हिन्दी दिवस के अवसर पर साहित्य अकादेमी दिल्ली में एस्सेल ग्रुप के अध्यक्ष एवँ राज्य सभा सांसद डॉ. सुभाष चंद्रा ने हिन्दी के जाने माने कवि एवँ विद्वान श्री अशोक चक्रधर के साथ ‘हिन्दी की वर्तमान स्थितिः चुनौतियाँ एवँ समाधान’ पर संवाद किया। हिन्दी दिवस के एक यादगार दिन डॉ. सुभाष चंद्रा की जीवनी पर हिन्दी में लिखी पुस्तक ‘द झेड फैक्टर-‘सही वक्त पर एक गलत व्यक्ति के रूप में मेरी जीवन यात्रा’ का लोकार्पण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नोबुल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी ने किया।
हिन्दी दिवस के इस मौके पर डॉ. सुभाष चंद्रा ने कहा कि अंग्रेजी कभी इस देश की संपर्क भाषा नहीं हो सकती। इस देश की जन जन क भाषा हिन्दी है और यही रहेगी। उन्होंने एक हिन्दी वाक्य का उल्लेख करते हुए कहा कि हिन्दी अपने ही दम पर आगे बढ़ रही है और ये बढ़ती रहेगी। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि हिन्दी में समय समय पर कई भाषाओं के शब्द समाहित होते गए और ये संपन्न होती गई। डॉ. चंद्रा ने कहा कि पहले मद्रास जाते थे तो लोग हिन्दी बोलना या सुनना पसंद नहिं करते थे, मगर आज दृश्य बदल चुका है। आज हिन्दी सात समंदर पार भी बोली और समझी जा रही है। डॉ. चंद्रा न कहा कि देश में अगर उच्च शिक्षा हिन्दी भाषा में या मातृभाषा में दी जाए तो कई कुशल कारीगर तैयार हो सकते हैं। उन्होंने लुधियाना का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ के अनपढ़ कारीगर दुनिया की किसी भी मशीन का कोई भी पुर्जा बना सकते हैं, जबकि उन्होंने कभी कोई शिक्षा ग्रहण नहीं की।
हिन्दी के महत्व पर बोलते हुए श्री अशोक चक्रधर ने कहा कि हिन्दी की सेवा करना ये शब्द ही हिन्दी को दयनीय बनाता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी आज बहुत उँचाई पर पहुँच चुकी है और आने वाले सालों में और भी ऊँचाई पर जाएगी। श्री चक्रधर ने कहा कि हिन्दी साहित्य से जुड़े लोग अगर गलत हिन्दी बोलें और बिना मतलब के अंग्रेजी बोलें तो इससे हिन्दी का विकास नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हिन्दी को अति शुध्दता की बजाय सभी भाषाओं के आम बोलचाल के शब्दों को अपनाकर इसे ज्यादा लोकप्रिय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शुध्द हिन्दी और व्यावहारिक हिन्दी में अंतर होना चाहिए।
डॉ. सुभाष चंद्रा की हिन्दी पुस्तक ‘द झेड फैक्टर-‘सही वक्त पर एक गलत व्यक्ति के रूप में मेरी जीवन यात्रा’ के लोकार्पण के अवसर पर श्री कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि दुनिया की कोई भाषा मेरी मातृभाषा का स्थान नहीं ले सकती। हिन्दी की अंग्रेजी से कोई टकराहट नहीं है। लेकिन अपनी भाषा को छोड़कर दूसरी भाषा में संवाद करना और अपनी भाषा को जानबूझकर गलत बोलना शर्मनाक बात है। हमें हर भाषा सीखनी चाहिए लेकिन अपनी भाषा की उपेक्षा नहीं हो। मुझे जब नोबुल पुरस्कार के लिए मंच पर आमंत्रित किया गया तो मैने जानबूझकर वहाँ अपनी बात की शुरुआत वैदिक श्लोक से की और उसका अर्थ भी हिन्दी में बताया, क्योंकि मेरे देश को पहली बार ऐसा मौका मिला था और मैंने उस मंच पर अपनी मातृभाषा में बात करके अपने आपको गौरवान्वित महसूस किया।‘’
