Monday, November 25, 2024
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छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग द्वारा राज्य और राष्ट्रीय सम्मान 2024 के लिए आवेदन आंमत्रित

रायपुर,/ संस्कृति विभाग द्वारा राज्य और राष्ट्रीय सम्मान 2024 के लिए आवेदन आंमत्रित किए गए है। इच्छुक आवेदक निर्धारित प्रारूप में अपना आवेदन सीधे पंजीकृत डाक के माध्यम से 5 अक्टूकर तक संचालनालय संस्कृति एवं राजभाषा द्वितीय तल, व्यावसायिक परिसर, सेक्टर-27, नवा रायपुर अटल नगर छत्तीसगढ़ को अपना आवेदन प्रेषित कर सकते है। आवेदक विस्तृत जानकारी विभाग के वेबसाईट www.cgculture.in पर प्राप्त कर सकते है। चयनित पात्र को राज्य अलंकरण समारोह के अवसर पर राज्य अलंकरण सम्मान से विभूषित किया जाएगा। गौरतलब है कि संस्कृति विभाग द्वारा 11 राज्य स्तरीय सम्मान और 01 राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया जाता है।

संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित सम्मान में हिन्दी साहित्य के लिए पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान, लोक नाट्य एवं लोक शिल्प के क्षेत्र में दाऊ मंदराजी सम्मान, शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के लिए चक्रधर सम्मान, देश के बाहर अप्रवासी भारतीय द्वारा सामाजिक कल्याण, साहित्य, मानव संसाधन, निकाय अथवा आर्थिक के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अप्रवासी भारतीय सम्मान, हिन्दी/छत्तीसगढ़ी सिनेमा में रचनात्मक लेखन, निर्देशन, अभिनय, पटकथा लेखन हेतु किशोर साहू सम्मान और हिन्दी/छत्तीसगढ़ी सिनेमा में सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्देशन हेतु किशोर साहू राष्ट्रीय सम्मान शामिल है।

इसी प्रकार लोक नृत्य और पंथी नृत्य हेतु क्रमशः देवदास बंजारे स्मृति सम्मान और देवदास बंजारे स्मृति पंथी नृत्य सम्मान, आंचलिक साहित्य/लोक कविता के लिए लाला जगदलपुरी साहित्य सम्मान, छत्तीसगढ़ी लोकगीत के लिए लक्ष्मण मस्तुरिया सम्मान, छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के क्षेत्र खुमान साव सम्मान, समकालीन रंगकर्म के क्षेत्र हबीब तनवीर सम्मान शामिल है।

मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, सामाजीकरण हो: डॉ. सुरेंद्र जैन

नई दिल्ली। तिरुपति मंदिर में प्रसादम् को गम्भीर रूप से अपवित्र करने से आहत विश्व हिंदू परिषद ने आज कहा है कि अब मंदिरों का सरकारीकरण नहीं, समाजीकरण होना चाहिए।

विहिप के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने यह भी कहा कि इस दुर्भाग्यजनक महापाप की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच कर दोषियों को कठोरतम सजा होनी चाहिए। साथ ही भगवान के भक्तों को समाविष्ट कर ऐसी व्यवस्था भी सुनिश्चित करनी चाहिए जिसमें इस तरह के षड्यंत्र का कोई संभावना न रह सके।
उन्होंने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर से मिलने वाले महाप्रसाद की पवित्रता के संबंध में आस्थावान हिंदुओं की अगाध श्रद्धा होती है। दुर्भाग्य से इस महाप्रसाद को निर्माण करने वाले घी में गाय व सूअर की चर्बी तथा मछली के तेल की मिलावट के अत्यंत दुखद और हृदय विदारक समाचार आ रहे हैं। पूरे देश का हिंदू समाज आक्रोशित है और हिंदुओं का क्रोध अलग-अलग रूप में प्रकट हो रहा है। इस दुर्भाग्य-जनक महापाप की एक उच्च स्तरीय न्यायिक जांच तो होनी ही चाहिए साथ ही दोषियों को कठोरतम सजा भी शीघ्रातिशीघ्र होनी चाहिए।

