संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित सम्मान में हिन्दी साहित्य के लिए पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान, लोक नाट्य एवं लोक शिल्प के क्षेत्र में दाऊ मंदराजी सम्मान, शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के लिए चक्रधर सम्मान, देश के बाहर अप्रवासी भारतीय द्वारा सामाजिक कल्याण, साहित्य, मानव संसाधन, निकाय अथवा आर्थिक के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान, हिन्दी/छत्तीसगढ़ी सिनेमा में रचनात्मक लेखन, निर्देशन, अभिनय, पटकथा लेखन हेतु किशोर साहू सम्मान और हिन्दी/छत्तीसगढ़ी सिनेमा में सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशन हेतु किशोर साहू राष्ट्रीय सम्मान शामिल है।
छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग द्वारा राज्य और राष्ट्रीय सम्मान 2024 के लिए आवेदन आंमत्रित
मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, सामाजीकरण हो: डॉ. सुरेंद्र जैन
नई दिल्ली। तिरुपति मंदिर में प्रसादम् को गम्भीर रूप से अपवित्र करने से आहत विश्व हिंदू परिषद ने आज कहा है कि अब मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, समाजीकरण होना चाहिए।
विहिप के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने यह भी कहा कि इस दुर्भाग्यजनक महापाप की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कर दोषियों को कठोरतम सजा होनी चाहिए। साथ ही भगवान के भक्तों को समाविष्ट कर ऐसी व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए जिसमें इस तरह के षड्यंत्र का कोई संभावना न रह सके।
उन्होंने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर से मिलने वाले महाप्रसाद की पवित्रता के संबंध में आस्थावान हिंदुओं की अगाध श्रद्धा होती है। दुर्भाग्य से इस महाप्रसाद को निर्माण करने वाले घी में गाय व सूअर की चर्बी तथा मछली के तेल की मिलावट के अत्यंत दुखद और हृदय विदारक समाचार आ रहे हैं। पूरे देश का हिंदू समाज आक्रोशित है और हिंदुओं का क्रोध अलग-अलग रूप में प्रकट हो रहा है। इस दुर्भाग्य-जनक महापाप की एक उच्च स्तरीय न्यायिक जांच तो होनी ही चाहिए साथ ही दोषियों को कठोरतम सजा भी शीघ्रातिशीघ्र होनी चाहिए।
डॉ जैन ने आज एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि तिरुपति बालाजी मन्दिर का संचालन आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित बोर्ड करता है। वहां केवल महाप्रसाद निर्माण के मामले में ही हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया गया अपितु, हिंदुओं के द्वारा अत्यंत श्रद्धा भाव से अर्पित की गई देव राशि (चढ़ावा) के सरकारी अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा दुरुपयोग के भी कष्टकारी समाचार मिलते रहते हैं। कई बार तो हिंदुओं के धर्म पर आघात कर हिंदुओं का धर्मांतरण करने वाली संस्थाओं को इस पवित्र राशि से अनुदान देने के समाचार भी मिलते रहे हैं। इस प्रकार के समाचार तमिलनाडू, केरल व कर्नाटक से भी मिल रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व ही समाचार आया था कि राजस्थान की गत कांग्रेस सरकार ने जयपुर के प्रसिद्ध श्री गोविंद देव जी मन्दिर से 9 करोड़ 82 लाख रुपए ईदगाह को दिए थे। ये राज्य सरकारें मंदिरों की संपत्ति व आय का निरंतर दुरुपयोग करती रहती हैं तथा उनका उपयोग गैर हिंदू या यों कहें कि हिंदू विरोधी कार्यों में करती रही है।
