ऐसा कहा जाता है कि भारत के कोने-कोनेमें, हर कस्बे में विशाल मंदिर हुआ करते थे, लेकिनआज कुछ ही मंदिर, देखने को रह गये हैं। इनमंदिरों के कुछ अवशेष आज भी मस्जिद, मजार केशक्ल में आसपास नजर आते हैं। आखिर भारत केमंदिर, मस्जिद और मजार में कैसे तब्दील हो गये।इसके पड़ताल में जाने पर जो तथ्य सामने आता हैवो बेहद ही चौंकाने वाला है। बात उस समय की हैजब पश्चिम से मुस्लिम लुटेरों ने भारत पर आक्रमणकिया था।भारत पर आक्रमण करने के साथ ही मुस्लिमआक्रांताओं ने भारत में निवास करने वाले सनातनधर्मियों के धार्मिक प्रतिकों के रूप में सदियों पहलेबनाए गए मंदिरों और उन मंदिरों में स्थापित देव-मूर्तियों को तोड़कर सनातन धर्मियों के आस्था परगहरा आघात किया है। जो कोई भी मुस्लिमआक्रमणकरी भारत आया, तो उसने पहलेमंदिरों को लूटा, फिर मंदिरों में स्थापितपुस्तकालयों को जलाया, मंदिरों में स्थापित देवमूर्तियों को विखंडित और अपवित्र करने के लिएतरह-तरह के हथकंडे अपनाए।मोहम्मद गजनवी पहला ऐसा मुस्लिम आक्रांता था,जिसने भारत पर कई बार आक्रमण किया। अपनेप्रत्येक आक्रमण में गजनवी ने सनातन धर्मियों केकितने ही छोटे-बड़े मंदिरों को अपना निशाना बनाया।मंदिरों में जमा धन को लूटा और मंदिरों को तोड़दिया।देखिए कब-कब तोड़ा गया भारतीय सनातन मंदिरः1009 ई में गजनवी ने कांगड़ा केज्वालामुखी मंदिर को लूटा और तोड़ दिया।1014 ई में थानेश्वर पर आक्रमण करकेवहाँ के मंदिरों को लूटा और तोड़ दिया।1018 ई में मथुरा के मंदिरों को लूटा औरतोड़ दिया।1025 ई में गुजरात के सोमनाथ मंदिरको लूटा और वहाँ स्थापित शिवलिंग को तोड़दिया।गजनवी के बाद मोहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमणकिया। गौरी के गुलाम सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने1194 ई में अजमेर के जैन मंदिर तथा संस्कृतमहाविद्यालय को नष्ट कर एक मस्जिद तथा ढाईदिन का झोपड़ा नामक एक भवन बना दिया। दिल्ली मेंकुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को बनाने के लिए 27मंदिरों को तोड़ कर उसके अवशेष का इस्तेमालकिया गया था। मस्जिद की जाली, स्तम्भ औरदरवाजे मंदिर के ही अवशेष हैं।
इसके बाद बख्तियार खिलजी जो कि गौरी के साथसिर्फ धन के लिए आक्रमणों में शामिल होता था, नेबंगाल की ओर आगे बढ़ते हुए नालंदा, ओदन्तपुरी औरविक्रमशिला के विशाल विश्वविद्यालयोंको तोड़दिया और वहाँ स्थापित महान कृतियों और शोधपत्रों से परिपूर्ण पुस्तकायों को आग लगा कर भस्मकर दिया।अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक काफूर केद्वारा कई मंदिरों को तुड़वाया। काफूर ने 1310-11ई में द्वारसमुद्र पर आक्रमण करके वहाँ केमंदिरों को लूटा और तोड़ा। मद्रास के निकट चिदंबरममंदिर को लूटा और तोड़ दिया। मदूरा में भी कईमंदिरों को लूटा और तोड़ा गया। इसकेअलावा अलाउद्दीन ने गुजरात के पुनर्निर्मितसोमनाथ मंदिर सहित कई और मंदिरों को लूटा औरध्वस्त कर दिया।
1300 ई में निर्मित भड़ौचका जुम्मा मस्जिद हिन्दू मंदिरों को तोड़ करही बनाया गया है।फिरोज तुगलक ने 1359 ई में उड़ीसा के जगन्नाथमंदिर को लूटा और तोड़ा था। फिरोज ने 1361 ई मेंकांगड़ा के पुनर्निर्मित ज्वालामुखी मंदिर को फिर सेलूटा और तोड़ा, तथा मंदिर में स्थापित मुख्यमूर्ति को तोड़ कर विजय चिन्ह के रूप में मदीना केमस्जिद के सीढियों में लगाने के लिए भेज दिया।इसके बाद 1398-99 ई में तुर्क अक्रांता तैमूरलंगड़े ने जम्मू, मेरठ, हरिद्वार और कांगड़ा केमंदिरों और लोगों को खूब लूटा। तैमूर नेअनेकों मंदिरों को तोड़ कर हजारों ब्राह्मणों सहितकितने ही आम हिन्दू जनता को मौत के घाट उतारदिया।सिकंदरलोदी ने भी तीसरी बार पुनर्निर्मितकांगड़ा के ज्वालामुखी मंदिर को तोड़ कर मुख्यप्रतिमा के अवशेष को कसाईयों को जानवर काटनेऔर तौलने के लिए दे दिया।
कश्मीर के शासकसिकंदर ने मार्तण्ड सूर्य मंदिर, विश्य मंदिर,इसाना मंदिर, चक्रवत मंदिर, और त्रिपुरेश्वर मंदिरको लूटकर तोड़ दिया था।बंगाल के पाण्डुआ में कई मंदिरों को तोड़ करमंदिरों के अवशेष से जलालुद्दीन मुहम्मदशाहका मकबरा लक्खी मस्जिद बनाया गया। 1408 ईमें इब्राहिम शाह शर्की ने कन्नौज केराजा विजयचंद्र के द्वारा निर्मित अटाला देवी मंदिरको तोड़ कर अटाला मस्जिद बना दिया।इन सब आक्रमणकारियों से कई कदम आगे बढ़तेहुए औरंगजेब ने मंदिरों को नष्ट करने के लिएशाही फरमान जारी कर दिया था। इसके आदेश केबाद गुतरात में कई मंदिरों को तोड़ा गया। सन्1666 ई में मथुरा के केशवदेव मंदिर को तोड़ा गया।1669 ई में उड़ीसा, मुल्तान और सिन्ध के कईमंदिरों के साथ काशी के विश्वनाथ मंदिर को भी तोड़दिया गया। उदयपुर में लगभग 235 मंदिरतथा जयपुर में 66 मंदिर तोड़े गए। हरिद्वारतथा अयोध्या में भी सैकड़ों मंदिर तोड़े गए।