डॉ जैन ने आज एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि तिरुपति बालाजी मन्दिर का संचालन आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित बोर्ड करता है। वहां केवल महाप्रसाद निर्माण के मामले में ही हिंदू आस्थाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया गया अपितु, हिंदुओं के द्वारा अत्यंत श्रद्धा भाव से अर्पित की गई देव राशि (चढ़ावा) के सरकारी अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा दुरुपयोग के भी कष्टकारी समाचार मिलते रहते हैं। कई बार तो हिंदुओं के धर्म पर आघात कर हिंदुओं का धर्मांतरण करने वाली संस्थाओं को इस पवित्र राशि से अनुदान देने के समाचार भी मिलते रहे हैं। इस प्रकार के समाचार तमिलनाडू, केरल व कर्नाटक से भी मिल रहे हैं।
कुछ दिन पूर्व ही समाचार आया था कि राजस्थान की गत कांग्रेस सरकार ने जयपुर के प्रसिद्ध श्री गोविंद देव जी मन्दिर से 9 करोड़ 82 लाख रुपए ईदगाह को दिए थे। ये राज्य सरकारें मंदिरों की संपत्ति व आय का निरंतर दुरुपयोग करती रहती हैं तथा उनका उपयोग गैर हिंदू या यों कहें कि हिंदू विरोधी कार्यों में करती रही है।

विहिप नेता ने कहा कि हमारे देश में संविधान के सर्वोपरि होने की दुहाई तो बार-बार दी जाती है परंतु दुर्भाग्य से हिंदुओं की आस्थाओं के केंद्र मंदिरों पर विभिन्न सरकारें अपना नियंत्रण स्थापित कर हिंदुओं की भावनाओं के साथ सबसे घृणित धोखाधड़ी संविधान की आड़ में ही कर रही हैं। जो सरकारें संविधान की रक्षा के लिए निर्माण की जाती हैं वे ही संविधान की आत्मा की धज्जियां उड़ा रही है। अपने निहित स्वार्थ के कारण मंदिरों का अधिग्रहण कर वे संविधान की धारा 12, 25 व 26 का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही हैं। जबकि मा. न्यायपालिका ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि सरकारों को मंदिरों के संचालन और उनकी सम्पत्ति की व्यवस्था से अलग रहना चाहिए।

क्या स्वतंत्रता प्राप्ति के 77 वर्ष बाद भी हिंदुओं को अपने मंदिरों का संचालन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती? अल्पसंख्यकों को तो अपने धार्मिक संस्थान चलाने की अनुमति है परंतु हिंदू को यह संविधान सम्मत अधिकार क्यों नहीं दिया जा रहा? यह सर्व विदित है कि मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को लूटा और नष्ट किया था। अंग्रेजों ने चतुराई पूर्वक उन पर नियंत्रण स्थापित करके उन्हें निरंतर लूटने की प्रक्रिया स्थापित कर दी।

कैसा दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के 77 वर्ष बाद भी भारत की सरकारें इस औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त है और हिंदुओं के मंदिरों पर नियंत्रण स्थापित कर उन्हें लूट रही हैं। तमिलनाडू में 400 से अधिक मंदिरों पर कब्जा करके वहां की हिंदू विरोधी सरकार मनमानी लूट कर रही है और न्यायपालिका के कहने के बावजूद खुलेआम हिंदुओ की आस्था और सम्पत्ति पर डाका डाल रही है। वहां के कई बड़े मन्दिर विशाल चढ़ावे के बावजूद इतने घाटे में दिखाए जाते हैं कि उनकी पूजा सामग्री तक की उचित व्यवस्था नहीं हो पाती। केरल के कई मंदिरों में इफ्तार पार्टी दी जा सकती है लेकिन हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों के लिए भारी शुल्क देना पड़ता है।
डॉ जैन ने कहा कि तिरुपति बालाजी व अन्य स्थानों पर की जा रही अनियमितताओं के कारण अब हिंदू समाज का यह विश्वास और दृढ़ हो गया है कि अपने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराए बिना उनकी पवित्रता को पुनर्स्थापित नहीं किया जा सकता।

