इधर राहुल गाँधी नया साल मनाने विदेश गए हैं और दूसरी ओर विधान सभाओं के चुनाव की घोषणा हो गई, इसको लेकर भाजपा में भारी बैचेनी है तो काँग्रेस का आम कार्यकर्ता बेहदत खुश नज़र आ रहा है।
भाजपा नेताओं को राहुल गाँधी के इस विदेशी दौरे को लेकर काँग्रेसियों की साजिश नज़र आ रही है। भाजपा नेताओं का कहना था कि जब-जब और जहाँ-जहाँ राहुल गाँधी की आम सभा हुई, उससे भाजपा को फायदा मिला, लेकिन अब काँग्रेसी नहीं चाहते कि राहुल गाँधी विधान सभा चुनावों में कांग्रेस का प्रचार करे, इसलिए उनको जबरन विदेश दौरे पर भेज दिया है।
इधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि हम भाजपा की ये साजिश सफल नहीं होने देंगे। भाजपा हर बार राहुल गाँधी के भाषणों की वजह से जीतती आई है, इस बार हमने तय किया है कि भाजपा को राहुल गाँधी के भाषणों का कोई लाभ नहीं मिले।
खबर तो ये भी है कि भाजपा ने चुनाव के स्टार प्रचारकों के जो नाम तय किए थे उसमें राहुल गाँधी का भी नाम डाल दिया था, लेकिन एन वक्त पर ये बात लीक हो गई और कांग्रेसियों के कड़े विरोध के बाद भाजपा को अपनी सूची से राहुल गाँधी का नाम हटाना पड़ा, इससे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई। अभी भी भाजपा नेताओं ने तय किया है कि जहाँ जहाँ राहुल गाँधी के भाषण होंगे, वहाँ भाजपा का कोई स्टार प्रचारक नहीं जाएगा। ऐसी जगहों पर भाजपा ऐसे कमजोर उम्मीदवारों को उतारने की कोशिश कर रही है जिनकी जमानत भी जप्त हो सकती है, लेकिन भाजपा को उम्मीद है कि राहुल गाँधी के भाषण के बाद ये उम्मीदवार विरोधी उम्मीदवारों की जमानत जप्त करवा देंगे।
इधर कांग्रेस का कहना है कि राहुल गाँधी के दम पर उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव जीतने की भाजपा की साजिश कभी सफल नहीं हो पाएगी, क्योंकि काँग्रेस क पास तो उत्तर प्रदेश में पहले से ही गिनती की सीटे हैं, अगर राहुल गाँधी के भाषण से भाजपा को फायदा भी पहुँचेगा तो वो नाममात्र का होगा।