Thursday, December 26, 2024
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‘ मन की बात ‘ की प्रासंगिकता

मन की बात’ एक अद्भुत  मंच है, जहां आदरणीय नरेंद्र मोदी जी( प्रधान सेवक )एक दोस्त ,दार्शनिक, शुभचिंतक एवं मार्गदर्शक की भूमिका में भारत की 140 करोड़ (अनुमानित) जनता के साथ अपने विचार /प्रत्यय / विज्ञान को विचार-विमर्श(वाद व प्रतिवाद) करते हैं। भारत परम सौभाग्यशाली शासितों( लोकतंत्र में शासक और शासित होते हैं )की  निर्वाचित प्रधानमंत्री (प्रधानमंत्री/ प्रधान सेवक /जनता की आवाज /140 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधि ) है जो अपने शासक के भाषण को सुनते हैं और फिर “नमो ऐप” पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। वह शासकीय  व्यवस्था सर्वोत्तम मानी जाती है, जिसमें शासक अपने शासकीय कार्यों ,प्रत्येक विधाई कार्य एवं अपने प्रत्येक भूमिका में अपने शासित( जनता के प्रति उत्तरदाई होता है)।
 लोकतांत्रिक व्यवस्था में मूर्खता और बुद्धिमत्ता  में मात्र इतना मौलिक अंतर होता है कि बुद्धिमत्ता / विवेकवान/ विचारवान / प्रत्ययवाद  की एक मौलिक विचारधारा होती है जिसको वह अपने शाशितों  के समक्ष प्रस्तुत करता हैं। शासकीय व्यवस्था में सत्यता ,गंभीरता एवम्  जिम्मेदारी शासन के अमरत्व का पथ है ,जबकि विचारहीनता गैर – जिम्मेदारी /तानाशाही का मार्ग  हैं। ‘ मन की बात’  संवाद में वह लोगों को जन कल्याण के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में सूचित करते हैं, उनके साथ लोकतंत्र व दैनिक जीवन की सफलता की कहानियां साझा करते है  और इस विषय पर उनके विचार को प्राप्त करते हैं।अभी तक सभी प्रधानमंत्रियों में यह एक अनूठा पहल है जिससे शासित(जनता) शासक के समीप महसूस करती है, इसी के कारण लोकतांत्रिक सहभागिता  की प्रतिशतता बढ़ती है।
 इस संवाद में मोदी जी समसामयिक समस्याओं जैसे जल संकट ,कुपोषण ,एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से स्वास्थ्य पर नुकसान और स्वच्छ पर्यावरण से संबंधित हैं। यह विषय दूरदर्शिता, स्वास्थ्य उपादेयता एवं लोकतांत्रिक उपादेयता के विषय हैं। इसके अतिरिक्त फिट इंडिया अभियान ,अच्छे काया के लिए योग और खेल और संस्कृति के लिए खेलो इंडिया कार्यक्रम आदि विषय हैं। जनता को संबोधित करते हुए मोदी जी ने उनको अनेक जनोपयोगी विषयों से अवगत कराया हैं, जैसे पेयजल की समस्या से निजात प्राप्त करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना, कुपोषण को रोकने के लिए पोषण अभियान, वन्य जीवों  को सुरक्षित व संरक्षित के लिए पर्यावरण संरक्षण की पहल, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम गगनयान और संसार का सर्वाधिक सफलतम कार्यक्रम आयुष्मान भारत कार्यक्रम की उपादेयता को जनता के सामने रखा हैं।
मोदी जी एक मार्गदर्शक व दार्शनिक की भूमिका में लोगों को जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन शुरू करने, सामूहिक सेवा के मूल्यों को अपने व्यक्तित्व में आत्मसात करने व उनके उपादेयता को महत्व देने, कचरे प्रबंधन की उपादेयता को बताना, एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर अंकुश लगाने के लिए सहयोग करना और तंबाकू की बुरी लत/ आदत को त्यागने के लिए लोगों को सलाह देने की कोशिश करना हैं।मोदी जी ” वोकल फॉर लोकल” की उपादेयता को रेखांकित करते हुए लोगों को स्थानीय उत्पादों को खरीदने और  स्थानीय  कारीगरों और शिल्पकारों  को प्रोत्साहित व मनोबल को सशक्त करने का आग्रह किया है।