यह स्थापित मान्यता है कि हिंदू मंदिरों की संपत्ति व आय का उपयोग मंदिरों के विकास व हिंदुओं के धार्मिक कार्यों के लिए ही होना चाहिए। “हिंदू आस्था की सम्पत्ति हिंदू कार्यों के लिए।” यह सर्वमान्य सिद्धांत है। वास्तविकता यह है कि हिंदू मंदिरों की आय व संपत्ति की खुली लूट अधिकारियों व राजनेताओं के द्वारा तो की ही जाती है कई बार उनके चहेते हिंदू विरोधियों द्वारा भी की जाती है।

विश्व हिंदू परिषद सभी सरकारों से आग्रह करती है कि उनके द्वारा अवैधानिक और अनैतिक कब्जों में लिए गए सभी मंदिरों को अविलंब मुक्त करके हिंदू संतो व भक्तों को एक निश्चित व्यवस्था के अन्तर्गत सौंप दें। इस व्यवस्था का प्रारूप पूज्य संतों ने कई वर्षों के चिंतन मनन व चर्चा के बाद निर्धारित किया है। इस प्रारूप का सफलतापूर्वक उपयोग कई जगह किया जा रहा है।

हमें विश्वास है कि परस्पर विमर्श से ही हमारे मंदिर हमको वापस मिल जाएंगे और हमें व्यापक आंदोलन के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा।
उन्होंने घोषणा की कि अभी हम सभी राज्यों के राज्यपालों के माध्यम से सरकारों को धरने प्रदर्शन करके ज्ञापन देंगे। यदि ये सरकारें हिंदू मंदिरों को समाज को वापस नहीं करेंगी तो हम व्यापक आन्दोलन करने को विवश होंगे। हम मंदिरों का “सरकारीकरण नहीं समाजीकरण” चाहते हैं, तभी हिंदुओ की आस्था का सम्मान होगा।

विनोद बंसल
(राष्ट्रीय प्रवक्ता)
विश्व हिन्दू परिषद

पश्चिम रेलवे ने 10 कर्मचारी महाप्रबंधक संरक्षा पुरस्कार से सम्मानित

मुंबई। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री अशोक कुमार मिश्र ने पश्चिम रेलवे के 10 कर्मचारियों को सुरक्षित ट्रेन परिचालन में उत्कृष्ट कार्य निष्‍पादन के लिए प्रधान कार्यालय, चर्चगेट में सम्मानित किया। इन कर्मचारियों को अगस्‍त, 2024 के दौरान ड्यूटी में उनकी सतर्कता तथा अप्रिय घटनाओं को रोकने में उनके योगदान और इसके परिणामस्‍वरूप सुरक्षित ट्रेन परिचालन सुनिश्चित करने के लिए सम्मानित किया गया। इन 10 कर्मचारियों में अहमदाबाद मंडल से 04, मुंबई सेंट्रल एवं भावनगर मंडल प्रत्येक से 02 जबकि वडोदरा एवं रतलाम मंडल प्रत्येक से 01 शामिल हैं।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार श्री मिश्र ने सम्मानित किए गए कर्मचारियों की सतर्कता की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे सभी कर्मचारियों के लिए अनुकरणीय आदर्श हैं। सम्मानित किए गए कर्मचारियों ने संरक्षा के विभिन्न क्षेत्रों जैसे रेल एवं ट्रैक फ्रैक्चर का पता लगाना, अप्रिय घटनाओं को रोकने के लिए आपातकालीन ब्रेक लगाना, मानव जीवन को बचाना, कोचों में पाए जाने वाले धुएं को बुझाना, ब्रेक बाइंडिंग, लटकती वस्तुओं का पता लगाना आदि जैसे संरक्षा से संबंधित कार्यों को करते हुए ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन सुनिश्चित करने में उत्साह और प्रतिबद्धता दिखाई।

