Wednesday, December 25, 2024
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मिक्की वायरस [हिंदी]

दो टूक : जिन्दगी  कोई भरोसा नहीं . कब बैठे बिठाए आपको घुमाकर गुंजल में लपेट दे. बस इतनी सी बात कहती है निर्देशक सौरभ वर्मा की मनीष पॉल , एली अवराम , वरुण बडोला , मनीष चौधरी, पूजा गुप्ता , राघव कक्कर . विकेश कुमार और नितेश पांडे के अभिनय वाली फिल्म मिकी वायरस.

कहानी: फिल्म की कहानी  दिल्ली की एक कॉलोनी में रहने वाले सुस्त लेकिन वेबसाइट हेक करने वाले मिकी अरोड़ा (मनीष पॉल) की है . मिकी गजब का हैकर है लेकिन उसका ज्यादा समय  उसकी खास दोस्त चुटकी (पूजा गप्ता) के साथ  गुजरता है जो खुद भी साइट हैक करने में माहिर है ! मिकी के इस हैकर गैंग में प्रोफेसर नीतेश पांडे और फ्लॉपी (राघव कक्कड़) भी शामिल हैं। लेकिन मिकी की मुलाकात कामायनी (एली) से होती है तो सबकुछ बदलने लगता है .  

मिकी कामायनी को चाहने लगता है।पर उसकी इस बदलती जिन्दगी में बदलाव तब आता है जब  एसीपी सिद्धांत चौहान (मनीष चौधरी) उसके बारे में जान कर  उसे एक खुफिया मिशन पर अपने साथ लगाता है। चौहान और उसके सहायक इंस्पेक्टर देवेंद्र भल्ला (वरुण बडोला) के साथ मिकी इस खुफिया मिशन में शामिल होता है। साइबर क्राइम के दिग्गजों को धर दबोचने के लिए मिकी अब चौहान और इंस्पेक्टर भल्ला के साथ लग जाता है। पर इस इसी बीच कामायनी की हत्या हो जाती है। हालात ऐसे बनते हैं कि कामायनी के हत्यारे के शक की सूई मिकी के आसपास घूमने लगती है और फिर शुरू होती है मिकी की खुद को बेकसूर साबित  करने  और हत्यारों को दबोचने की मुहीम की शुरुआत.

गीत संगीत : फिल्म में मनोज यादव . हनीफ शेख  और अरुण कुमार के गीत हैं और संगीत एगनल रोमन और हनीफ शेख का है . लेकिन फिल्म में ऐसा कोई गीत नहीं जिसे याद रखा जा सके . हाँ एक गीत कोई गारंटी नहीं, कोई वॉरंटी नहीं… प्यार चाइना का माल है जरुर सुना जा सकता है . ऐसी फिल्मों में गीत कहानी का संतुलन बिगाड़ देते हैं .

अभिनय : मिकी के चरित्र में में मनीष पॉल ने मेहनत की है . वो टीवी से फिल्मों में गए है तो उन्हें कुछ जयदा मेहनत करनी होगी पर वो निराश नहीं करते . हालांकि मध्यांतर के बाद जब उनपर कहानी का दबाव बढ़ता  है तो वो  सकपका जाते हैं लेकिन निराश नहीं करते   एसीपी चौहान बने मनीष चौधरी और इंस्पेक्टर देवेंद्र भल्ला के रोल में वरुण बडोला खूब जमे हैं। कामायनी बनी  एली को करने को कुछ खास नहीं मिला जबकि चुटकी के रोल में पूजा गुप्ता याद रहती है .फिल्म में काई छोटे छोटे पात्र हैं और उनमे राघव कक्कर , विकेश कुमार , नितेश पांडे और उत्पल आचार्य भी ठीक हैं.

निर्देशन : मिकी डोनर के बाद छोटे बजट की लेकिन विषयक फ्रिल्मों की जो शुरुआत हुई है उसने ऐसे विषयों के साथ बनी

हल्की-फुल्की और मजेदार  कॉमेडी के बावजूद अपने नए अर्थों को इंगित किया है . मिक्की बेशक कई जगहों पर धीमी गति और बोल्डनेस के साथ सामने आती है लेकिन वो बुरी नहीं है और अपने चुनिन्दा पात्रों के साथ हमसे जुडी रहती है . फिल्म में कई जगह ठहराव  है लेकिन वो एक नए अंदाज के साथ सामने आता है . फिल्म अंत में एक सन्देश के साथ पूरी होती है लेकिन उसे सही और कुछ अद्भुत विस्तार दिया सकता था.

फिल्म क्यों देखें : मनीष पॉल के लिए.

फिल्म क्यों न देखें . अगर इसे मिकी डोनर से जोड़ रहे हैं तो.

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