Tuesday, November 26, 2024
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बहुआयामी व्यक्तित्व और साहित्य की सभी विधाओं के सिद्धहस्त शिल्पी रामस्वरूप मूंदड़ा

देश के साहित्यकारों में राजस्थान के बूंदी शहर में निवास करने वाले राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त रामस्वरूप मूंदड़ा एक ऐसे साहित्यकार हैं जो किसी विधा की सीमा में ही बंध कर नहीं रहे वरन सभी विधाओं गीत, ग़ज़ल, हाइकु, मुक्तक कविताएं, दोहे, आलेख और समीक्षाएं लेखन के सिद्धहस्त शिल्पी हैं। आपका राष्ट्रभाषा हिंदी के साथ-साथ राजस्थानी हाड़ौती भाषा पर भी समान अधिकार है और आप हाड़ोती अंचल के सशक्त साहित्यकार हैं, जिन्होंने अपनी साहित्य सेवा और कार्यों से राष्ट्रीय पहचान बनाई। इनकी रचनाएं 1957 से ही देश के पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। आपने देश के नामी कवियों के साथ देश में विभिन्न जगह आयोजित अनेक अखिल भारतीय सम्मेलनों में भाग ले कर राजस्थान का नाम रोशन किया है।

हाइकु शिल्पी
देश में गिनती के हाइकु लेखन साहित्यकारों में शामिल रामस्वरूप मूंदड़ा बताते हैं कि यह जापानी कविता का सबसे लघु रूप है। तीन पंक्तियों वाली कविता हाइकु में कुल 17 अक्षर में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी में 7 और तीसरी में 5 अक्षर रहते हैं। संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है। वे बताते हैं 17 वीं शताब्दी की जापानी कविता को भारत लाने का प्रथम श्रेय कविवर ‘रविंद्रनाथ ठाकुर’ को जाता है। रामस्वरूप जी ने 1970 में हाइकु कविता लिखना शुरू किया और अब तक 1230 हाइकु लिख चुके हैं। इनके हाइकु में अध्यात्मिक चेतना, दार्शनिकता, राजनीतिक, पारिवारिक समस्याओं, विडंबनाओं, धात प्रतिघात, प्रकृति चित्रण, जीवन मूल्यों, दरिद्रता, पाश्चात्य संस्कृति आदि विषयों का समावेश साफ देखा जा सकता है। भारत के कई पत्र – पत्रिकाओं में आपकी हाइकु कविताएं प्रकाशित हुई हैं। अहमदाबाद से प्रकाशित विश्व हाइकु कोष में आपके हाइकु शामिल होना साहित्य जगत ले लिए गर्व की बात है। इनकी कुछ हाइकु की बानगी देखिए……
1- व्यर्थ है मोह
कोई तेरा न मेरा
किसका डेरा ।
2- नीड में चूँ – चूँ
सूर्य खिलखिलाया
माँ ! उड़ चली ।
3- कांटों में कैद
फूल हंसता रहा
हंसता रह ।

दोहा
आप की दोहा लेखन की शैली भी आपकी अपनी अनूठी कल्पनाशीलता को दर्शाते हैं…………
किसकी किसको है फिकर,
किससे कहते पीर ।
कलम घिसाई कर रहा,
चुप रह रोज कबीर ॥

लघु कविता
आपने जहां हाइकु जैसी जापानी कविताएं लिखी वैसे ही हिंदी की लघु कविताएं लिखने में भी आपका कोई सानी नहीं है। आपने न जाने कितनी लघु कविताएं रची हैं और जब सुनाई तो खूब दाद पाई है। एक लघु कविता की बानगी देखिए……
कब
नदी में
पानी नहीं
कहां रही नदी ।
आँख में
सूख गए ऑसू
टूट गया मोह ।
अन्तर नहीं है
नदी और आँख में !
बच्चे
नदी में पानी उछलने पर
उछलते हैं
ऑख में
पानी उमगने पर
देते है माँ को आवाज ।

गज़ल
गज़ल लेखन विधा में भी आप उतने ही पारंगत है जितने अन्य विधाओं में। इनकी गज़ल भी कितनी काव्यमय होती है उतनी ही अर्थपूर्ण भी। आपकी गज़ल का एक उम्दा नमूना देखिए……..
मयान से खंजर निकलते हैं
इस तरह घर से निकलते हैं ।
शब्द तो बोले नहीं कुछ भी
आँख से अक्षर निकलते हैं ।
प्यार में सब कुछ लुटा बैठे
ऐसे भी मंजर निकलते है ।
दूर तक कोई नहीं दिखता
वक़्त भी बंजर निकलते हैं ।
सोचना इतना नहीं अच्छा
करने वाले कर निकलते हैं ।

आप गीत लेखन विधा के भी धनी है। इनके गीतों में स्थिति, परिवेश और कल्पना का इतना मनभावन प्रस्तुतीकरण होता है की सुनने वाला इनके साहित्यिक अवदान का कायल हो जाता है। अनेक मुक्तक लेखन से भी इन्होंने साहित्य को समृद्ध बनाया। मुक्तक लेखन की भी इनकी अपनी शैली है। एक नमूना देखिए..
रास्ते के शूल बीनें, फूल बिखराते रहे ;
सांझ क्यों रूखी रहे, हम गजल गाते रहे ;
जिंदगी जीने की मेरी ये अदा मत पूछिए
दर्द को नीचे दबा कर, होंठ मुस्काते रहे !

सम्मान
आपको सामाजिक एवं साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई संस्थाओं के द्वारा देश की तीन दर्जन से अधिक उपाधि एवं सम्मान से आपको सम्मानित किया गया है। जिनमें “समाज गौरव” भारतीय राष्ट्रीय सैन समाज एवं पिछड़ा वर्ग महासंघ, दिल्ली, “आचार्य” जैमिनी अकादमी, पानीपत हरियाणा, “कवि कोकिल” आचार्य श्री चन्द्र कविता महाविद्यालय एवं शोध संस्थान हैदराबाद, “डा अम्बेडकर फैलोशिप” डॉ सोहन पाल सुमनाक्षर राष्ट्रीय अध्यक्ष, दिल्ली, ” युग पुरुष” कादम्बिरी साहित्य परिषद् चिरमिरी, सरगुजा, (मध्य प्रदेश), “काव्य किरीट सम्मान” 1998 भाव सृष्टि समाकलन समिति, रामपुरा जालौन, उत्तर प्रदेश प्रमुख सम्मान और पुरस्कार सहित देश की अन्य संस्थाओं द्वारा भी अलंकरणों से सम्मानित किया गया।

परिचय
रामस्वरूप मूंदडा का जन्म पित स्व. हरिशंकर एवं माता जी स्व. पुष्पा देवी के आंगन में बूंदी शहर में 26 नवम्बर 1940 को हुआ। आपने बी. कॉम. और आचार्य की मानक उपाधि पानीपत हरियाणा से प्राप्त की है। आप पुलिस विभाग में ओ. एस. के पद से कोटा से सेवानिवृत्त हुए है। आप द अमेरिकन बायोग्राफीकल इन्स्टीटयूट् कैरोलिना (यूएस ए) के रिसर्च बोर्ड आफ एडवाइजरी के सन् 2000 से सदस्य हैं। साहित्यिक अभिरूचि के साथ – साथ आप अनेक सामाजिक एवं साहित्यिक संगठनों से जुड़े हैं।
संपर्क मोबाइल – 9414926428

डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

एक निवेदन

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