विहिप नेता ने कहा कि हमारे देश में संविधान के सर्वोपरि होने की दुहाई तो बार-बार दी जाती है परंतु दुर्भाग्य से हिंदुओं की आस्थाओं के केंद्र मंदिरों पर विभिन्न सरकारें अपना नियंत्रण स्थापित कर हिंदुओं की भावनाओं के साथ सबसे घृणित धोखाधड़ी संविधान की आड़ में ही कर रही हैं। जो सरकारें संविधान की रक्षा के लिए निर्माण की जाती हैं वे ही संविधान की आत्मा की धज्जियां उड़ा रही है। अपने निहित स्वार्थ के कारण मंदिरों का अधिग्रहण कर वे संविधान की धारा 12, 25 व 26 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही हैं। जबकि मा. न्यायपालिका ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि सरकारों को मंदिरों के संचालन और उनकी सम्पत्ति की व्यवस्था से अलग रहना चाहिए।
क्या स्वतंत्रता प्राप्ति के 77 वर्ष बाद भी हिंदुओं को अपने मंदिरों का संचालन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती? अल्पसंख्यकों को तो अपने धार्मिक संस्थान चलाने की अनुमति है परंतु हिंदू को यह संविधान सम्मत अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा? यह सर्व विदित है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को लूटा और नष्ट किया था। अंग्रेजों ने चतुराई पूर्वक उन पर नियंत्रण स्थापित करके उन्हें निरंतर लूटने की प्रक्रिया स्थापित कर दी।
कैसा दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी भारत की सरकारें इस औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त है और हिंदुओं के मंदिरों पर नियंत्रण स्थापित कर उन्हें लूट रही हैं। तमिलनाडू में 400 से अधिक मंदिरों पर कब्जा करके वहां की हिंदू विरोधी सरकार मनमानी लूट कर रही है और न्यायपालिका के कहने के बावजूद खुलेआम हिंदुओ की आस्था और सम्पत्ति पर डाका डाल रही है। वहां के कई बड़े मन्दिर विशाल चढ़ावे के बावजूद इतने घाटे में दिखाए जाते हैं कि उनकी पूजा सामग्री तक की उचित व्यवस्था नहीं हो पाती। केरल के कई मंदिरों में इफ्तार पार्टी दी जा सकती है लेकिन हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भारी शुल्क देना पड़ता है।
डॉ जैन ने कहा कि तिरुपति बालाजी व अन्य स्थानों पर की जा रही अनियमितताओं के कारण अब हिंदू समाज का यह विश्वास और दृढ़ हो गया है कि अपने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराए बिना उनकी पवित्रता को पुनर्स्थापित नहीं किया जा सकता।
यह स्थापित मान्यता है कि हिंदू मंदिरों की संपत्ति व आय का उपयोग मंदिरों के विकास व हिंदुओं के धार्मिक कार्यों के लिए ही होना चाहिए। “हिंदू आस्था की सम्पत्ति हिंदू कार्यों के लिए।” यह सर्वमान्य सिद्धांत है। वास्तविकता यह है कि हिंदू मंदिरों की आय व संपत्ति की खुली लूट अधिकारियों व राजनेताओं के द्वारा तो की ही जाती है कई बार उनके चहेते हिंदू विरोधियों द्वारा भी की जाती है।
विश्व हिंदू परिषद सभी सरकारों से आग्रह करती है कि उनके द्वारा अवैधानिक और अनैतिक कब्जों में लिए गए सभी मंदिरों को अविलंब मुक्त करके हिंदू संतो व भक्तों को एक निश्चित व्यवस्था के अन्तर्गत सौंप दें। इस व्यवस्था का प्रारूप पूज्य संतों ने कई वर्षों के चिंतन मनन व चर्चा के बाद निर्धारित किया है। इस प्रारूप का सफलतापूर्वक उपयोग कई जगह किया जा रहा है।
हमें विश्वास है कि परस्पर विमर्श से ही हमारे मंदिर हमको वापस मिल जाएंगे और हमें व्यापक आंदोलन के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा।
उन्होंने घोषणा की कि अभी हम सभी राज्यों के राज्यपालों के माध्यम से सरकारों को धरने प्रदर्शन करके ज्ञापन देंगे। यदि ये सरकारें हिंदू मंदिरों को समाज को वापस नहीं करेंगी तो हम व्यापक आन्दोलन करने को विवश होंगे। हम मंदिरों का “सरकारीकरण नहीं समाजीकरण” चाहते हैं, तभी हिंदुओ की आस्था का सम्मान होगा।
विनोद बंसल
(राष्ट्रीय प्रवक्ता)
विश्व हिन्दू परिषद
पश्चिम रेलवे ने 10 कर्मचारी महाप्रबंधक संरक्षा पुरस्कार से सम्मानित
मुंबई। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री अशोक कुमार मिश्र ने पश्चिम रेलवे के 10 कर्मचारियों को सुरक्षित ट्रेन परिचालन में उत्कृष्ट कार्य निष्पादन के लिए प्रधान कार्यालय, चर्चगेट में सम्मानित किया। इन कर्मचारियों को अगस्त, 2024 के दौरान ड्यूटी में उनकी सतर्कता तथा अप्रिय घटनाओं को रोकने में उनके योगदान और इसके परिणामस्वरूप सुरक्षित ट्रेन परिचालन सुनिश्चित करने के लिए सम्मानित किया गया। इन 10 कर्मचारियों में अहमदाबाद मंडल से 04, मुंबई सेंट्रल एवं भावनगर मंडल प्रत्येक से 02 जबकि वडोदरा एवं रतलाम मंडल प्रत्येक से 01 शामिल हैं।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार श्री मिश्र ने सम्मानित किए गए कर्मचारियों की सतर्कता की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे सभी कर्मचारियों के लिए अनुकरणीय आदर्श हैं। सम्मानित किए गए कर्मचारियों ने संरक्षा के विभिन्न क्षेत्रों जैसे रेल एवं ट्रैक फ्रैक्चर का पता लगाना, अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाना, मानव जीवन को बचाना, कोचों में पाए जाने वाले धुएं को बुझाना, ब्रेक बाइंडिंग, लटकती वस्तुओं का पता लगाना आदि जैसे संरक्षा से संबंधित कार्यों को करते हुए ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन सुनिश्चित करने में उत्साह और प्रतिबद्धता दिखाई।
पश्चिम रेलवे को इन सभी पुरस्कृत कर्मचारियों पर गर्व है जिन्होंने अपनी त्वरित कार्रवाई और सतर्कता से किसी भी अप्रिय घटना की संभावना को रोकने में मदद की।
(फोटो कैप्शन: पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री अशोक कुमार मिश्र, अपर महाप्रबंधक एवं विभिन्न विभागों के प्रमुख विभागाध्यक्ष महाप्रबंधक संरक्षा पुरस्कार विजेताओं के साथ दिखाई दे रहे हैं।)
बहुत प्यार करते हैं शब्दःजैसे बादलों की ओट से झांकता इंद्रधनुष
उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में आयोजित हुआ हिन्दी कवितापाठ
भुवनेश्वर। 22 सितंबर को सायंकाल स्थानीय उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में मुख्य संरक्षक सुभाष चन्द्र भुरा की अध्यक्षता में हिन्दी पखवाड़े के अवसर पर हिन्दी कवितापाठ आयोजित हुआ जिसमें सम्मानित अतिथि के रुप में डॉ एस के तमोतिया ने योगदान दिया।
बजट में घोषित की गई प्राकृतिक खेती को लागू करने के संदर्भ में प्रधान मंत्री को पत्र
आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी,
माननीय प्रधानमंत्री,
भारत सरकार
महोदय,
विषय: बजट में घोषित की गई प्राकृतिक खेती को लागू करने के संदर्भ में
माननीय केन्द्रीय वित्त मंत्री का बजट 2024-25 में देश के एक करोड किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडने की घोषणा निश्चय ही सराहनीय कदम है। प्राकृतिक खेती से किसानों की कृषि लागत काफी कम हो जायेगी, जिससे आर्थिक व सामाजिक स्तर में बदलाव आयेगा। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक खेती स्वास्थ्य व पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभकारी सिद्ध होगी।
नीति आयोग के तत्कालीन सचिव श्री यदुवेन्द्र माथुर ने मुझे निर्देशित किया कि वे प्राकृतिक खेती के जनक एव पद्म श्री सुभाष पालेकर द्वारा ईजाद की गए पद्धति का प्रशिक्षण शिबिर आयोजित कर लगभग 6 किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिलाये। उसके निर्देश पर भरतपुर में डा० सुभाष पालेकर पद्धति का 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित कराया । जिसमें 19 प्रदेशों व 3 देशों (भारत, नेपाल, एव मेक्सिको) के 6500 किसानों ने भाग लिया। उस समय में लुपिन फाउण्डेशन में कार्यकारी निदेशक के पद पर कार्यरत था।
प्रशिक्षण के बाद लगभग 900 किसानों ने सुभाष पालेकर मॉडल पर आधारित खेती करना प्रारंभ किया। जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुये। इस खेती के उत्पाद बाजार में न केवल लोकप्रिय बन गये बल्कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त उत्पाद प्राप्त होने लगें !
