Sunday, November 24, 2024
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विश्‍व में तरक्‍की देखने की अवधारणा भारतीय हो – प्रो. बीएल गुप्‍ता

भोपाल। पश्चिम आधारित विकास को देखने का मापदंड ही गलत है । पश्चिम में विकास को उत्‍पादन से जोड कर देखा जाता है जबकि भारतीय अवधारणा में विकास सेवा कार्य पर आधारित है। सिद्धांतकार विकास की नई संकल्‍पना देते समय दुनिया को बताता हैं कि उसकी विश्‍व दृष्टि क्‍या है, लेकिन पश्चिम के संद्यातकारों ने विश्‍व दृष्टि के बदले नीजि दृष्टि से दुनिय को देखा। सैकडों वर्षो से दुनिया के विभिन्‍न हिस्‍सों में विकास के लिए अनेक नीतियां बनायी गई है। इन नीतियों में सेवा भाव नहीं शामिल होने से समस्‍या का समाधान कम बल्कि विकास अवरूध ज्‍यादा हो रहा है। इस लिए विकास की अवधारणा को अब भारतीय दृष्टि ‘सुमंगलम्’ के माध्‍यम से देखने की जरूरत है।

यह विचार दिल्‍ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्‍यापक एवं वरिष्‍ट चिंतक प्रोफेसर बजरंगलाल गुप्‍ता ने व्यक्त किये । प्रो. गुप्‍ता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग में ‘सुप्रबंधन के सूत्र’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय विभागीय संगोष्‍ठी के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे । प्रो. गुप्‍ता ने कहा कि भारत की जडें गहरी हैं और इसका प्रभाव दुनिया भर में है। इसलिए विकास की पश्चिमी अवधारणा के बदले भारतीय विकास की अवधारणा को विश्‍व पटल पर लाना चाहिए। समारोह की अध्‍यक्षता विश्‍वविद्यालय के कुलपति बृज किशोर कुठियाला की ।

बुधवार को आरंभ हुए इस सेमिनार के शुभारंभ सत्र में पैसिफिक विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने प्रबंधन में भारतीय दृष्टि पर अपना व्‍याख्‍यान दिया । प्रबंधन के भारतीय अवधारण विषय पर प्रो. शर्मा ने कहा कि प्रबंधन के सभी सूत्र भारतीय आदी ग्रंथों में व्‍याप्‍त हैं । उन्‍होंने महाभारत, रामायण, वेदों और उपनिषदों के सुकितयों के आधार पर बताया कि प्रबंधन में वे सभी सू्त्र उपल्‍ब्‍ध जो आज हमें पश्चिम के विद्वान बता रहे है।

प्रबंधन विभाग के विभागीय दो दिवसीय संगोष्‍ठी पहले दिन समाज हितकारी विज्ञापन विषय पर किर्लोस्‍कर टेक्नोलॉजी के प्रोजेक्‍ट निदेशक सुभाष सूद ने व्‍याख्‍यान दिया। पहले दिन दूसरे सत्र में हरियाणा स्‍कूल ऑफ बिजनेश के प्राध्‍यापक डॅा. नरेन्‍द्र कुमार बिश्‍नोई ने प्रबंधन विभाग के विद्यार्थियों को मीडिया प्रबंधन में नवीन मीडिया के बढते कदम विषय पर व्‍याख्‍यान दिया तथा अंतिम सत्र में स्‍वरोजगार की संभावनाएं विषय पर उद्यमिता विकास केन्‍द्र के क्ष्‍ेात्रिय समन्‍वयक डॉ. हनीफ मेवाती ने व्‍याख्‍यान दिया।

संगोष्‍ठी के दूसरे दिन चतुर्थ सत्र में प्रबंधक के लिए स्‍वप्रेरणा विषय पर शहर के मोटीवेशनल स्‍कीकर महेन्‍द्र जोशी ने व्‍याख्‍यान दिया। पंचम सत्र में भारतीय समाज में विपणन की प्रक्रिया विषय पर कॉरपोरेट डेवलनमेंट एवं गर्वनेंस के जनरल मैनेजर डॉ. पीयूष खरे में व्‍याख्‍यान दिया । षष्‍टम सत्र में मनोरंजन उद्योग की चुनौतियां विषय पर सिने जगत की अभिनेत्री और भारतीय फिल्‍म सेंसर वोर्ड की सदस्‍या वीणा त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। सप्‍तम सत्र में मध्‍यप्रदेश पुलिस के स्‍पेशल डीजी, बी. मारिया कुमार ने कुशल प्रबंधक के गुण पर व्‍याख्‍यान दिया । संगोष्‍टी के अंतिम सत्र में विभाग के विद्यार्थियों ने मीडिया प्रबंधन में स्‍वरोजगार की संभावनाएं पर अपने प्रोजेक्‍ट का प्रस्‍तुत किया। संगोष्‍ठी के दूसरे दिन समापन समारोह शुरूआत में स्वागत भाषण कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा और धन्‍यवाद ज्ञापन विश्‍वविद्यालय के डीन अकादमिक एवं कुल सचिव डॉ. सच्चिादानंद जोशी ने दिया। कार्यक्रम का संचालन संगोष्‍ठी के आयोजक व प्रबंधन विभाग के विभागाध्‍यक्ष डॉ. अविनाश वाजपेयी ने किया।

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