पश्चिम रेलवे को इन सभी पुरस्कृत कर्मचारियों पर गर्व है जिन्होंने अपनी त्वरित कार्रवाई और सतर्कता से किसी भी अप्रिय घटना की संभावना को रोकने में मदद की।

  (फोटो कैप्शन: पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री अशोक कुमार मिश्र, अपर महाप्रबंधक एवं विभिन्‍न विभागों के प्रमुख विभागाध्‍यक्ष महाप्रबंधक संरक्षा पुरस्कार विजेताओं के साथ दिखाई दे रहे हैं।)

बहुत प्यार करते हैं शब्दःजैसे बादलों की ओट से झांकता इंद्रधनुष

कोटा की साहित्यकार डॉ.कृष्णा कुमारी हाल ही में अपनी काव्य संग्रह कृति ” बहुत प्यार करते हैं शब्द ” भेंट की। हरे रंग में आवरण पृष्ठ एक दृष्टि में मन को छू गया। कृति के शीर्षक से अनुभूति हुई कि यह प्रेम आधारित कविताओं का संग्रह है। शीर्षक के अनुरूप अनेक कविताओं से प्रेम धारा प्रस्फुटित होती है। लगता है शब्द स्वयं महक कर प्रेम का संदेश दे रहे हैं। प्रेम की परिभाषा गढ़ते शब्दों की बीच समसामयिक संदर्भ प्रकृति, पर्यावरण, महिलाओं और बदलाव अनेक विषय सृजन का केंद्र बिंदु  हैं। कुछ कविताएं गुलाब, चमेली, गेंदा के फूलों जैसे छोटी हैं जब की कुछ कविताएं रजनीगंधा के फूलों की डाली जैसी लंबी हैं। कुछ फूलों की माला में कई रंगबिरंगे फूलों से गुथी हुई कविताएं सीरीज में लिखी गई हैं। इंद्रधनुषी रचनाओं में प्रेम की अनुभूति का अहसास कराती हैं गीत की ये पंक्तियां……
इन अधरों पर जब तुम ने धर अधर दिए
लगा सुरा के मैंने सौ – सौ  चषक पिए ।
बाहों में भर लिया तुमने बदन मेरा
सुध – बुध खो कर हमने अगणित सपन जिए ।
श्वसित – गंध से प्राण वाटिका महक उठी
निशा मध्य जेसे निशि – गंधा लहक उठी ।
प्रेम – पाश में ऐसे अंतस पुलक उठा
जैसे चंदन वन में मैना चहक उठी ।
इंतजार में प्रेम और विरह की पीड़ा को अत्यंत भावपूर्ण रूप से अभिव्यक्त किया है ” तुमको आना था, न आए” कविता में………..
रात भर पथ में तुम्हारे
दीप नयनों के जलाए
तुमको आना था, न आए
वेदना सह कर विरह की पड गया है, व्योम काला
याद के असफुट सितारे किन्तु रह – रह झिलमिलाए
तुमको आना था, न आए
चाँद भी सोने चला अब भोर की  रक्तिम गुहा में
आस की मद्धम – सी लौ पर ओस सी पड़ती ही जाए
तुमको आना था, न आए
प्रेम भावों को अभिव्यक्त करती कविताओं के बीच ” सरहदें ” सवाल करती हैं कहां से आई इस पृथ्वी पर सरहदें……..…
बारूद के ढेर
सेनाओं का अंबार
लगे हुए हैं
मासूम सी धरती पर
क्योंकि
उस पर सरहदें हैं, सरहदें हैं
इस लिए नफरतें हैं, नफरतें हैं
इस लिए दहश्तें है
दहशतें हैं…..इसलिए…!
कोई तो बताये
चांद सी/ गोल मटोल/पृथ्वी पर
ये सरहदें
आई कहाँ से???
प्रकृति प्रेम और पर्यावरण को लेकर लिखी कविता ” पेड़ और तस्वीरें ” कटाक्ष करती हैं उन लोगों की मनोवृति पर जो दिखावे के लिए पेड़ लगा कर तस्वीरें खिंचवाते हैं, फिर भूल जाते हैं उनकी देखभाल करना और रोपित पौधे पशुओं का ग्रास बन जाते हैं ,रह जाती हैं तस्वीरें…………
तमाम चैनलों पर
दिखाई जा रही थी
गुणगान किया जा रहा था
तस्वीरें खिंचवाने वालों के
