Saturday, November 23, 2024
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नव-वर्ष! अभिनंदन है तुम्हारा!

नव-वर्ष यानी नया साल! जो था सो बीत गया और जो काल के गर्भ में है, वह हर पल, हर क्षण प्रस्फुटित होने वाला है। यों देखा जाए तो परिवर्तन प्रकृति का आधारभूत नियम है। तभी तो दार्शनिकों ने इसे चिरंतन सत्य की संज्ञा दी है। इसी नियम के अधीन काल-रूपी पाखी के पंख लग जाते हैं और वह स्वयं तो विलीन हो जाता है किन्तु अपने पीछे छोड़ जाता है काल के सांचे में ढली विविधायामी आकृतियां। कुछ अच्छी तो कुछ बुरी। कुछ रुपहली तो कुछ कुरूप। काल का यह खेल या अनुशासन अनन्त समय से चला आ रहा है। तभी तो काल को महाकाल या महाबली भी कहा गया है। उसकी थाह पाना कठिन है। उस अनादि-अनन्त महाकाल को दिन, मास और वर्ष की गणनाओं में विभाजित करने का प्रयास हमारे गणितज्ञ एवं ज्योतिषी लाखों वर्षों से करते आ रहे हैं। उसी काल-गणना का एक वर्ष देखते ही देखते हमारे हाथों से फिसल कर इतिहास का पृष्ठ बन गया और हम बाहें पसारे पूरे उत्साह के साथ अब नए वर्ष का स्वागत करने को तैयार हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों में नववर्ष का स्वागत अलग-अलग तरीके से किया जाता है। हमारे यहां जो उत्साह होली, दीवाली, दशहरा, ईद, क्रिसमस, गुरुपर्व इत्यादि विभिन्न त्योहारों पर देखा जाता रहा है, बिल्कुल वैसा ही उत्साह लोगों में नववर्ष के अवसर पर भी देखा जाता है। नववर्ष की शुरूआत के अवसर पर लोग एक-दूसरे को नए साल की बधाई देते हुए खुद के लिए भी भगवान से प्रार्थना करते हैं कि नया साल उनके लिए शुभ एवं फलदायी हो, नए साल में सफलता उनके कदम चूमे तथा नववर्ष उनके जीवन की बगिया को खुशियों से महका दे। जिस प्रकार दुनिया के कई देशों में नया साल मनाने के विचित्र रीति-रिवाज देखने को मिलते हैं, उसी प्रकार भारत में भी विभिन्न स्थानों पर नव वर्ष मनाने की ऐसी विचित्र परम्पराएं और रीति-रिवाज देखे जाते हैं कि उनके बारे में जानकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं। बहरहाल, भारत सहित दुनियाभर में नववर्ष मनाए जाने की परम्पराएं चाहे जो भी हों, सभी का उद्देश्य एक ही है कि नया साल सुख, शांति एवं समृद्धि से परिपूर्ण हो।

हाँ तो साहब, वर्ष २०२३ चुपचाप सरक गया और हमें भनक तक नहीं पडी। नव-वर्ष की पूर्व-रात्रि को अच्छे-भले सोए थे आप-हम, और अगली सुबह मालूम पड़ा कि नए वर्ष का अवतरण हो गया है। हर प्राणी-चाहे वह जड था या चेतन, की आयु एक वर्ष बढ़ गई। दार्शनिकों के अन्दाज़ में बात की जाए तो आयु बढी नहीं, आयु घट गई। यों यह बात अल्पायु वालों पर लागू नहीं होती। लागू होती है गृहस्थाश्रम की सीढ़ी को पार करने वाले उन बुजुर्गों पर जिन्होंने जीवन के ढेर सारे वसंत देखें हैं। अल्पायु वालों के लिए तो नया वर्ष नई खुशियों,आशाओं,चाहतों, एवं उमंगों का सन्देश लेकर आता है।

