हिंदी साहित्य जगत में ऐतिहासिक पहल करते हुए दैनिक जागरण समूह ने शनिवार को हिंदी बेस्टसेलर की दूसरे साल की पहली सूची जारी कर दी है। इस सूची का लोकार्पण राज्य सभा सदस्य सोनल मान सिंह और दैनिक जागरण के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट स्ट्रेटजी ब्रांड डेवलपमेंट वसंत राठौड़ ने संयुक्त रूप से किया।
इस बार हिंदी बेस्टसेलर सूची के दायरे का विस्तार किया गया है और उसमें कविता की अलग श्रेणी जोड़ी गई है। अब कुल मिलाकर चार श्रेणियों में ये सूची जारी की गई है-कविता, कथा, कथेतर, और अनुवाद। बता दें कि हर श्रेणी में दस सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों की सूची प्रकाशित की जाती है। इस सूची को तैयार करने के लिए 15 राज्यों के 55 शहरों की 125 पुस्तक विक्रेताओं के बिक्री के आंकड़ें जमा किए जाते हैं।
कविताओं की सूची में बॉलिवुड की हस्तियां हावी रही हैं। ‘प्लूटो’ के साथ गुलजार कविताओं की सूची में शीर्ष पर हैं जबकि ‘रुत’ के साथ राहत इंदौरी भी शीर्ष 10 में शामिल हैं। स्वानंद किरकिरे ने कविता की अपनी पहली किताब ‘आप कमाई’ के साथ इस सूची में जगह बनाई है।
इस तिमाही में कथा श्रेणी में ‘दिल्ली दरबार’ के साथ युवा लेखक सत्य व्यास को, कथेतर श्रेणी में ‘बकर पुराण’ के साथ अजीत भारती को और अनुवाद में ‘सीता-मिथिला की योद्धा’ के साथ अमीश त्रिपाठी को जगह मिली है।
सूची जारी करने के दौरान भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दिल्ली के विवांता बाय ताज- एम्बेसडर के सभागार में किया गया, जिसकी शुरुआत दैनिक जागरण के सीईओ व प्रधान संपादक संजय गुप्त व नृत्यांगना सुनंदा शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर की।
इस दौरान मुख्य अतिथि राज्यसभा सदस्य सोनल मान सिंह ने कहा कि देश-विदेश में हिंदी साहित्य का दिनोदिन विकास हो रहा है, लेकिन देश के दक्षिण व पूर्वोत्तर राज्यों में हमें हिंदी के विकास के लिए काम करने की जरूरत है। यह तब जरूरी हो जाता है, जब हिंदी को देश में ही राष्ट्रभाषा घोषित ना किया गया हो।
इस दौरान उन्होंने गोपालदास नीरज को श्रद्धांजलि अर्पित की तो वहीं कार्यक्रम में उपस्थिति लोगों ने उनके आगमन पर खड़े होकर उनका अभिवादन किया।
संजय गुप्त ने कहा कि पिछले साल इसी सभागार से ‘हिंदी हैं हम अभियान’ की शुरुआत की गई थी, अभी हमने बहुत छोटा सा सफर तय किया है। वैसे तो हिंदी हमारी धमनियों में दौड़ती है, जिस पर सभी को गर्व है, लेकिन कुछ लोग महसूस करते हैं कि हिंदी देश में अंग्रेजी से पिछड़ रही है। हिंदी को उसके मुकाम तक पहुंचाने के लिए सफर जारी है। उन्होंने कहा कि बात सिर्फ भाषा की नहीं है। देश की संस्कृति ही भाषा को जोड़ती है। अगर हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को नहीं भूलेंगे तो अपनी भाषा भी नहीं भूलेंगे, जो संस्कृत से बनी है।
कार्यक्रम में हिंदी हैं हम अभियान के एक साल के यात्रा पड़ाव पर एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया।