Sunday, December 29, 2024
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राष्ट्रीय सुरक्षा में सॉफ्ट कूटनीति की भूमिका

राष्ट्र-राज्य की मृदुल कूटनीति (सॉफ्ट कूटनीति) ऐसी विधा होती है जिसके कारण राष्ट्र अपने नीतियों, कार्यक्रमों, कार्यों, प्रभाव और प्रकृति के आधार पर वैश्विक अनुसमर्थन और वैश्विक विधिक शक्ति अर्जित करते है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विज्ञान में सॉफ्ट कूटनीति इतनी उपादेयता है कि इसके द्वारा शक्ति संतुलन (तराजू की स्थिति बराबर हो) को स्थापित किया जाता है। मृदुल कूटनीति किसी राष्ट्र-राज्य को सैनिक शक्ति, धमकी, राजनीतिक दबाव एवं व्यापारिक प्रतिबंध का प्रयोग किए बिना उसके राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करती है एवं राष्ट्रीय हितों को प्राप्त करने में प्रबल सहयोगी की भूमिका में होती है।

राजनीतिक शब्दावली में कहा जा सकता है कि राष्ट्र-राज्य की मृदुल कूटनीति राष्ट्रीय हितों के पूर्ति करने में सहयोगी होती है। मृदुल कूटनीति में वे सभी उपाय और गतिविधियां संयोजित हैं, जो राष्ट्र-राज्य की सीमाओं और असैनिक समाज /नागरिक समाज को सुरक्षित करता है। समकालीन संचार क्रांति के युग में मृदुल कूटनीति की उपादेयता का अत्यधिक उन्नयन हुआ है, इन दूरभाष के साधनों एवं संयंत्रों का अनुप्रयोग करके सॉफ्ट कूटनीति के आयाम को बढ़ाया जा रहा है, क्योंकि संचार साधनों के उन्नयन से वैश्विक राष्ट्र-राज्यों का समूह” सीमा विहीन राष्ट्र- राज्य” हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मृदुल कूटनीति की लोकप्रियता बढ़ी है। मृदुल कूटनीति का आशय किसी राष्ट्र-राज्य द्वारा बाध्यता या भुगतान के स्थान पर अपने प्रति आकर्षण/ सम्मोहन के द्वारा इच्छित वस्तु को प्राप्त करने के राजनीतिक कौशल से है। मृदुल कूटनीति की केंद्रीय भूमिका अपने प्रति दूसरे राष्ट्र-राज्यों का आकर्षण है, जिससे दूसरे राष्ट्र-राज्य प्रभावित होकर राष्ट्र राज्य(देश)का अनुसरण करते हैं और राजनीतिक नेतृत्व की बातों का सम्मान और गंभीरता से उसकी राय को की कद्र करते हैं।

सवाल यह है कि मृदुल कूटनीति के उत्तरदाई घटक/ अव्यय क्या हैं?
मृदुल कूटनीति संसाधनों के समुचित अनुप्रयोग करने की राजनयिक कला और शासकीय व्यवहार है। भारत एक प्राचीन संस्कृति है, जिसकी गहरी जड़ें इतिहास में हैं। भारत की ऐतिहासिक प्राचीन सभ्यता मानवीय सभ्यता के विकास में गंभीर भूमिका प्रदान करती है। भारत में एक लंबी सांस्कृतिक परंपरा है जो शांति, अहिंसा, सहनशीलता, सौहार्द, धैर्य, विभिन्न संस्कृतियों के बीच सद्भावना, भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि में संतुलित आयाम, व्यक्ति और प्रकृति के बीच संतुलन के आदर्शों, मूल्यों और परंपराओं पर जोर देती है। ये आदर्श, मूल्य, संस्कृति और परंपरा समकालीन में वैश्विक शांति, स्थिरता और स्थायित्व के मूलाधार हैं और इन उपयुक्त अवयव /प्रत्यय के विकास में भारतीय मनीषी, बौद्धिक और सामाजिक चिंतकों ने समय-समय पर मनन, चिंतन, उपदेश और कार्य-योजना प्रदान किए हैं।

भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिए गौरव का प्रतीक है कि भारत के भू-भाग पर पलवित और पुष्पित प्राचीन स्वास्थ्य लोक सेवा पद्धति” योग” को संयुक्त राष्ट्र ने विधिवत मान्यता प्रदान करके 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” के रूप में प्रसारित कर रहा है। यह भारत के मृदुल कूटनीति की उपादेयता है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 180 राष्ट्र-राज्यों (देश) के नागरिक स्वास्थ्य लाभ और स्वास्थ्य उन्नति के लिए योग कर रहे हैं। इस्लामिक देश(जो शरीयत से चलते हैं) में योग की लोकप्रियता बढ़ रहे हैं।

