आधुनिक युवाओं के मन में ज्योतिष के प्रति सन्देह उत्पन्न होना स्वाभाविक है, क्योंकि आधुनिक युग की युवा पीढ़ी वैज्ञानिक आधारों पर ही विश्वास करती है। ज्योतिष विद्या है,कला है, विज्ञान है या फिर कुछ और.. इस पर तर्क वितर्क करके अपनी बात को सिद्ध करना मेरा उद्देश्य नहीं है। इसके लिए वृहद स्तर पर चर्चा होती रहनी चाहिए। मैं तो ज्योतिष का एक साधारण जानकार हूं। लेकिन इतना अवश्य जानता हूं कि ज्योतिष का भारतीय दर्शन,संस्कृति और जनजीवन में स्वीकार्यता हमेशा ही रही है। किसी भी शास्त्र , विज्ञान या विद्या को मानने या ना मानने का प्रश्न इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना ये जानना जरूरी है कि कोई विधा या विज्ञान सामाजिक जीवन में कितना उपयोगी व प्रभावशाली है। वैसे तो ईश्वर के अस्तित्व को नकारने वालों की भी कमी नहीं है। लेकिन इससे ईश्वर के ईश्वरत्व में कोई फर्क नहीं पड़ता।
इस संसार में कर्मवाद तथा भाग्यवाद दोनों ही प्रकार की आस्थाओं वाले लोग हैं। कट्टर से कट्टर कर्मवादी भी अपना भविष्य जानने को उत्सुक हो सकता है। वैसे भी ज्योतिष हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए भाग्यवादियों के लिए नहीं है। ज्योतिष किसी भी रूप में कर्म को नहीं नकारता है। सामान्य मनुष्य के लिए ये जीवन अनिश्चिताओं का खेल है। वहीं ज्योतिष एक ऐसा प्रकाश है जो हमारे जीवन पथ की संभावनाओं पर रोशनी डालता है। ये हमारे लिए गूगल मैप की तरह काम करता है,जो जिंदगी के हर मोड़ पर दिशा निर्देशक की भूमिका निभाता है।ज्योतिष उन पुरुषार्थी कर्मवीरों के लिए ही है जो ज्योतिष को मार्गदर्शक बनाकर कर्म करते हैं और अपना भाग्य बदलते हैं।
तो आइए ज्योतिष की मदद लेकर अपने कर्मों के परिणामों को और अधिक बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं।
प्राचीनकाल से ही हमारे पूर्वजों को सिर्फ सूर्य चंद्रमा सम्बन्धी ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड की जानकारी थी। इस बात का प्रमाण हमारे सभी प्राचीन ज्योतिष ग्रंथ देते हैं। विशेषकर अपने सौरमंडल की जो सटीक जानकारी लिखी है वो आधुनिक विज्ञान भी सत्य साबित कर रहा है। भारत ऋषियों की भूमि है। मुझे तो अंग्रेजी का “रिसर्च”शब्द भी “ऋषि” शब्द से निर्गत प्रतीत होता है। आखिर हमारे ऋषि शोधकार्य ( रिसर्च) ही तो करते थे।
कुछ विद्वानों का तो ये मानना है कि उन्होंने योग के माध्यम से ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की संरचना और उसकी प्रकृति का सटीक विश्लेषण किया है। क्योंकि यत् पिण्डे, तत् ब्रह्मांडे । लेकिन ये तथ्य भी किसी से छुपा नहीं है कि ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थियों के लिए रिसर्च सेंटर वेधशालाएं थीं। उनके गुरु आकाश देखकर नक्षत्रों का प्रैक्टिकल नॉलेज करवाते थे। पूर्ण वैज्ञानिक पद्धति से अक्षांश और देशांतर का मान, ग्रहों की गति, उनकी दूरी, परिभ्रमण काल, नक्षत्रों एवं राशियों की प्रकृति और प्रभाव का सटीक विश्लेषण सिर्फ भारत मे ही किया गया।
आज भी पूरे वर्ष के प्रत्येक दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त की सटीक गणना,या फिर किसी भी समय की सौरमंडल में सभी ग्रह नक्षत्रों की स्थिति की गणना हमारा ₹10 का पंचांग दे देता है। बस आपको पंचांग के सभी पांच अंगों ( तिथि, नक्षत्र, योग,करण,वार) के साधन करने की विधियों का ज्ञान होना चाहिए। हम गणित ज्योतिष के माध्यम से बिना घड़ी देखे धरती के किसी कोने का सटीक समय बता सकते हैं,या अभीष्ट समय पर ग्रहों नक्षत्रों की स्थिति की सटीक गणना बता सकते हैं। करोड़ों रुपए के उपग्रहों की गणना धोखा खा सकती है पर हमारी गणित ज्योतिष नहीं। ये भी यथार्थ सत्य है कि आधुनिक विज्ञान जितना आगे बढ़ेगा, हमारे पूर्वजों के ज्ञान की प्रमाणिकता भी सिद्ध होती चली जायेगी।
मित्रों बड़े हर्ष का विषय है कि आधुनिक विज्ञान के क्षेत्र में भी भारत की धाक बढ़ती जा रही है। हमारे वैज्ञानिक आधुनिक काल के ऋषि ही तो हैं। वे दिन दूर नहीं जब हमारे पास प्राचीन बौद्धिक संपदा और आधुनिक वैज्ञानिक अन्वेषण का अनमोल खजाना होगा। अगर हम दोनों को साथ लेकर परिणाम प्राप्त करना सीख जायेंगे तो विज्ञान जगत के बादशाह सिर्फ और सिर्फ हम ही कहलाएंगे।
सौरभ दुबे ( Astrological Consultant )
काशी/ बनारस/ वाराणसी
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