नया वर्ष जन्म कहां से लेता है, कभी आपने इस बात पर विचार किया है? लीजिए हम बताते हैं आपको। नया वर्ष जन्म लेता है बीते वर्ष की कोख में से। नए वर्ष का सूर्य अपनी नई ऊषमा के साथ जब गगनांचल में हंसता-खेलता उदित होता है, तो एक कवि की ये पंक्तियां बरबस याद आती हैं:

वह देखो मुंदी पलकों को खोलने
उगा है नए वर्ष का सूरज,
तम को हरने, खुशियां बांटने
वह देखो उगा है नए वर्ष का सूरज।
कर्त्तव्य के रथ पर मानव का पथ
आलोकित करने,
वह देखो उगा है नए वर्ष का सूरज।

कुछेक वर्षों से नव-वर्ष का स्वागत करने के लिए स्वदेशी और विदेशी मीडिया चैनलों पर मनोरंजन के नाम पर अनेक रंगारंग कार्यक्रम प्रसारित करने की होड़ सी मची हुई है। दर्शक अपने दु:खों को कुछ घंटों के लिए भूलकर रज़ाई या कम्बल की गर्मी में मूंगफली टूँगते हुए नव-वर्ष के सपनों को इन ग्लैमर भरे कार्यक्रमों में साकार करने का प्रयास करते हैं। यह बात सामान्य दर्शकों की है। नव-वर्ष का स्वागत करने का महान व्यक्तियों का तरीका कुछ और ही रहा है। तमिल साहित्य के यशस्वी कवि सुब्रह्मण्यम् भारती जितना अपने काव्य के लिए विख्यात हैं,उतना ही अपने दीनबन्धुत्व के लिए भी। जीवन में उन्हें जो भी मिला, वह उन्होंने दीनहीन बन्धुओं को अर्पित कर दिया। कहते हैं कि वे वर्ष के प्रथम दिन नियमपूर्वक अपना सारा समय सर्वहारा वर्ग के दुःखों को दूर करने में बिताते थे। अपने नए वस्त्र उतार कर भिखारियों को पहनाते थे आदि। विश्वविख्यात भारतीय इंजीनियर सर एम0 विश्वेशरैया को कौन नहीं जानता! नई खोजें करने और नई चीज़ें सीखने की जिज्ञासा उन में हमेशा बनी रही। वे जीवन भर अपने को एक जिज्ञासु विद्यार्थी ही मानते रहे। अपने कर्त्तव्य-पालन की भावना के प्रति जागरूक होकर वे वर्ष का प्रथम दिन नियमपूर्वक किसी न किसी नई चीज़ की जानकारी प्राप्त करने में बिताते थे। यह उनका स्वभाव था और नए वर्ष का स्वागत करने का अपना तरीका।

नव-वर्ष का स्वागत करने के ये तरीके कितने विरल,कितने आनन्ददायक तथा कितने प्रेरणास्पद हैं! यदि हम भी नए वर्ष का स्वागत ऐसे ही किसी नवीन संकल्प से करें तो कितना अच्छा हो। मन-ही-मन परम पिता परमेश्वर को याद करते हुए हमारा संकल्प होना चाहिए- “ नया वर्ष प्रारम्भ हो चुका है। नए उत्साह और नई स्फूर्ति के साथ मुझे अपने उद्देश्य को मूर्त्त रूप प्रदान करना है, सफलता अवश्य मेरा वरण करेगी। लाख विघ्न-बाधाएं आएं पर मैं अपने कर्त्तव्य-पथ से पीछे हटूंगा नहीं—मेरे प्रभु मेरे साथ हैं। नए वर्ष में मैं कुछ कर के दिखऊंगा—“। यदि हम ऐसा करते हैं तो अनायास ही महाकवि निराला की ये पंक्तियां सार्थक हो उठेंगी, जिन में सकल जगत के लिए नयव्यता की कामना की गई है:

‘नव गति, नव लय, ताल छंद नव,
नवल कंठ नव जलद मंद्र रव।
नव नभ के नव विहग वृंद को,
नव पर नव स्वर दे।’

महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की पंक्तियों की तरह ही हमें अपने जीवन में नई सोच, नई उमंग और नए उत्साह के साथ आगे बढ़ना है। दरअसल,नव्यता जड़ता को दूर करती है और जब जडता दूर हो जाती है तो मन-प्राण पुलकित एवं निर्मल हो उठते हैं और नई कर्म-भूमि की सृष्टि होती है। आइए, हम सब नए उत्साह, नए मनोबल और नई स्फूर्ति के साथ नव वर्ष का बाहें पसार कर स्वागत करें और कामना करें कि नया वर्ष समाज के हर व्यक्ति के लिए सुख-शान्ति का संदेश लेकर आए। खेतों में किया गया श्रम सार्थक हो, बालकों की मासूम हंसी अबाधित रहे, ललनाओं का श्रृंगार और मान सुरक्षित रहे और हम सभी पारस्परिक ईर्ष्या-द्वेष की भावनाओं तथा अन्य अन्य संकीर्णताओं को भूलकर नई उमंग के साथ नव-वर्ष का अभिनन्दन करें।वस्तुतः नये वर्ष के स्वागत का अर्थ है एक नई चेतना, एक नया भाव, एक नया संकल्प, कुछ ऐसा नया करने की प्रतिज्ञा, जो अब तक नहीं किया और कुछ ऐसा छोड़ने का भाव जिसके साथ चलना मुश्किल हो गया हो। ऐसा करके ही हम नए वर्ष का सच्चे अर्थों में स्वागत कर सकते हैं।

सच तो यही है कि नया वर्ष, नया संकल्प लेने का एक अवसर होता है, एक ऐसा संकल्प, जिसे हम लगातार साल भर तक निभाते रहें और जब किसी संकल्प को लगातार साल भर तक निभाया जाता है, तो वही हमारी आदत बन जाती है। यही आदत हममें कुछ इस तरह घुल-मिल जाती है कि वही हमारा व्यक्तित्व बन जाता है। इसलिए जरूरी है कि हम इस अवसर पर कोई एक संकल्प लें। चाहे वह संकल्प कितना भी छोटा क्यों न हो।यह संकल्प बहुत विचारपूर्वक और पूरे स्थिर मन से लिया जाना चाहिए और यदि एक बार ले लिया, तो फिर उसे किसी भी कीमत पर पूरा किया ही जाना चाहिए। इस तरह के संकल्प कई प्रकार के हो सकते हैं।

यहाँ पर इस बात का उल्लेख करना अनुचित न होगा कि बीते दो-एक वर्षों की खट्टी-मीठी स्मृतियों में हम कॅरोना महामारी के संकट को भूल नहीं सकते। हालांकि इस महामारी ने हम सब को खूब झकझोरा, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से हमारी खूब परीक्षा ली, फिर भी देशवासियों के आत्मविश्वास और मनोबल की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने इस प्राकृतिक आपदा का डट कर मुकाबला किया।जनसंख्या के लिहाज से विश्व के दूसरे बड़े हमारे देश ने पूर्ण आत्मविश्वास और धैर्य के साथ इस विपदा का प्रतिकार किया। इतिहास गवाह है कि संकट के समय देश की एकजुटता की खातिर आपदाओं से संघर्ष करने की अदम्य क्षमता हमारे देश की विशिष्टता रही है। आशा की जानी चाहिए कि आने वाले वर्ष में हम स्वविवेक, कर्त्तव्य-बोध, दानशीलता, अनुशासन-प्रियता, मितव्ययता, पारस्परिक सहयोग, भाईचारा, सहिष्णुता आदि के अनुपालन से करोना को परास्त कर चुके होंगे और नया वर्ष हम सब के लिए खुशियों और प्रसन्नता का संदेश लेकर आएगा।

एक बात और कहनी है। मानव-समाज अनेक प्रकार की कमजोरियों से भरा हुआ है। यह दावा करना बिल्कुल गलत होगा कि ‘मेरे अन्दर कोई अवगुण नहीं है।‘ नये वर्ष में हमें अपने संकल्पों में एक संकल्प यह भी जोड़ लेना चाहिए कि ‘मैं अपने किसी एक अवगुण-विशेष को समाप्त करूँगा।‘ जैसे: मैं अपने क्रोध को नियंत्रित करूँगा। मैं आलस्य से मुक्त होऊँगा।मुझे अपने अन्दर के ईर्ष्या के भाव को समाप्त करना है।वाणी में मिठास पैदा करनी है आदि-आदि। २०२४ में हमें विनम्रता के महत्व को हृदयंगम करना होगा । विनम्रता एक श्रेष्ठ गुण है। इस गुण से शत्रु को भी मित्र बनाया जा सकता है। जिनके स्वभाव में विनम्रता होती है, वे सभी के प्रिय होते हैं। ऐसे लोगों को हर स्थान पर सम्मान मिलता है।

आइए नयी ऊर्जा, आशा और उत्साह के साथ नववर्ष का स्वागत करें। हर ओर नया और सकारात्मक देखें। सभी चेहरों को नयी नजर से देखें। हर चीज में नयापन तलाशें। अपने आस-पास को नयी प्रेरणा और नयी आशा-उमंग से देखें। नयी राह की ओर देखें। नये सपने देखें, नए मार्ग बनाएं और उन पर चलना शुरू करें। इच्छाशक्ति को प्रबल करें। पाखंड का त्याग करें। भरोसा करें, भरोसे के लायक बनें। विश्वास करें, विश्वास जीतें। अपनी गरिमा समझें और दूसरों की अहमियत को भी समझें। अपनी स्मृतियों से पूर्वाग्रहों को मुक्त करें। यह कठिन तपस्या है, फिर भी प्रयास करें। स्मृतियों को बोझ न बनने दें। स्मृतियों को प्रेरक बनाएं। अच्छी यादें प्रेरणा देती हैं, सुख देती हैं। दुःखदायी स्मृतियों को मिटा दें। जिन दुर्गुणों को पिछले वर्ष झेला, उन्हें आज भूल जाएं। हम नये वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं।अतः यह कामना करें कि सब कुछ नया हो। सब कुछ अच्छा हो। हर ओर शुभ हो। हर काम का शुभ आरंभ हो।

नए वर्ष में यह भी कामना करें कि युवाओं के लिए रोजगार का मार्ग प्रशस्त हो। व्यापार में चल रही मंदी समाप्त हो। किसानों के लिए सकारात्मक माहौल बने। स्वच्छ भारत बने। शहरी-ग्रामीण जीवन स्तर में, अमीर-गरीब के बीच खाई चौड़ी न हो और सब के सम्मान की रक्षा हो।अनुचित साधनों से धन कमाने वाले की प्रशंसा कदापि न करें। नए साल में हमें यह भी कोशिश करनी चाहिए कि हम पुराने साल में की गई गलतियों को न दोहराएँ। अपने बीते समय की गलतियों तथा असफलताओं से सीख लेते हुए हम जिन्दगीं में आगे बढ़ें तथा अपनी सफलताएं सुनिश्चित करने की कोशिश करें। बदलते वक्त के साथ बदलें।जमाने के साथ चलें। बदलती तकनीक के साथ बदलें। अपटूडेट रहें ताकि फूहड़ न कहलाएं।नई सुबह इस नए साल में हमारे स्वागत के लिए तैयार खड़ी है। उसका गर्मजोशी के साथ बाहें फैलाकर स्वागत करें और ईश्वर से प्रार्थना करें:

अपनों का अपनों से लगाव बना रहे
आसमां छू लें, पर जमीं पर पाँव डटे रहें,
इस प्रार्थना पर विचार करना हे प्रभु,
सब के सपनों को तू साकार करना प्रभु।

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