इन सबको  प्रधानमंत्री द्वारा प्रोत्साहित करने का परिणाम/ नतीजा भी सकारात्मक रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री की बातों को जनता गंभीरता व आत्मीयता से लेती है। 21 दिसंबर 2022 तक 10.76 करोड़(55.62%) से अधिक ग्रामीण परिवारों को पर्याप्त मात्रा में और निर्धारित गुणवत्ता के साथ नियमित आधार पर पेयजल के कनेक्शन प्रदान किए जा रहे हैं।
भारत सरकार ने 2024 तक शेष सूरत 16.12 करोड़ परिवारों को नल के कल के जल की सुविधा प्रदान करने का संकल्प लिया हैं। जल ही जीवनदायिनी, शक्ति व ऊर्जा का स्रोत है। जल मातृवत अपना आशीर्वाद देती हैं। जल सबको समान प्रतिशतता में स्नेह देती हैं। पानी की कमी से देश के कई हिस्से प्रत्येक साल प्रभावित होते हैं।प्रत्येक वर्ष  वर्षा से जो पानी प्राप्त होता है ,उसका केवल 8% हमारे देश में संरक्षित किया जाता हैं। जल की समस्या को जनभागीदारी से,जनशक्ति से, 140 करोड़ भारतवासियों के सामर्थ्य, सहयोग और संकल्प से इस संकट का समाधान कर लेगें।
 शुद्ध जल की महत्ता की उपादेयता को रेखांकित करते हुए जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है, जिससे जल्द से संबंधित सभी विषयों पर तेजी से फैसले लिए जा सकते हैं।” पानी की कमी से देश के कई हिस्से प्रत्येक साल प्रभावित होते हैं। मुझे विश्वास है, हम दूसरी और समस्याओं की तरह ही जनभागीदारी से, जनशक्ति से 140 करोड़ भारतीयों के सहयोग और संकल्प इस संकट का भी समाधान कर लेंगे “.मोदी जी सामूहिक प्रयास व  टीम भावना के अनुरूप कार्य की उपादेयता को वरीयता देते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के रपट के अनुसार भारत में कुपोषण की दर 55% था ,जो प्रधानमंत्री के आवाहन के कारण घटकर 48% हो गया हैं। यह प्रधानमंत्री के ‘ मन की बात’  कार्यक्रम की उपादेयता व प्रासंगिकता हैं। एकल उपयोग प्लास्टिक भी एक गंभीर समस्या है ।उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष उत्पादित 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे में से 43% एकल उपयोग प्लास्टिक हैं। मोदी जी के द्वारा जनांदोलन बनाने के बाद इसमें गुणात्मक परिवर्तन आया है और अब एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग 38 % पर आ चुका हैं। मासिक रेडियो कार्यक्रम’  मन की बात ‘ के जरिए मोदी जी लगातार उन व्यक्तियों पर प्रकाश डालते हैं,उन्होंने महत्वपूर्ण तरीके से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरा प्रभाव डाला है और देश को गौरवान्वित किया हैं।सहज व सरल भाषा में मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने वाले’  मन की बात’  जनता के मन को छू लेती है।’  मन की बात’  में संपूर्ण भाव भारत का मनोभाव समाहित हैं।
मन की बात’  कार्यक्रम के ‘ योग दिवस’  की उपादेयता को सिद्ध किया है।योग दिवस में जिस सक्रियता के साथ, उमंग के साथ एक – एक परिवार के  तीन-  तीन चार – चार पीढ़ियों ने योग दिवस को मनाया था ।सूर्योदय होते ही योगाभ्यास प्रारंभ हो जाता है ।
वैश्विक  स्तर पर योग की उपादेयता बड़ी है ।मोदी जी के शब्दों में “एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए स्वस्थ  और संवेदनशील व्यक्तियों की आवश्यकता होती है और योग् यही सुनिश्चित करता है। इसलिए योग का प्रचार – प्रसार समाज सेवा का महान कार्य  हैं” ‘ मन की बात’  समाज और राज्य में नए भाव, नई अनुभूति ,नया संकल्प और नया ऊर्जा का प्रसार करता हैं।हम सभी ‘ मन की बात ‘ को शत –  प्रतिशत अपने जीवन में क्रियान्वित करें।

एक निवेदन

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