इस्लामाबाद। महाराजा रणजीत सिंह की की 180वीं पुण्यतिथि पर उनकी आदमकद प्रतिमा गुरुवार को लाहौर के किले में लगई जाएगी। उन्होंने 19वीं सदी में साल 1801-1839 तक पंजाब पर राज किया था। यह मूर्ति लाहौर किले में माई जिंदियन हवेली के बाहर एक खुली जगह में स्थापित की जाएगी, जो रणजीत सिंह समाधि और गुरू अर्जुन देव के गुरुद्वारा डेरा साहिब के नजदीक है। हालांकि, इस कार्यक्रम में भारतीय उच्चायोग के किसी भी प्रतिनिधि को नहीं बुलाया गया है।
हवेली का नाम रणजीत सिंह की सबसे छोटी महारानी के नाम पर रखा गया है, जहां अब स्थायी तौर पर सिख प्रदर्शनी लगी रहती है। इस कार्यक्रम के लिए भेजे जा रहे निमंत्रण पत्र में लिखा गया है कि आठ फीट लंबी मूर्ति को ब्रिटेन स्थित सिख समिति एसके फाउंडेशन की मदद से वाल्ड सिटी ऑफ लाहौर अथॉरिटी (WCLA) स्थापित कर रहा है। WCLA शहर की विरासत के संरक्षण के लिए एक स्वायत्त निकाय है। इस मूर्ति में रणजीत सिंह अपने घोड़े पर सवार नजर आ रहे हैं।
WCLA के महानिदेशक कामरान लशैरी ने कहा कि जैसा कि आप सभी जानते हैं कि धार्मिक पर्यटन हमारी सरकार की मुख्य थीम में से एक है। करतारपुर साहिब, ननकाना साहिब पर हमारी सरकार के दौरान ज्यादा ध्यान दिया गया है। धार्मिक पर्यटन खासतौर से सिख धर्म के पर्यटन को ध्यान में रखते हुए रणजीत सिंह की मूर्ति को लगाया जा रहा है।