(28 नवम्बर को 43 वें जन्मदिवस के अवसर पर)
नाम: डॉ. विवेक आर्य
जन्म: 28 नवम्बर 1980
जन्मस्थान: जींद, हरियाणा
माताजी का नाम: श्रीमती संगीता आर्य
पिताजी का नाम: श्री सुदेश आर्य
योग्यता: शिशु रोग विशेषज्ञ
आर्यसमाज में प्रवेश और कुटुम्ब परिचय: आपके परदादा जी श्री रामकिशन आर्य जी ने स्वामी दयानन्द जी के रिवाड़ी प्रवास के समय आधुनिक भारत की विश्व की प्रथम गौशाला की स्थापना के समय दर्शन किये थे। स्वामी जी का प्रवास 25 दिसम्बर 1878 से 9 जनवरी 1879 तक था। तभी से आपका सम्पूर्ण कुटुंब आर्यसमाज की वैदिक विचारधारा को मानता है। आपके परदादा जी लाला लाजपत राय जी के सहयोगी थे एवं आर्यसमाज हांसी, जिला हिसार के संस्थापक सदस्यों में से थे। आपने 1902 में अपनी एक दुकान बेचकर आर्यसमाज हांसी के लिए 500 रुपया दान दिया था। आपके दादा जी ने केवल 14 वर्ष की अल्पायु में हैदराबाद आंदोलन के लिए घर-घर जाकर सत्याग्रहियों के लिए आटा और पैसा एकत्र किया था। आपके दादा जी हिंदी आंदोलन के समय आर्यसमाज हांसी के मंत्री थे। उनके वारंट निकले तो आप अपने व्यवसाय को बंदकर 2 महीने के लिए दिल्ली में भूमिगत रहकर कार्य करते रहें।
साहित्यिक कार्य:
पत्रिकाओं में लेखन: 20 वर्ष की आयु में आपका प्रथम लेख शांतिधर्मी हिंदी पत्रिका में प्रकाशित हुआ था। तब से आपके आर्यसमाज की अनेक पत्रिकाओं में विभिन्न विषयों पर शोधपरक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। आपने अनेक युवाओं को उनकी पीएचडी शोध ग्रन्थ लिखने में सहयोग दिया है। आपने निम्नलिखित पुस्तकों का लेखन और संपादन में श्रमदान किया है-
English
Swami Dayanand in the Eyes of Distinguished Scholars, 2014 (Ed.)
Hindu Sangathan : Savior of the dying race by Swami Shraddhanand, 2016 (Ed.)
Mahatma Buddha An Aryan Reformer; Dharamdev Vidyamartand, 2016 (Ed.)
Swami Shraddhanand by M R Jambunathan, 2016 (Ed.)
Mahatma Buddha An Arya Reformer; Pt Dharmanand, 20 (Ed.)
Kashi debate on Idol worship, 2019 (Ed.)
1921 Aryasamaj and Malabar; Anand Swami,2021 (Ed.)
Aryasamaj and Shuddhi Movement; Compiler, 2023 (Ed.)
हिंदी
वेदों को जानें 2015 (लेखक)
काशी शास्त्रार्थ के 150 वर्ष, 2019 (सं)
मूर्तिपूजा शंका समीक्षा, 2019 (सं)
मूर्तिपूजा निषेधांक, 2019 (सं)
इस्लाम के दीपक; गंगा प्रसाद उपाध्याय, 2020 (सं)
वैदिक धर्म की जय; मुनीश्वरदेव जी, 2020 (सं)
ऋषि बोध गाथा; स्वामी वेदानन्द, 2020 (सं)
दयानन्द का राष्ट्रवाद; सत्यदेव वेदालंकार, 2020 (सं)
1921 आर्यसमाज और मालाबार; महात्मा आनंद स्वामी,2021 (सं)
हमें आज़ादी किसने दिलाई; लेखक, 2022
स्वामी वेदानंद तीर्थ के आत्म संस्मरण; सत्यानंद शास्त्री, 2022 (सं)
सत्यार्थ प्रकाश का प्रभाव; स्वामी वेदानन्द, 2022 (सं)
वेद बंगाल और दयानन्द; संपादक, 2022 (सं)
स्वामी श्रद्धानन्द, आर्यसमाज और गुरु का बाग मोर्चा, 2022 (सं)
मैंने ईसाई मत क्यों छोड़ा; अरुण आर्यवीर, 2022 (सं)
मनुस्मृति को जानें; लेखक, 2022
आर्यसमाज और शुद्धि आंदोलन का इतिहास; लेखक, 2023 (लेखक)
आगामी पुस्तकें
वेदों को जानें (बृहद ग्रन्थ का लेखन); लेखक
सनातन को जानें : लेखक
मेरे भाई शहीद सुखदेव; मथरा दास थापर (सं)
पं रामचंद्र देहलवी लेखावली (सं)
आपकी अनेक पुस्तकों का बांग्ला, मलयालम, मराठी, नेपाली और पंजाबी भाषा में अनुवाद होकर प्रकाशित हो चुका है।
सोशल मीडिया में कार्य:
आपने सर्वप्रथम Yahoo Groups से आर्यसमाज के लिए लिखना आरम्भ किया था। उसके पश्चात् आप Orkut के मंच से कार्य करते थे। तत्पश्चात् Facebook, Blogger, WhatsApp, Twitter आदि के माध्यम से पिछले 2 दशकों से कार्य कर रहे हैं। आपने इस दीर्घ काल में सामयिक, ऐतिहासिक, जीवनियां, सैद्धांतिक, खंडन-मंडन, वेद विषयक, शंका समाधान आदि विषयों पर हज़ारों लेख प्रचार हेतु प्रकाशित किये हैं। जिनका लाभ वर्तमान युवा पीढ़ी को देश-विदेश में मिलता रहा है। आपके द्वारा फेसबुक पर Arya Samaj के नाम से 3 लाख सदस्यता वाला आर्यसमाज का पेज पिछले कई वर्षों से निरंतर संचालित हो रहा है। जिस पर प्रतिदिन 6 लेख, पुस्तक परिचय इत्यादि हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित हो रहे हैं। इसका लाभ लाखों लोगों को प्रतिदिन मिलता है। आपके द्वारा WhatsApp के माध्यम से देश-विदेश के 50 से अधिक समूह संचालित हैं। जिनके माध्यम से हज़ारों लोग प्रतिदिन लाभान्वित हो रहे हैं। आप पुराने वैदिक साहित्य के संरक्षण, पुनर्मुद्रण एवं प्रचार हेतु विशेष रूप से सक्रिय हैं। आपके ब्लॉग vedictruth.blogspot.com पर 500 से अधिक लेख हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित हैं। अन्ततः यह नितांत सत्य है कि वर्तमान पीढ़ी में सोशल मीडिया में आपके जैसा स्तरीय, शोधपरक, सामयिक, ऐतिहासिक और सकारात्मक लेखन करने वाला सम्पूर्ण आर्यजगत् में कोई नहीं है।
केरल में सहयोग कार्य
आपकी शिक्षा दक्षिण भारत में हुई थी इसलिए आपका दक्षिण भारत में विशेष प्रचार रहा है। केवल 23 वर्ष की आयु में आपने 75 हज़ार रुपये दान एकत्र कर स्वर्गीय आचार्य नरेंद्र भूषण जी को सहयोग कर सत्यार्थ प्रकाश के मलयालम संस्करण का प्रकाशन करवाया था। तत्पश्चात् श्री के एम राजन जी के संपादन में सत्यार्थ प्रकाश का पुन: मलयालम संस्करण प्रकाशन करवाया। आपने बाइबिल फॉर्मेट में मलयालम भाषा के सत्यार्थ प्रकाश का 8000 की संख्या के विशेष संस्करण के साथ-साथ मलयालम की 20 छोटी बड़ी पुस्तकों का भी प्रकाशन करवाया है। आपके प्रयासों से केरल में श्री के एम राजन द्वारा छात्रों के गुरुकुल की 2015 में स्थापना हुई। इसके साथ समृद्ध पुस्तकालय और गौशाला भी बनाई गई है। इस गुरुकुल को आपका निरंतर सहयोग और सान्निध्य मिल रहा है। 2023 में छात्राओं के लिए भी अनौपचारिक रूप से गुरुकुल की स्थापना की गई है। केरल जैसे प्रान्त में वैदिक धर्म के प्रचार हेतु आपका सहयोग वास्तव में अप्रतिम है।
