नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग ने गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के साथ मिलकर शांति और अहिंसा की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए 12 दिसंबर को मीडिया और सूचना साक्षरता पर ई-संवाद का आयोजन किया।
वेबस्टर यूनिवर्सिटी में मीडिया संचार के प्रोफेसर एमेरिटस आर्ट सिल्वरब्लाट, मीडिया लिटरेसी कंसलटेंट तथा मीडिया लिटरेसी क्लीयरिंग हाउस के संस्थापक श्री फ्रैंक डब्ल्यू बेकर, भारतीय जनसंचार संस्थान में विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग में पाठ्यक्रम निदेशक प्रोफेसर अनुभूति यादव तथा गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति में मीडिया साक्षरता विशेषज्ञ एवं कार्यक्रम अधिकारी डॉ वेदाभ्यास कुंडू ने इस कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित किया।
विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग ने वर्ष 2020-21 में मीडिया एवं सूचना साक्षरता को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभाई थी । विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग के विद्यार्थियों ने देशभर में 77 स्थानों पर मीडिया एवं सूचना साक्षरता कार्यशालाओं का आयोजन कर लगभग 1000 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया था। इस साल भी ई-संवाद के माध्यम से विद्यार्थी समाज में मीडिया एवं सूचना साक्षरता को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका को समझने में समर्थ हो सकेंगे।
डिजिटल इंटरनेशनल मीडिया लिटरेसी एजुकेशन (डी आई एम एल ई) प्रोजेक्ट के संस्थापक प्रोफेसर सिल्वरब्लाट ने मीडिया एवं सूचना साक्षरता के लिए शिक्षाप्रद सामग्री के सृजन में विद्यार्थियों द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका के बारे में चर्चा की और उनसे इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।
इस विषय पर प्रकाश डालते हुए श्री फ्रैंक डब्ल्यू बेकर ने कहा, ‘मीडिया एवं सूचना साक्षरता इस समय सबसे महत्वपूर्ण कौशल है। जब तक लोग अपने द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले मीडिया के बारे में आलोचनात्मक रूप से नहीं सोचेंगे, तब तक फेक न्यूज़ और उस जैसी अन्य सामग्री में यकीन करने वालों की तादाद यथावत रहेगी।
प्रोफेसर अनुभूति यादव ने कहा कि विद्यार्थियों को रचनात्मक सार्वजनिक कार्यों में शामिल किए जाने संबंधी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए ऐसे कदम सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में उठाए जाने चाहिए। पत्रकारिता और जनसंचार के विद्यार्थियों को इस प्रकार प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि मीडिया एवं सूचना साक्षरता को समाज के मूलभूत स्तर तक ले जाया जा सके।
डॉ वेदाभ्यास कुंडू ने कहा कि मीडिया में बड़े पैमाने पर परोसी जा रही हिंसा और हिंसक कहानियों ने हमारे सामने मीडिया जगत में शांति और अहिंसा के लिए महत्वपूर्ण स्थान बनाने की चुनौती रख दी है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में मीडिया एवं सूचना साक्षरता को अपने भीतर अहिंसा और शांति को समाहित करना होगा, ताकि नागरिकों में शांति के प्रति अभिरुचि विकसित हो सके। इसके अलावा अहिंसक संचार को मीडिया और संचार के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए ताकि उसका उपयोग रचनात्मक वीडियो संदेशों का सृजन करने में किया जा सके, उसको मीडिया प्रोडक्शन में केंद्रीय भूमिका मिल सके तथा हिंसा के कथानक में वह बदलाव लाने में सहायक हो सके।
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Ankur Vijaivargiya
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