अब कुछ दिनो से ‘द केरला स्टोरी ’ फिल्म चर्चा में है । इस फिल्म में हिन्दू व क्रिश्चियन लडकियों को बहला फूसला कर तथा ब्रेन वाश कर इस्लाम में कनवर्ट किये जाने के घटनाओं को दर्शाया गा है । केवल इतना ही नहीं इसके बाद आईएसआईएस जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन के आतंकवादियों के यौन दासी बनने के लिए भेजने संबंधी दिल दहला देने संबंधी घटनाओं को दिखाया गया है । सालों के रिसर्च के बाद यह फिल्म बनायी गई है । इस फिल्म की कहानी पूर्ण रुप से सच्ची घटनाओं पर आधारित है । इस फिल्म के रिलिज होने के बाद इस फिल्म के चरित्रों से मेल खाने वाली लडकियां भी मीडिया में आकर अपनी आप बीती लोगों को सुना रही हैं । इस फिल्म को पूरे देश में सराहा जा रहा है । देश के विभिन्न सिनेमाघरों में यह फिल्म हाउसफूल चल रही है । लेकिन पश्चिम बंगाल में अब द केरला स्टोरी फिल्म नहीं देखी जा सकेगी । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फिल्म को राज्य में बैन करने का फैसला किया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने इस पर बैन लगाने के पीछे जो तर्क दिया है वह बडा जबरदस्त है । उन्होंने कहा कि ऐसा राज्य में नफरत और हिंसा की किसी भी घटना से बचने के लिए किया गया है, ताकि बंगाल के शहरों में शांति बनी रहे।
यहां इस बात का उल्लेख करना आवश्यक है कि देश में एक फिल्म रिलिज होने से पूर्व जिन प्रक्रियाओं से गुजरना होता है उन सब प्रक्रिया से फिल्म गुजर कर रिलिज हुई है । सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को देखने के बाद इस फिल्म में आवश्यक संशोधन किए हैं। कुछ डाइलोग्स हटाये गये हैं। कुछ को बदला गया है। इस फिल्म पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न राज्यों के हाइकोर्ट में इस फिल्म के रिलिज होने के खिलाफ याचिकाएं दायर की गई थी । लेकिन न्यायालयों ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया था । इसके बाद ही यह फिल्म पूरे देश के सिनेमाघरों में रिलिज हुई है।
भारत में नियम कानूनों के तहत ही इस फिल्म को रिलिज किया गया है । लेकिन फिर भी ममता बनर्जी को लगता है कि बंगाल में इस फिल्म के प्रदर्शन किये जाने पर शांति बाधित हो सकती है। ममता बनर्जी शायद कहना चाह रही होंगी इस फिल्म के प्रदर्शन से मुसलमानों की भावनाएं आहत हो जाएंगी और इसके बाद शांति बाधित होगी ।
यह फिल्म वास्तव में कुख्यात आतंकवादी संगठन आईएसआईएस व उसके अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क व काले कारनामों की कहानी को दर्शाता है । लेकिन यह बात समझ से परे है कि आईएसआईएस के काले कारनामें, उसके अमानवीय कृत्यों को दिखाने पर पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की भावनाएं क्यों आहत होंगी ? पश्चिम बंगाल के मुसलमानों की भावनाएं आहत हो या न हो पर ममता बनर्जी को लगता है कि इस फिल्म से निश्चित रुप से मुसलमानों की भावनाएं आहत हों जाएगीं । तभी उन्होंनें इस फिल्म को राज्य में प्रतिबंधित कर दिया है।
वैसे भारत में जो स्थिति है उससे एक बात तो तय है कि मुसलमानों की भावनाएँ अब कब और किस बात पर भड़क जायें, इसका कोई ठिकाना नहीं है । पूरे देश भर में पिछले दिन राम नवमी व हनुमान जयंती मनाया गया । पश्चिम बंगाल में राम नवमी के दिनों में बडे पैपाने पर मनाया जाता है तथा शोभायात्राएं निकाली जाती है। पश्चिम बंगाल में ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तब घोषणा कर दी कि हिन्दुओं को राम नवमी पर शोभायात्रा निकालने से बचना चाहिए । मुसलमान बहुल इलाकों में से कतई नहीं निकालना चाहिए। अन्यथा मुसलमानों के भावनाएं भडक सकती हैं और फिर राज्य में अशांति फैल सकती है। लेकिन बंगाल के हिन्दुओं ने अपने परंपरा के निर्वाह करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से राम नवमी के दिन शोभायात्रा निकाली ।
जैसा कि ममता बनर्जी ने पहले ही बताया था कि मुसलमानों के भावनाएं भडक गईं और उन्होने घरों के छतों पर से पहले से रखे गये पत्थरों के साथ साथ अन्य हथियारों से निहत्थे शोभायात्राकारियों पर हमला कर दिया । ममता बनर्जी ने इसके बाद कहा कि उन्होंने पहले ही बता दिया था कि हिन्दू शोभायात्रा न निकालें। लेकिन हिन्दुओं ने उनकी बात की अनदेखी की । इस कारण यह घटना हुई । ऐसा कह कर ममता बनर्जी की पुलिस ने राज्य में शांति स्थापना करने के लिए हमलावरों को गिरफ्तार करने के बजाय पीडित शोभायात्रा में भाग लेने वाले लोगों को गिरफ्तार करने लगी । वैसे बाद में कोलकाता हाइकोर्ट ने इस मामले में आतंकवादी एंगल होने की आशंका व्यक्त करते हुए मामले की जांच को ममता की पुलिस से छिन कर एनआईए को दे दिया है।
इस फिल्म को लेकर तमिलनाडु में स्टालिन सरकार ने भी यही कार्य किया है । उसका भी तर्क लगभग ममता बनर्जी का तर्क है।
ऐसा नहीं कि भारत में जो सरकारें हैं वे मुसलमानों की भावनाओं का ख्याल नहीं करती । अलबत्ता उसका तो एक अलग मंत्रालय ही इसका पता लगाने में लगा रहता है कि किस किस कृत्य से , किस किस दृश्य से मुसलमानों की भावनाएँ भड़कती हैं , और फिर उसमें संतुलन बिठाने व उनको शांत करने में जुट जाता है । आतंकवादी मुसलमान हैं , यह देख कर मुसलमान नाराज़ होता है , इस बात से नहीं कि वह आतंकवाद में क्यों लगा हुआ है। बल्कि इस बात के लिए कि बार बार इस का प्रचार क्यों किया जाता है।
इसलामी आतंकवाद के बारे में चर्चा के बाद मुसलमानों के भावनाएं आहत होने के कारण युपीए सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री सुशील शिंदे ने काल्पनिक ‘हिन्दु आतंकवाद’ शब्द को प्रचारित करने का प्रयास किया था ताकि मुसलमानों की की भावनाएँ शान्त हो सके । ममता बनर्जी इसी तरीके को ही आगे बढा रही हैं ।