिंग मसल्स अलग होती हैं– आप कितना दौड़ते हैं या कितनी देर जिम करते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, एक अच्छा गेंदबाज़ बनने के लिए सबसे अच्छी चीज़ जो आप कर सकते हैं वह है, गेंदबाज़ी का जितना अधिक हो सके उतना अभ्यास करें।”
और जैसा कि वे बताते हैं, बाकी सब इतिहास है। कुमार से मिलने के साढ़े तीन वर्षों के भीतर ही, ईशांत शर्मा भारतीय टीम का हिस्सा थे। शर्मा कहते हैं कि उनके मन में अपने कोच का जो डर था उसी डर ने उन्हें आज के ईशांत शर्मा को बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई।
उनके कोच बताते हैं कि, “डर जरुरी है– क्योंकि इससे अनुशासन आता है। किसी भी व्यक्ति के लिए जो महान बनना चाहता है उसके जीवन में किसी–न–किसी का डर होना जरूरी है– चाहे वह माता–पिता का हो, एक कोच का या गुरु का।”
भारतीय क्रिकेट को बेहतरीन गेंदबाज़ देने वाले कुमार बहुत ही विनम्र व्यक्ति हैं। वे शर्मा की सफलता का बहुत अधिक श्रेय नहीं लेते। कुमार कहते हैं, “वो आज जो है, उसे मैंने नहीं बनाया, कोई भी किसी के लिए ऐसा नहीं कर सकता। यह पूरी तरह से उसकी मेहनत और किस्मत है।”