Wednesday, December 25, 2024
spot_img
Homeकवितामर गई चिड़िया बच गई कविता

मर गई चिड़िया बच गई कविता

(जन्म:21 मई 1931, उज्जैन – निधन :5 सितंबर 1991, मुंबई)

‘च’ ने चिड़िया पर कविता लिखी।
उसे देख ‘छ’ और ‘ज’ ने चिड़िया पर कविता लिखी।
तब त, थ, द, ध, न, ने
फिर प, फ, ब, भ और म, ने
‘य’ ने, ‘र’ ने, ‘ल’ ने

इस तरह युवा कविता की बारहखड़ी के सारे सदस्यों ने
चिड़िया पर कविता लिखी।
चिड़िया बेचारी परेशान
उड़े तो कविता
न उड़े तो कविता।
तार पर बैठी हो या आँगन में
डाल पर बैठी हो या मुंडेर पर
कविता से बचना मुश्किल

मारे शरम मरी जाए।
एक तो नंगी,
ऊपर से कवियों की नज़र
क्या करे, कहाँ जाए
बेचारी अपनी जात भूल गई
घर भूल गई, घोंसला भूल गई

कविता का क्या करे
ओढ़े कि बिछाए, फेंके कि खाए
मरी जाए कविता के मारे
नासपीटे कवि घूरते रहें रात-दिन।

एक दिन सोचा चिड़िया ने
कविता में ज़िंदगी जीने से तो मौत अच्छी
मर गई चिड़िया
बच गई कविता।
कवियों का क्या,
वे दूसरी तरफ़ देखने लगे।

(शरद जोशी अपने समय के अनूठे व्यंग्य रचनाकार थे जो कवि सम्मेलनों के मंच पर अपने व्यंग्य पढ़कर वाहवाही लूट लेते थे। व्यंग्य संग्रह के रूप में उनकी कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार