पेशे से एडवोकेट जयसिंह आशावत देश में राजस्थान के बूंदी जिले के ऐसे साहित्यकार है जो गीतकार, दोहाकार और समीक्षक के रूप में गत कई दशकों से हाड़ोती में साहित्य की अलख जगा रहे हैं। आपने जहां एक ओर शिद्दत से गीत, दोहे लिखने में महारथ हासिल की है वैसे ही दूसरी ओर बाल साहित्य में भी अपनी पहचान बनाई है। हाड़ोती के साहित्य जगत में आपका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है, आप हाड़ोती के एक वरिष्ठ और प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं।
साहित्य सृजन : आपने हिंदी और राजस्थानी में दोहा, हिंदी गीत, बालगीत रूप में साहित्य का सृजन किया। इनका श्रीमद्भगवद्गीता का राजस्थानी भावात्मक पद्यानुवाद “श्री गीता बचन”, भक्तामर स्त्रोत अमरित का राजस्थानी भावात्मक पद्यानुवाद और “सीता जी की खोज अर राम सेतु निर्माण” राजस्थानी खंड काव्य साहित्य जगत को बड़ी देन है। इन अत्यंत महत्वपूर्ण रचनाओं के साथ – साथ आपने अब पाती कांईं लिखां राजस्थानी दोहा कृति, मस्त मयूरा नाचे हिन्दी गीत कृति,नदी सरोवर झील हिन्दी दोहा कृति,गोरैया ने घर बनाया, हिन्दी बालगीत संग्रह,दादी अम्मा नई कहो कुछ हिन्दी बालगीत संग्रह,चिंकू टिंकू दो बन्दर हिन्दी बालगीत संग्रह ,आकू काकू हिन्दी बालगीत संग्रह, होइ सुहागण रेत, राजस्थानी दोहा कृति और कुणसी सांची बात राजस्थानी दोहा कृति की रचना की है। आपकी कृति “सीता जी की खोज अर राम सेतु निर्माण” राजस्थानी खंड काव्य को हाल ही मेंराजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर से प्रकाशन सहयोग प्राप्त हुआ है। यह रचनाकार की साहित्यिक लेखन यात्रा की बारहवीं कृति हैं। आपकी कृतियों पर साहित्यकारों से समय – समय पर समीक्षाएं भी लिखी हैं।
आपकी कविताएं जगमग दीप ज्योति, मधुमति, जागती जोत, माणक, दृष्टिकोण, शब्दप्रवाह, वरिष्ठ मित्र, अभिनव प्रयास, राजस्थली, गीतप्रिया, शेषामृत, नैणसी, अनन्तिम, मरूधरा, दैनिक अंगद दैनिक राजमार्ग, सहित कई पत्र पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित हो रही हैं। आपकी हिन्दी व राजस्थानी कविताओं और रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी के केन्द्र कोटा, जयपुर व दूरदर्शन केन्द्र जयपुर से भी होता रहा है। सम्मान
आपके सृजन और साहित्यिक सेवाओं के लिए आपको समय – समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा विविध अलंकरणों से सम्मानित किया गया है।”मरुगुलशन” में छपी राजस्थानी ग़ज़लों पर आपको 2015 में सर्जना संतुष्टि संस्थान जोधपुर द्वारा सोहनराज कोठारी स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साहित्य कला एवं संस्कृति संस्थान महाराणा प्रताप संग्रहालय हल्दी घाटी नाथद्वारा द्वारा 2017 में साहित्य रत्न सम्मान प्राप्त करने का गौरव प्राप्त हुआ। इसी वर्ष आपको श्री भारतेन्दु साहित्य समिति कोटा द्वारा साहित्य श्री सम्मान और साहित्य शारदा मंच खटीमा उत्तराखंड द्वारा दोहा शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया गया। इन प्रमुख पुरस्कारों सहित साहित्य साधना परिषद देई से सम्मान पत्र आदर्श, जग मग दीप ज्योति पत्रिका अलवर की ओर से श्री गिरधारी लाल मालव सम्मान, अब पाती काँईं लिखाँ कृति पर राजस्थानी साहित्य सम्मान 2018, समीक्षा संदर्भ समिति भीलवाड़ा से दोहा रत्न सम्मान 2019 , “दादी अम्मा नई कहो कुछ” कृति पर शब्द प्रवाह उज्जैन से डाक्टर बालशौरि रेड्डी बाल साहित्यकार सम्मान पर द्वितीय पुरस्कार 2019, साहित्य मंडल नाथद्वारा से।
श्री भगवती प्रसाद देवपुरा बाल साहित्य भूषण सम्मान 2020 ,”होई सुहागा रेत पर” श्री गौरीशंकर कमलेश राजस्थानी भाषा साहित्य पुरस्कार 2021, शिशु भारती शिक्षण संस्थान कोटा से श्री अक्षर अभिनन्दन सम्मान 2021, “श्री गीता बचन ” पर सर्जनात्मक संतुष्टि मंच जोधपुर से सत्साहित्य साधक अलंकरण 2022 और बाल साहित्य ‘गौरैया ने घर बनाया’ को 29 मार्च 2022 को तारादत्त निर्विरोध पुरस्कार से जयपुर में सम्मानित किया गया।
परिचय
हाड़ोती के साहित्य संसार में एक दर्जन साहित्यिक कृतियों के सृजन करता और डेढ़ दर्जन साहित्यिक अलंकरणों से सम्मानित जयसिंह आशावत की का जन्म 17 जनवरी सन् 1955 को बूंदी जिले के नैनवा में माता सज्जन कंवर और पिता ओंकार सिंह के आंगन में हुआ। आपने स्नातक के साथ – साथ विधि में एलएल.बी.की डिग्री प्राप्त की और वर्तमान में बूंदी में वकालत कर रहे हैं।
-डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा