लोकतंत्र के मजबूती के लिए निष्पक्ष, स्वतंत्र और भय मुक्त चुनाव होना अति आवश्यक है।
सवाल यह है कि आदर्श आचार संहिता क्या है?
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है इन्हीं नियमों के समुच्चय को निर्वाचकिय भाषा में “आदर्श आचार संहिता” कहा जाता है। किसी राजनीतिक दल का उम्मीदवार और राजनीतिक कार्यकर्ता आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो वह आचार संहिता का दोषी पाया जाता है। आचार संहिता में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण, चुनावी सभा, रैली, जुलूस और रोड शो से जुड़े कायदे-कानून मतदान दिवस के दिन राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के आचरण और मतदान बूथ से संबंधित अनुशासन, चुनाव के दौरान दौरान पर्यवेक्षक और सत्ताधारी दल की भूमिका का नियम होता है।आदर्श आचार संहिता के क्रियान्वयन के पश्चात किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाएं, घोषणाएं, परियोजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास और भूमि पूजन का कार्यक्रम नहीं किया जा सकता है।
आदर्श चुनाव संहिता के दौरान सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का सदुपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकते हैं और नहीं चुनावी राजनीति गतिविधि में शामिल हो सकते हैं जिससे धार्मिक उन्माद और जातीय हिंसा भड़क सके। मतदान के दिन मदिरा (शराब) की दुकान बंद रहते हैं। वोटरों को शराब या पैसे बांटने पर भी मनाही होता है। मतदान के दिन मतदान बूथों के पास राजनीतिक दल और उम्मीदवारों के राजनीतिक शिविर नहीं लगाया जा सकते हैं ।आदर्श आचार संहिता के क्रियान्वयन के दौरान निर्वाचन आयोग की अनुमति के बिना किसी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी का तबादला नहीं किया जा सकता है।
सवाल यह है कि आदर्श आचार संहिता को लागू कराने में चुनाव आयोग की क्या भूमिका होती है?
निर्वाचन आयोग आचार संहिता के सही तरीके से क्रियान्वयन के लिए प्रेक्षकों की नियुक्ति करता है। इस कार्य के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा ,भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों को नियुक्त करता है, इसके अतिरिक्त इन सेवाओं के क्रियान्वयन के लिए अवकाश प्राप्त अधिकारी तंत्र की तैनाती भी चुनाव आयोग प्रेक्षक के रूप में करता है। आदर्श आचार संहिता की शुरुआत 1960 के केरल विधानसभा के निर्वाचन से हुई थी। आदर्श संहिता को राजनीतिक दलों के विचार – विमर्श के पश्चात लागू किया जाता है।
चुनाव आयोग ने सितंबर, 1979 में राजनीतिक दलों के साथ बैठक बुलाकर आचार संहिता में संशोधन किया और इसे अक्टूबर, 1979 के आम चुनाव में लागू किया था। साल 1991 का आम चुनाव आचार संहिता के विकास में सबसे अहम था इसमें आचार संहिता का विस्तार किया गया और निर्वाचन आयोग इसके पालन करवाने के लिए सक्रिय हुआ था। आदर्श आचार संहिता के मजबूती में 1997 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का निर्णय महत्वपूर्ण रहा था, जिसमें चुनाव की तारीखों की घोषणा से आचार संहिता लागू करने के चुनाव आयोग के साहसिक कदम को उचित ठहराया गया था ।वर्तमान में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने में आदर्श आचार संहिता एक मजबूत हथियार है।
सवाल उठता है कि चुनाव से कितने दिन पहले आदर्श आचार संहिता लागू होती है?
निर्वाचन आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनाव के तारीख को घोषित करता है वैसे ही आदर्श आचार संहिता प्रभावी हो जाता है। आदर्श आचार संहिता चुनाव संपन्न होने तक प्रभावी होता है। राजनीतिक दलों ,सत्तासीन सरकारे, विपक्ष और राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के लिए आदर्श आदर्श आचार संहिता क्रियान्वित होता है।
(लेखक राजनीति विश्लेषक हैं)