राजस्थान के शेखावाटी इलाके के तीन जिलों चूरू, सीकर और झुंझुनू । देश के तमाम बड़े औद्योगिक घराने फिर चाहे वो बिरला हो, सिंघानिया हो, सेकसरिया हो, मित्तल या बजाज हो, डालमिया या रुइया हो, पोद्दार हो, खेतान हो, गोयनका हो, पीरामल हो, झुनझुनवाला हो, चमड़िया हो, नेवटिया हो, सर्राफ हो, मोदी हो, देवरा हो या केडिया, कजारिया हो, केजड़ीवाल हो, जाजोदिया हो, भरतिया हो, बगडिया हो, खेमका हो, सरावगी हो इत्यादि सब इसी शेखावटी माटी के लाल है। इसी माटी ने देश को सबसे ज्यादा वीर सपूत दिए जिन्होंने भारतीय फौज में देश के लिए लड़ते हुए वीरगति पाई। चारो तरफ रेगीस्तानी बीहड़ वाली इस माटी ने देश को ना जाने कितने सपूत दिए।
आश्चर्यजनक रूप से एक सवाल जो हर बार के सफर करते हुए बार बार मेरे मन में आ ही जाता था, वो ये की आखिर क्या खास बात है शेखावटी की इस माटी में जो यहां से निकलने वाला हर छोरा देश का नाम दुनिया भर में रोशन करता है, या फौज में जाता है या व्यापारी बनता है ।
ना यहां पानी की भरमार है, न अनाज की पैदावार ज्यादा है, मिट्टी के टीले रेतीले है। वृक्ष भी फलदार नही है, हवा भी शुष्क है, गर्मी में भीषण गर्मी और ठंड में भीषण ठंड यहां के लोगो की मजबूरी है। पढ़ाई के लिए भी मशक्कत ज्यादा है, दूर दराज गाँव के बच्चों को शहर कस्बे तक पढ़ाई के लिए आने में काफी दिक्कतों का सामाना करना पड़ता है।
फिर कैसे यहां के बच्चे देश के टॉप इंडस्ट्रलिस्ट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आईएएस, लीडर, बिजनेसमैन, व्यापारी बनते है।
लोगो से बात की, हवेलियों में, ढाबो पर रुका, बातचीत में लोगो का गजब का आत्मविश्वास, अभावों के चलते कुछ कर दिखाने की अदम्य इच्छाशक्ति मुझे सहज नज़र आई।
कोई बच्चा नौकरी की बात नही कर रहा था, सब या तो व्यापारी या बड़े ब्यूरोक्रेट या सीए बनने की बात कर रहे थे।
झुंझुनू में एक गाँव है मंडावा, “इंडियन एक्सप्रेस” अखबार के मालिक रामनाथ जी गोयनका इसी मंडावा गाँव से है, मुम्बई के कई बिल्डर व व्यापारी भी इसी गांव से है, बगल में दूसरा गांव है बिसाऊ, मुम्बई की बड़ी चॉइस कम्पनी के पाटोदिया, पोद्दार, अग्रवाल इसी गाँव के है, झुंझुनू के सर्राफ, केडिया, मोदी, पोद्दार और झुंझुनूं जिले के एक कस्बे पिलानी के देश के मशहूर औद्योगिक घराने आदित्य बिड़ला का परिवार का संबंध भी यहीं से है,। डालमिया भी यही पास में चिड़ावा के हैं, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और बजाज कंपनी वाले भी फतेहपुर के हैं तो, मुरली देवरा का परिवार सीकर के लक्ष्मणगढ़ का है। , नवलगढ़ से सेकसरिया , मोरारका, जयपुरिया, मोर, परसरामपुरिया, पाटोदिया,कारीवाला,बूबना, और सेठ आनंदीराम पोद्दार परिवार, मलसीसर से लक्ष्मी मित्तल और रामगढ़ से रुइया परिवार की जड़े जुड़ी है। चुरू के जैन सरावगी और सीकर जिले के सेठ जमनालाल बजाज का परिवार और भी कई अनगिनत परिवार हैं जिन्होंने देश विदेश में अपना नाम रोशन किया है।
पता करने पर यर बात पता चली की शेखावटी इलाके के तीनों जिलो में वैसे तो राजपूतो का वर्चस्व रहा है और है लेकिन यहां की वैश्य याने बनिया जिन्हें *मारवाड़ी* भी कहते है, इन्होंने दुनिया भर में अपने व्यापारिक कला के दम पर राज किया।इनको व्यापारिक कार्य कुशलता से ज्यादा कुछ कर दिखाने की ललक ने इन्हें विश्वपटल पर पहचान दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई।मारवाड़ी देश की प्रगति में प्रमुख भागीदार हैं।
जिस सीकर, चूरू और झुंझुनू में सुविधाओं का अभाव हो वहां जहा कुछ पाने को ना हो इस इलाके के नौजवान जब मुम्बई, दिल्ली, कलकत्ता गए तब इनके पास खोने को कुछ नही था।इन्होंने जी भर कर रात दिन मेहनत की और कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए बड़ा एम्पायर खड़ा किया।इनकी एक सबसे बड़ी खासियत ये रही कि ये अपने इलाके शेखावटी लोगो को व्यापार धंधे में जोड़ते गए उनको आगे बढ़ाते गए, नए लोगो की टांग खींचने का काम नही किया बल्कि उन्हें सम्बल देकर मेहनत करना सिखाया और उनका मुकाम बनाया।
सीकर, चूरू और झुंझुनू जिलो को श्री झुनझुनूवाली रानी सती दादी, श्री खाटू श्यामजी भगवान, श्री सालासर बालाजी, श्री शाकम्बरी माता, श्री जीण माता, श्री ढा़ँढ़णवाली सती दादी जी का पूरा आशीर्वाद रहा।
कहते है ना कि, अगर आप धन को कुआँ भरकर भी रखोगे और मेहनत लगन से उसे और भरने के बजाय उसे खाली करते रहोगे तो एक दिन धन से भरा कुआँ भी खाली हो जाएगा।
शेखावटी के वीर राजपूतों ने जहाँ देश के माटी की रक्षा की वही यहां के व्यापारियों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना अमूल्य योगदान दिया…
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