हिंदी भारत गणराज्य की पहचान है, बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवीय मूल्यों, संस्कृति और लोकतांत्रिक संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषण और परिचायक है। हिंदी भाषा अति सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ वैश्विक स्तर की सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसको वैश्विक स्तर पर बहुतायत मात्रा में मांग है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हिंदी तीसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है। भारत का संविधान, जो कि भारत भू – भाग का सर्वोच्च वैधिक दस्तावेज है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य 21 भाषाओं के अतिरिक्त हिंदी का विशेष स्थान है। वर्तमान सरकार हिंदी की स्वीकार्यता और सहमति को बढ़ाने में अग्रसर है। हिंदी के वैज्ञानिक विकास के लिए राजभाषा का गठन किया गया है। भारत सरकार इस बात के लिए ऊर्जावान प्रयास कर रही है कि केंद्र सरकार के सभी विभागों का कामकाज हिंदी में हो। भारतीय इतिहास में 14 सितंबर का दिन इसलिए अति महत्वपूर्ण है कि इसी दिन को हिंदी को आठवीं सूची में सम्मिलित किया गया था। इसकी उपादेयता महत्व और वैश्विक स्तर पर हिंदी के मूल्यों को लोकतांत्रिक सम्मान और उपादेयता प्रदान करने के लिए 1953 के पश्चात प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
हिंदी भाषा से हमारे जीवन शैली ,संस्कृति, सहन-सहन तथा मान सम्मान और वेशभूषा आदि का महत्व पता चलता है। हम अपने दैनिक जीवन के कार्य को संपादित करने के लिए हिंदी का प्रयोग करते हैं। हिंदी हमारे जीवन मूल्य, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषण और परिचायक है। अत्यंत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के कारण हिंदी वैश्विक स्तर की वैज्ञानिक भाषा है, जिसको वैश्विक स्तर पर चाहने,समझने और बोलने वाले बहुसंख्या में लोग हैं। व्यक्ति किसी भी स्तर पर पहुंच जाए, लेकिन उसको अपने मुख्य धारा से जुड़ना आवश्यक है। राष्ट्र के उन्नत के लिए भाषाओं से ओतप्रोत होना जरूरी है ।हिंदी भाषा बोलने वालों की संख्या 65% है।
भारत के अधिकतर हिस्सों में हिंदी बोली जाती है ,इसलिए हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया था। इसकी प्रासंगिकता इस तथ्य में निहित है कि हिंदी को सरलता से जनमानस के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का मौलिक उद्देश्य हिंदी के प्रति जागरूकता का उन्नयन करना है, जिससे हिंदी सामान्य जन में महत्वपूर्ण और प्रासंगिकता को बनाए रखें।