अहिंसा भारत के स्वतंत्रता संघर्ष/संग्राम का मुख्य साधन रहा है। राष्ट्रपिता (सुभाष चंद्र बोस द्वारा प्रदत्त), महात्मा (ऋषिवर रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा प्रदत्त), नंगा फकीर (तत्कालीन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चित द्वारा प्रदत्त) और एक व्यक्ति सीमा बल (महान वैज्ञानिक आइंस्टीन द्वारा प्रदत्त) का महत्वपूर्ण साधन था। गांधीजी स्वतंत्रता /बंधन मुक्ति जैसे साध्य को प्राप्त करने में अहिंसा रूपी साधन का प्रबल प्रयुक्तधर्मी थे। गांधी जी वैश्विक इतिहास में प्रतिष्ठित जन नेताओं में से एक है। एक महान संघर्ष नेता थे। यह साधन संपूर्ण वैश्विक स्तर के उपनिवेशवादी, शोषण से पीड़ित परतंत्र राष्ट्र और शोषित जनसमुदाय को एक आशा का भावना (spirit) दिया खासकर “3A” (अफ्रीका, एशिया और लातिनी अमेरिका के पराधीन अधिराज्यों को) इसने समानता (लोकतंत्र का सार तत्व), स्वतंत्रता (उदारवाद का सार तत्व) और बंधुत्व (समुदाय वाद का सार तत्व) है। महात्मा गांधी समकालीन में शांति और अहिंसा के प्रतीक व्यक्तित्व बन गए हैं।

महात्मा गांधी के विचारों की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण है कि अफ्रीका में स्वर्गीय नेशनल मंडेला को “अफ्रीकन गांधी “के रूप में माना जाता है।अमेरिका में श्वेत बनाम अश्वेत (वाइट वर्सेस ब्लैक) के संघर्ष को अहिसात्मक तरीके से संघर्ष करने वाले स्वर्गीय मार्टिन लूथर किंग जूनियर को संयुक्त राज्य अमेरिका (वैश्विक दरोगा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चमत्कारिक/करिश्माई व्यक्तित्व के कारण अमेरिका का कद और रुतबा फीका हो रहा है) को “अमेरिकन गांधी “कहा जाता है। इनके अहिंसा के साधन का सामरिक अस्त्र के रूप में प्रयोग के कारण लाल कुर्ती आंदोलन के नेतृत्वकर्ता खान अब्दुल गफ्फार खान को” सीमांत गांधी” कहा जाता है।

अयोध्या राम मंदिर के विषय को लेकर हिंदू संत बाबा राघव दास,जिनको” पूर्वांचल का गांधी” कहा जाता है, अपने राममय स्नेह की लोकप्रियता के कारण तत्कालीन समाजवाद के पुरोधा आचार्य नरेंद्र देव को चुनावी दंगल में पटक दिए थे। भारत के मृदुल कूटनीति की उपादेयता है कि संयुक्त राष्ट्र(1965 के पहले संयुक्त राष्ट्र संघ) ने जून, 2007 में महात्मा गांधी के जन्म दिवस /स्मृति दिवस को” अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस “के रूप में मनाने का प्रस्ताव किया और अब प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। वैश्विक स्तर की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संगठन के संघ चालक पूजनीय मोहन भागवत जी ने भारत के मृदुल कूटनीति की उपादेयता को रेखांकित किए हैं कि “वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। भारत ने श्रीलंका के आर्थिक संकट में सहयोग किए हैं।भारत ने यूक्रेन और रूस युद्ध में अमेरिका और रूस के दबाव के बावजूद राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर लगातार सफल होते जा रहे हैं और आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं। इस नवोत्थान (उभरते शक्ति) की आगाज हो चुकी है। (बीबीसी 5 अक्टूबर, 2022).

लोकतंत्र, लोकतांत्रिक संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्य के सफलता (साफलय) में भारत की मृदुल कूटनीति की उपादेयता महत्वपूर्ण है। भारत वैश्विक स्तर का सबसे बृहदलोकतंत्र है और वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र की मातृका / जननी है। भारत विकासशील देशों को लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता परिवर्तन के लिए प्रोत्साहित करता है और कई देशों के लिए एक आदर्श प्रतिरूप प्रस्तुत किया है और कर रहा है।

सारांशित शब्दों में भारत की मृदुल कूटनीति के द्वारा एक विकसित राष्ट्र-राज्य (विकसित भारत) बनाना है तथा भारत में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं पर्यावरण समस्या का निवारण और सुशासन को बढ़ावा देना है, इसलिए मृदुल कूटनीति की अभूतपूर्व प्रासंगिकता है।

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