इस कार्यक्रम में हिन्दी जगत के जाने माने हस्ताक्षर, साहित्यकार, लेखक आदि उपस्थित थे।
डॉ. सुभाष चंद्रा की हिन्दी पुस्तक ‘द झेड फैक्टर-‘सही वक्त पर एक गलत व्यक्ति के रूप में मेरी जीवन यात्रा’ फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया पर भी उपलब्ध है।
पुस्तक के कुछ अंशः
यह 14 दिसंबर 1991 की बात है, जब मैं एंबिएंस विज्ञापन एजेंसी के अशोक कुरियन के साथ हाँगकाँग में स्टार टीवी के ऑफिस में गया। वहाँ 10 से 12 वरिष्ठ और जूनियर अधिकारी व कर्मचारी बैठे थे। स्टार टीवी के प्रमुख रिचर्ड ली वहाँ नहीं थे, तो हम उनका इंतजार करने लगे। ऐसा लग रहा था मानो हम यहाँ किसी ऐसे राजा का इंतजार कर रहे थे जो आएगा और हमें आशीर्वाद देगा।
तभी अचानक रिचर्ड का आना हुआ और वो मेरे सामने बैठ गए, और कहा, ओके इंडियन चैनल…हिन्दी चैनल…लेकिन भारत में इसके लिए पैसा कहाँ है? रिचर्ड का रवैया बेहद उखड़ा हुआ था। उन्होंने कहा, किसी संयुक्त उपक्रम में मेरी कोई इच्छा नहीं है। मुझे ऐसा लगा कि रिचर्ड ने पहले से ही इसके लिए अपना दिमाग बना लिया था कि ये प्रोजेक्ट किसी काम का नहीं है।
तो फिर मैने सीधे उनसे कहा, मी अगर आप संयुक्त उपक्रम में रुचि नहीं रखते हैं तो क्या आप हमें सैटेलाईट (ट्रांसपोंडर) लीज पर दे सकते हैं?
इस पर ली ने कहा, कोई भी ट्रांसपोंडर 5 मिलियन प्रतिवर्ष से कम पर उपलब्ध नहीं है। मुझे इससे दूर रखने के लिए ये उनकी गर्वोक्ति थी।
मैने भी देर नहीं की और कहा, कोई बात नहीं, मैं आपको हर साल 5 मिलियन डॉलर दूंगा। यह फैसला मैने तत्क्षण किया था, मुझे इसके संभावित परिणामों के बारे में कुछ पता नहीं था।
लेखक के बारे में
सुभाष चंद्रा ज़ी एवँ एस्सेल ग्रुप की कंपनियों के प्रमोटर हैं, जो मीडिया, मनोरंजन जगत और पैकेजिंग, टेक्नॉलॉजी, इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा के क्षेत्र में एक स्थापित नाम है।
सुभाष चंद्रा का ट्विटर हैंडल @_SubhashChandra
प्रांजल शर्मा
प्रांजल शर्मा प्रिंट, डिजिटल, और टीवी मीडिया के क्षेत्र में विगत 25 वर्षों से सक्रिय हैं। उन्होंने इंडिया टुडे ग्रुप और सीएनबीसी 18 नेटवर्क की टीम का नेतृत्व किया है और वे ब्लूमबर्ग टीवी के लिए भारत में संस्थापक संपादक भी रहे हैं। इ दिनों वे बिज़नेस वर्ल्ड केलिए लिख रहे हैं और ज़ी बिज़नेस पर एक कार्यक्रम के सूत्रधार हैं।
उनका ट्विटर हैंडल है @pranjalsharma