मान्यवर, बजट में सरकार ने एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है। प्राकृतिक खेती के सम्बंध में यह स्पष्ट करना होगा कि वे कौन सी प्राकृतिक खेती की अपनायें क्योंकि देश में कई प्राकृतिक खेती की पद्धतियां प्रचलित हैं। डॉ० सुभाष पालेकर पद्धति को अपनाकर किसानों को अनुकरणीय लाभ प्राप्त हुये है ऐसी स्थिति डॉ० पालेकर की पद्दति को ही प्राकृतिक खेती को पद्धति मानकर इसे लागू किया जाये।
यहां मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि कृषि विभाग के कुछ आधिकारियों ने श्रीलंका का हवाला देकर खाद्य संकट उत्पन्न को जो आंशका व्यक्त ही है। यह निराधार है।
अतः आपसे विनम्र आग्रह है कि एक देश के एक करोड़ किसानों को डॉ० सुभाष पालेकर पद्दति पर खेती कराने के लिए निर्देशित करे एवं शेष 11.5 करोड़ किसानों को परम्परागत खेती करने की अनुमति दें ताकि दोनो पद्धतियों की लाभ-हानि का पता चल सके।
हमें आशा ही नहीं अपितु विश्वास है कि इस सम्बन्ध में शीघ्र आदेश जारी कर अनुग्रहित करे।
सीताराम गुप्ता निदेशक
समृध्द भारत अभियान
New Delhi : Kamla Devi Bhawan, 5,
New Delhi – 110002
उपवास में खाया जाने वाला राजगिरा अंतरिक्ष यात्रियों का भोजन बना
आमतौर पर रामदाना (Ramdana) को राजगिरा भी कहा जाता है। इसका सेवन अक्सर पूजा के समय उपवास करने पर किया जाता है। व्रत में राजगिरी के आटे (rajgiri ka Atta) का परांठा या हलवा बनाकर खाया जाता है। नवरात्री के समय रामदाने का लड्डू (rajgira ladoo) भी बनाकर खाया जाता है। रामदाना पौष्टिकारक होने के कारण इसके अनगिनत फायदे हैं, इसलिए उपवास के समय ज्यादातर इसका सेवन किया जाता है। राजगिरा चौलाई के दानों से बनाया जाता है, इसलिए कहीं-कहीं इसको चौलाई का बीज भी कहा जाता है। रामदाना को अनाज नहीं माना जाता है इसलिए व्रत के दौरान खाया जाता है।
रामदाना, अमरंथ या राजगिरा के बीज को कहते हैं. रामदाना के बारे में कुछ खास बातेंः
रामदाना को दुनिया का सबसे पुराना खाद्यान्न माना जाता है.
रामदाना को चौलाई भी कहा जाता है.
रामदाना को अंग्रेज़ी में किंगसीड या अमरंथ कहते हैं.
रामदाना को शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है.
रामदाना में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है.
रामदाना में मौजूद फ़ाइबर, पेट की समस्याओं में फ़ायदेमंद है.
रामदाना का सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है.
रामदाना का सेवन करने से हृदय और डायबिटीज़ के रोगियों को भी फ़ायदा होता है.
रामदाना का सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में राहत मिलती है.
रामदाना का सेवन करने से पाचन तंत्र बेहतर रहता है.
रामदाना का सेवन करने से कब्ज़, गैस, अपच, ब्लोटिंग, और एसिडिटी की समस्या नहीं होती.
रामदाना को नवरात्र के दौरान व्रत के रूप में खाया जाता है.
रामदाना की खेती अगस्त के महीने में की जाती
प्रदेश में रोजगार बढ़ने के लिए अधिक से अधिक निवेश लाने के प्रयास
पवन कल्याण ने कहा हिंदुओं के लिए सनातन बोर्ड का गठन किया जाए
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और अभिनेता पवन कल्याण ने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में पाई गयी मिलावट को लेकर नाराजगी जतायी है। पवन कल्याण ने इस घटना को धार्मिक भावनाओं का अपमान बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि पूरे देश में मंदिरों से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ का गठन किया जाए।
इस बीच पत्रकार और एंकर आनंद नरसिम्हन ने भी इस मामले पर अपनी राय दी है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सनातन की रक्षा करने के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि लोग एकजुट भी हो। उन्होंने लिखा, जब तक सनातनी विभाजित है तब तक सनातन रक्षा संभव नहीं है।
हमारे मंदिरों और किलों के दरवाजे हमेशा आक्रमणकारियों के घुसने के लिए भीतर से खुले रहे हैं। जैसा कि एक मठाधीश ने हाल ही में कहा था ‘बटेंगे तो कटेंगे’। यह हिंदू समाज के भीतर विभाजन, अहंकार, भ्रष्टाचार और अवसरवाद है जिसने हिंदू जीवन शैली को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है।
हिंदुत्व के अस्तित्व के लिए हिंदू समाज को पहले एक होना पड़ेगा। एक और एक ग्यारह। अन्यथा हिंदू समाज विभाजनकारी ताकतों के आगे झुकता रहेगा। धर्मो रक्षति रक्षितः।
पवन कल्याण ने इस मुद्दे पर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि जो भी लोग इस मामले में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और उनकी गरिमा को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने का भी आश्वासन दिया।