नई दिल्ली। जहाँ सत्ता मिलते ही मंत्री, अफसर और नेता अपने अधिकारों पर अतिक्रमण कर सत्ता के नशे में मदहोश हो जाते हैं, ऐसे में देश में सुरेश प्रभु जैसे मंत्री भी हैं जो राष्ट्र हित में खुद आगे आकर अंग्रेजों के जमाने की परंपरा खत्म कर रेल बजट को आम बजट में शामिल करने के लिए पहल कर रहे हैं। देश को आज श्री सुरेश प्रभु जैसे मंत्री और नेता चाहिए जो अपने निजी स्वार्थ से हटकर राष्ट्र हित में सोच सकें।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर रेलवे का अलग से एक बजट पेश करने की पुरानी व्यवस्था खत्म कर इसका आम बजट में विलय करने की पेशकश की है। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रभु ने रेलवे के लिए अलग से एक बजट पेश करने की 92 साल पुरानी व्यवस्था को समाप्त कर आम बजट में इसका विलय करने की मांग की है। आम बजट वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है।
इस अधिकारी ने कहा कि यद्यपि यह पत्र जून में भेजा गया था, वित्त मंत्रालय से अभी तक इसका कोई जवाब नहीं आया है। नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबराय द्वारा रेल बजट का आम बजट में विलय करने की सिफारिश करने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने पिछले महीने रेल मंत्रालय से जवाब मांगा। अब चूंकि रेल मंत्री ने जवाब दे दिया है, रेल बजट का आम बजट में विलय करने पर निर्णय केन्द्र द्वारा किया
ऐसी हिम्मत सुरेश प्रभु ही दिखा सकते हैं
एक निवेदन
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