Monday, November 25, 2024
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देश के धूर्त, मक्कार और बेईमान नेता नहीं, ये बेटियाँ हैं हमारी प्रेरणा

लकवे से बिस्तर पर पड़ा पिता। और घर में झांकती भूख। लोग क्या कहेंगे, का डर। छोटी सी उम्र लेकिन बड़ी हिम्मत। और ज्योति ने पिता की सैलून खुद चलाने का फैसला कर लिया। बाद में बहन नेहा भी साथ देने लगी। लड़कियों को ग्राहकों की दाढ़ी-बाल बनाते देखते तो कुछ दंग रह जाते तो कुछ ताने देते। क्या-क्या न सुना। न केवल वह लाचार पिता का सहारा बन गईं बल्कि विपरीत परिस्थितियों में हौसले और संघर्ष का प्रतीक भी। अपराजिता….जिसने जिंदगी की लाचारियों पर जीत हासिल की।

अमर उजाला ने अपने अभियान अपराजिता के मंच पर कसया नगर पालिका के बनवारी टोला की रहने वाली सगी बहनों ज्योति शर्मा (18) और नेहा शर्मा (16) का अभिनंदन कर राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया। पडरौना कायार्लय में बृहस्पतिवार को हुआ समारोह सादा था लेकिन शहर की चुनिंदा हस्तियों की उपस्थिति ने से इसे गरिमामय बना दिया। प्रतिष्ठित व्यवसायी एवं समाजसेवी दीप नारायण अग्रवाल ने दोनों बहनों को अभिनंदनस्वरुप उन्हें 5000-5000 रुपये की सम्मान राशि भेंट की।

 

 

हनुमान इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य शैलेंद्र दत्त शुक्ल और प्रबंधक मनोज शर्मा, रीयल पैराडाइज की प्रधानाचार्या डॉक्टर सुनीता पांडेय, स्योबाई कमला देवी टिबड़ेवाल कन्या इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या मुकुल शुक्ला, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष दीपाली सिन्हा, पूर्वांचल किसान यूनियन के अध्यक्ष पप्पू पांडेय, शिक्षिका श्वेता सहानी और पूनम गुप्ता ने भी इनके जज्बे को सलाम किया। सबने कहा, ये बेटियां कुशीनगर की शान।

यह रही संघर्ष कथा
ध्रुव नारायन शर्मा बनवारी टोला में गुमटी में सैलून चलाते थे। उनकी सात बेटियों में बडी रंजना, बबिता, कविता और ममता की शादी हो चुकी है। ज्योति जब छोटी थी, तभी दुकान पर पिता के काम में हाथ बंटाती थी। तीन साल पहले पिता शरीर के बाएं हिस्से में फालिज पड़ा। वह काम करने लायक नहीं रहे।

तब ज्योति ने इंटर करने के बाद पढ़ाई छोड़ घर का खर्च चलाने के लिए पिता की सैलून संभाल ली। उसकी मदद को 11 वीं में पढने वाली बहन नेहा भी आ गई। लोगों की आलोचना से बेपरवाह दोनों बहनें अपने काम में जुटी रहीं। समाजसेवी डॉक्टर जेपी शर्मा की मदद वे कसया में व्यूटीशियन का कोर्स कर रही हैं। छोटी गुंजन (15) दसवीं में है।

“हम समाज को यह बताना चाहती हैं कि बेटी और बेटों में कोई फर्क नहीं होता। कोई ऐसा काम नहीं है, जो बेटियां कर नहीं सकतीं।”
-ज्योति और नेहा

साभार- https://www.amarujala.com/ से

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