भुवनेश्वर। 8नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पूर्व रात्रि में पुरी,श्रीमंदिर में पंचुक –दर्शन संपन्न हो गया।गौरतलब है कि पवित्रतम मास कार्तिक के अंतिम पांच दिन भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन पांच अलग –अलग वेशों में किया जाता है जिसे पंचुक कहा जाता है। ये वेश हैं-ठिआकिया वेश,बांकचूड वेश, त्रिविक्रम वेश,लक्ष्मी-नृसिंह वेश तथा स्वर्ण वेश।ये वेश जगन्नाथ जी के रात में होते हैं और रात के 11 बजे के उपरांत भक्तों को भोजन की व्यवस्था अलग-अलग स्वयंसेवी संस्थाएं करातीं हैं। ऐसे में, नव गठित उत्कल विद्वत परिषद् ने अपनी ओर से पंचुक भक्तों को रात्रि भोजन कराने में अहम् भूमिका निभाई।
परिषद के प्राणप्रतिष्ठाता मनोज कुमार रथ ने बताया कि पंचुक के दौरान उनकी परिषद् ने हजारों भक्तों को निःशुल्क भोजन कराया।अंतिम दो रात में व्यवस्था भुवनेश्वर के उत्कल बिल्डर्स के चेयरमैन तथा निःस्वार्थ समाजसेवी सुभाष भुरा की ओर से उनके द्वारा उपलब्ध कराई गई। मनोज कुमार रथ ने बताया कि पंचुक में भक्तों को रात्रि भोजन कराने से चार पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं-धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष।साथ ही साथ मान-सम्मान की भी प्राप्ति जगन्नाथजी के आशीर्वाद से प्राप्त होता है।वहीं सुभाष भुरा ने बताया कि जब उनको पता चला कि पुरी में रात के समय भक्तों को पंचुक दर्शन के उपरांत रात का भोजन नहीं मिलता है तो वे अपनी ओर से अंतिम दो रात्रि को उत्कल विद्वत परिषद के सौजन्य से अपनी ओर से उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।उ नको इस बात की खुशी है कि उनके आर्थिक सहयोग से पंचुक दर्शन करनेवाले जगन्नाथ भक्त अंतिम रात उनके स्वर्ण वेश दर्शन के उपरांत आनंदमय तरीके से रात्रिभोज किया।