रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने 13 लाख कर्मियों से अनोखा सवाल किया है कि यदि एक दिन के लिए उन्हें रेल मंत्री बना दिया जाए तो वह रेलवे में क्या बदलाव करेंगे? प्रभु के इस अनूठे प्रस्ताव को एक लाख कर्मचारियों ने हाथों हाथ लेते हुए अपने सुझाव भेज दिए हैं। इनकी संख्या बढ़ने की उम्मीद है। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर से सूरजकुंड में होने जा रहे तीन दिवसीय रेल विकास शिविर में चुनिंदा सुझावों के आधार पर रेलवे विकास का रोडमैप तय करेंगे।
विकास शिविर से जुड़े रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 26 सितंबर से सुरेश प्रभु वीडियो क्राफ्रेंसिंग के जरिए 50 हजार से अधिक कर्मचारियों से उनके सुझाव पर चर्चा कर चुके हैं। इसके अलावा चार लाख से अधिक कर्मचारियों को उनके मोबाइल पर सुझाव देने के लिए एसएमएस भेजे जा चुके हैं। रेलवे की वेबसाइट पर विकास शिविर डॉटकॉम पर कर्मचारी अपने सुझाव भेज रहे हैं। अभी तक एक लाख कर्मचारियों ने अपने सुझाव भेजे हैं। डेढ़ माह में इनकी संख्या काफी अधिक पहुंचने की उम्मीद है।
अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों के सुझाव को छांटने के लिए प्रत्येक जोन में जीएम (महाप्रबंक) स्तर की समिति (गु्रप) बनाई जाएगी। इस समिति में जीएम, सीएमडी, डीआरएम, हेड ऑफ डिपार्टमेंट (एचओडी), यूनियन के नेता व स्टेशन मास्टर तक सदस्य होंगे। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, सदस्यगण दूसरी समिति के सदस्य होंगेक। समिति द्वारा चुनिंदा सुझावों को 25-27 नंवबर को सूरजकुंड (फरीदाबाद) में आयोजित विकास शिविर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष रखा जाएगा। मोदी लगातार तीन दिन तक 800 से अधिक रेल कर्मियों से विभाग के विकास को लेकर मंथन करेंगे। इस दौरान वीडियो क्रांफे्रसिंग के जरिए 20 हजार से अधिक कर्मचारियों से सीधे संवाद करेंगे। शिविर में मोदी रेलवे के विकास के लिए रोडमैप रखेंगे। जिससे समयबद्ध तरीके से लागू करना होगा।
प्रधानमंत्री के साथ रेल विकास शिविर में चर्चा होने वाले प्रमुख बिंदु
- रेलवे के विकास के लिए अगले 10 साल में 8,50,00 करोड़ के निवेश का एक्शन प्लान को लेकर चर्चा।
- यात्रियों के सफर को सुरक्षित व आरामदेय बनाने पर चर्चा। उनके बुनियादी अधिकार ट्रेनों की रफ्तार, समयपालन, सफाई व खानपान सेवा।
- गैर किराया क्षेत्र से रेलवे के राजस्व में अगले पांच साल में 15 फीसदी का इजाफा करना। इस दौरान कम से कम 100 स्टेशनों का पुर्नविकास।
- अगले पांच साल में रेलवे में जीरो एक्सीटेंड योजना को लागू करना। तकनीकी, टे्रक् सुधार व प्रशिक्षण पर जोर।
- रेलवे के सालाना 30,000 करोड़ के ईधन खर्च पर अगले पांच साल में 10 फीसदी कम करना।
साभार- http://www.livehindustan.com/ से