Sunday, November 24, 2024
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अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम !

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है। इसका गठन 15 अगस्त ,1969 को किया गया था। इसरो का मौलिक उद्देश्य विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को वैकासिक आयाम देना है। राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का विकास , नवोन्मेष और वैज्ञानिक अनुप्रयोग से है।

इस राष्ट्रीय उद्देश्य को पूरा करने के लिए इसरो ने संचार प्रौद्योगिकी, दूरदर्शन प्रसारण, मौसम संबंधी सेवाओं, संसाधन मॉनिटरिंग और प्रबंधन , अंतरिक्ष आधारित नौ संचालन सेवाओं के लिए प्रमुख अंतरिक्ष प्रणालियों की स्थापना किया है ।इसरो ने उपग्रह को कक्षाओं में स्थापित करने के लिए उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी और जीएसएलवी विकसित किया है।

भारत के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इतिहास में 23 जुलाई (दिन बुधवार /विघ्नहर्ता), 2023 स्वराक्षरों में अंकित हुआ है। देश के लिए चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर अपनी सफलतम मिशन (उद्देश्य) पूर्ण किया है। इस मिशन के अंतर्गत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के बाहुबली( fat boy)कहे जाने वाले एलबीएम – 3 एमके – 4 रॉकेट ने चंद्रयान – 3 को लेकर 14 जुलाई ,2023 को दोपहर 2:35 बजे उड़ान भरी और इस शक्तिशाली रॉकेट ने 16 मिनट में इसके पोपलशन मॉड्यूल को 179 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की कक्षा में पहुंचा दिया था। यहां से रॉकेट अलग होकर चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की कक्षाओं में चक्कर लगाना प्रारंभ कर दिया। पृथ्वी की पांच अलग-अलग कक्षाओं में परिभ्रमण के पश्चात 1 अगस्त, 2023 को चंद्रमा की ओर अग्रसर हुआ था। चंद्रमा की पांच अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाते हुए प्रत्येक बार यह चंद्रमा के नजदीकी कक्षा में पहुंचा है।

23 अगस्त ,2023 को यह चंद्रमा की सतह पर सफलतम यात्रा पूरा किया है। इस प्रकार पृथ्वी के प्रक्षेपण के पश्चात चंद्रमा की सतह पर प्राक्रम के लिए चंद्रयान-3 को 41 दिवसीय यात्रा करना पड़ा है। इस दौरान चंद्रयान-3 ने 3.84लाख प्रकाश वर्ष की यात्रा तय किया है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन करेगा ।चंद्रमा की सफलतम लैंडिंग से भारत वैश्विक स्तर पर चौथा देश हुआ है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रौद्योगिकी के इतिहास में संयुक्त राज्य अमेरिका ,रूस और चीन ही अपने लैंडर चंद्रमा की सतह पर सफल उतार सके हैं।

इस अभियान का मौलिक उद्देश्य चांद पर सुरक्षित सॉफ्ट लैंडिंग के पश्चात “रोवर” को संचालित करके चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग करना है ।इस महान उपलब्धि के पश्चात भारत अमेरिका, रूस और चीन के पश्चात सॉफ्ट लैंडिंग में सक्षम होने वाला चौथा देश है। इसके उपलब्धि से भारत वैश्विक स्तर पर परम वैभव की संकल्पना को सिद्ध कर रहा है। इसके तीन उद्देश्य हैं:-
1.चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना ;
2.चंद्रमा की सतह कहीं जाने वाली राजोलिथ पर लैंडर को उतारना ;और
3. घुमाना लैंडर और रोवर से चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक शोध करना।

इस महानतम उपलब्धि पर 140 करोड़ लोक के प्रधान सेवक ने वर्चुअली बधाई दिए हैं, क्योंकि इस सुखद और सफलतम क्षण में ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन (बैठक) में प्रतिनिधित्व करने दक्षिण अफ्रीका की राजधानीजोहांसबर्ग में है। प्रधान सेवक का कहना है कि “हमारे परिवार जनों जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं, हमारे जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्रीय जीवन की चेतना बन जाती है। ये पल अविस्मरणीय है”।

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