पुस्तक मेलों में योगदान
साहित्य को आर्य समाज की चारदीवारियों से बाहर निकालकर उसका प्रचार करने के लिए आपने विशेष रूप से पुरुषार्थ किया। 2014 में नेशनल बुक ट्रस्ट के द्वारा आयोजित पुस्तक मेलों के माध्यम से आपकी सलाह पर पुस्तक मेलों में आर्य समाज ने भाग लेना प्रारंभ किया। यह प्रचार क्षेत्र में एक नवीन अध्याय जोड़ने के जैसा था। इन वर्षों में लेह-लद्दाख से त्रिवेंद्रम तक, मुंबई से लेकर शिलांग जैसे सुदूर स्थलों पर पुस्तक मेलों में भाग लिया गया। सबसे अधिक प्रभावशाली प्रगति मैदान दिल्ली में लगने वाला राष्ट्रीय पुस्तक मेला था। आपके प्रयासों से कोलकाता पुस्तक मेले में भी आर्यसमाज का स्टॉल लगना आरंभ हुआ है। इस कार्य में आपका दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा, आर्य समाज कोलकाता के श्री सुरेश अग्रवाल एवं बरेली के स्वर्गीय राजेंद्र आर्य जी ने विशेष पुरुषार्थ किया। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पुस्तक मेले से साहित्य प्रचार, प्रसार, रचना, प्रकाशन को आपके किए गए पुरुषार्थ द्वारा जो गति मिली, वह अद्वितीय है।
प्रेरक वक्ता
आपके वक्ता के रूप में अनेक व्याख्यान दिल्ली के पुस्तक मेले से लेकर देश के विभिन्न आर्यसमाजों में हो चुके हैं। जिनमें आर्यसमाज चेन्नई, मुंबई, इंदौर, दिल्ली, जींद आदि शामिल हैं। आपके भाषण के मुख्य विषय मनुस्मृति सम्बंधित भ्रांतियां, योगिराज श्री कृष्ण, पं लेखराम, स्वामी श्रद्धानन्द, स्वामी दर्शनानन्द, राम प्रसाद बिस्मिल, आर्यसमाज का इतिहास आदि हैं। आप पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन से अपना प्रभावशाली वक्तव्य देते हैं। जिसे सुनने के लिए अनेकों युवा विशेष रूप से आते हैं।
दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह
आपने अपने अथक प्रयासों से आर्यसमाज की दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह किया है। वर्तमान में आपके पास 3500 पुस्तकें 30 अलमारियों में सुरक्षित है। यह समृद्ध पुस्तकालय आपने आर्यसमाज के साहित्य को सुरक्षित करने, शोध करने, पुन: प्रकाशित करने और नवीन साहित्य के प्रकाशन की दृष्टि से किया है। यह पुस्तकालय आर्यसमाज की महत्वपूर्ण सम्पदा है।
आप सदैव युवाओं को सकारात्मक बने रहने, स्वाध्याय करने, आचरणवान् बनने, कैरियर के प्रति गंभीर बनने की प्रेरणा देते हैं। एक सफल चिकित्सक होने के साथ आप नित्य संध्या, योगासन-प्राणायाम, हवन आदि में विशेष रूचि रखते हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या में भी अपने परिवार और व्यवसाय को न्यायपूर्वक समय देते हुए आप इतना कार्य कर रहे हैं, यह आपके व्यक्तित्व, उद्यमशीलता और स्वामी दयानन्द के मिशन के प्रति समर्पण भाव को प्रदर्शित करता है। वास्तव में आप एक व्यक्ति नहीं अपितु चलती फिरती संस्था हैं। जितना मुझे ज्ञात था, मैंने आपका यहाँ वो परिचय दिया है। जो मुझे नहीं ज्ञात है, उसके लिए मैं क्षमार्थी हूँ। आप मेरे गुरु, मार्गदर्शक, मित्रवत हैं।