प्रकृति प्रेम का
संरक्षित हो चुकी थी तस्वीरें
हमेशा हमेशा के लिए
जो रखेंगी संरक्षित सदियों तक
उनके प्रकृति प्रेम को
उनका ये पेड़ प्रेम बन चुका है
एक इतिहास
और वो हो गए अमर
पेड़ का क्या…?….?….?
पनपे न पनपे !!!
” शब्द – चोर ” ऐसी कविता है जिसके माध्यम से  पुलिस व्यवस्था पर करारा व्यंग्य नज़र आता है। एक पुस्तैनी संदूक  में शब्दों को कविता में आबद्ध कर सुरक्षित रखा जाता है और कुछ समय पश्चात देखने पर ज्ञात होता है वे तो चोरी हो गए। पड़ोसियों पर नज़र रखी, ज्योतिषों के चक्कर लगाते, पुलिस में रिपोर्ट कराई ,कोई सुराग नहीं मिला तो बात आई गई हो गई। अकस्मात ही एक दिन समाचार पत्र में देखा लिखा था ” शहर में शब्द चोरों का गिरोह सक्रिय ” । विदेशी हाथ तो है ही इसमें , बड़े खतरनाक लोग है ये। शब्दों के माध्यम से हमें अपना ही आइना दिखाती पृष्ट भूमि पर लिखी कविता की पंच लाइनें देखिए……..
मैंने पूछा
एक सजग नागरिक से
आखिर पुलिस कहां है
क्या घोड़े बेच कर सो गई?
बड़ी मासूमियत से जवाब मिला कि
उसकी मिली भगत और शह से ही तो
शब्द – चोरों के  हैं हौंसले बुलंद
माना की विदेशों का हाथ
यहां है
लेकिन हमारा हाथ कहां है
किसी को पता नहीं
संग्रह की कविता ” एक और महिला दिवस”
नारी अत्याचार पर सटीक अभिव्यक्ति है । जोर शोर से महिला दिवस मनाया, मीडिया ने भी बहती गंगा में मल मल कर हाथ धोए। चंद चर्चित नारियों को हाइलाइट कर समाचार पत्रों ने भी पृष्ट भर कर वाही वाही बटोरी । उन महिलाओं का क्या जिनके लिए 8 मार्च काली लकीरें हैं ? इन्हीं भावनाओं के साथ महिला अपराध, अपहरण, बलात्कार, दहेज की आग में जलती नारी, छेड़छाड़, घरेलू हिंसा पर लिखते हुए कविता के अंत में लिखी पंक्तियां महिला दिवस की पोल खोलती दिखाई देती हैं………….
लेकिन ( निर्ममता की सारी हदें पार कर )
धारदार कैंची से
वात्सल्य – रस में / सरोबार
असंख्य मासूम/ मादा – भ्रूणों के
छोटे …..छोटे…….छोटे
टुकड़े करते / खूनी हाथ
बना देते हैं / जिसकी कोख को
कतलगाह …….!
वह
बेचारी औरत ???
संग्रह में संकलित 56 कविता और गीतों का इंद्रधनुषी गुलदस्ता नाना प्रकार के पुष्पों से सुगंधित है। संग्रह की कविताएं प्रेम पत्र, जीने दो पर्वतों को, चांदनी रात में डल झील पर सेर,सृजन के द्वार, तुम सागर हो, बहुत दिनों बाद, प्यार तुम्हें कितना करती हूं, प्रीत बड़ी दुखदाई, पेड़ और चिड़िया, मत करियों प्रित, अरे ओ फागुन , विवशता तथा खुशी इन चिड़ियों का नाम बड़ी ही भावपूर्ण हैं, जो दिल की गहराइयों तक उतारवजाति हैं। कविता रूपी इन काव्य पुष्पों की महक को पढ़ने वाला ही महसूस कर सकता है। डॉ.कृष्णा जी को भावपूर्ण काव्य सृजन के लिए कोटि – बधाई और भावी सृजन के लिए शुभकामनाएं।
लेखिका : डॉ. कृष्णा कुमारी
प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर
मूल्य : 150 ₹
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
समीक्षक : डॉ. प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवम् पत्रकार, कोटा

उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में आयोजित हुआ हिन्दी कवितापाठ

भुवनेश्वर। 22 सितंबर को सायंकाल स्थानीय उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय में मुख्य संरक्षक सुभाष चन्द्र भुरा की अध्यक्षता में हिन्दी पखवाड़े के अवसर पर हिन्दी कवितापाठ आयोजित हुआ जिसमें सम्मानित अतिथि के रुप में डॉ एस के तमोतिया ने योगदान दिया।

एक तरफ इस पुस्तकालय के मुख्य संरक्षक सुभाष चन्द्र भुरा ने जहां भुवनेश्वर जनपद के बड़े बुजुर्गों के सम्मान एवं मनोरंजन के लिए इस पुस्तकाल को 2025 में खोला वहीं वे अपने पैतृक गांव नोखा में इस वर्ष कुछ दिन पूर्व उस गांव की महिला खिलाड़ियों तथा पुरुष खिलाड़ियों की खेल प्रतिभा को विकसित करने के लिए उस गांव को अगले पांच साल के लिए गोद ले लिया है। उनके अनुसार वे उस गांव के खिलाड़ियों को  राष्ट्रीय खिलाड़ी के रुप में तैयार करेंगे जिसके लिए वे  लाखों रुपये का अनुदान अपनी ओर से दे रहे हैं।
सुभाष चन्द्र भुरा ने अपने वक्तव्य में यह स्पष्ट किया कि वे किस प्रकार के अपने पैतृक गांव नोखा को राष्ट्रीय खेल प्रशिक्षण का केन्द्र बनाने जा रहे हैं। अवसर पर अनेक ओड़िया-हिन्दी कवियों ने अपनी-अपनी कविताओं का सस्वरपाठ किया। कार्यक्रम का संचालन कवि किशन खण्डेलवाल ने किया।

बजट में घोषित की गई प्राकृतिक खेती को लागू करने के संदर्भ में प्रधान मंत्री को पत्र

आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी,
माननीय प्रधानमंत्री,
भारत सरकार
महोदय,

विषय: बजट में घोषित की गई प्राकृतिक खेती को लागू करने के संदर्भ में

माननीय केन्द्रीय वित्त मंत्री का बजट 2024-25 में देश के एक करोड किसानों को प्राकृतिक खेती से जोडने की घोषणा निश्चय ही सराहनीय कदम है। प्राकृतिक खेती से किसानों की कृषि लागत काफी कम हो जायेगी, जिससे आर्थिक व सामाजिक स्तर में बदलाव आयेगा। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक खेती स्वास्थ्य व पर्यावरण की दृष्टि से भी लाभकारी सिद्ध होगी।

नीति आयोग के तत्कालीन सचिव श्री यदुवेन्द्र माथुर ने मुझे निर्देशित किया कि वे प्राकृतिक खेती के जनक एव पद्म श्री सुभाष पालेकर द्वारा ईजाद की गए पद्धति का प्रशिक्षण शिबिर आयोजित कर लगभग 6 किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिलाये। उसके निर्देश पर भरतपुर में डा० सुभाष पालेकर पद्धति का 6 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित कराया । जिसमें 19 प्रदेशों व 3 देशों (भारत, नेपाल, एव मेक्सिको) के 6500 किसानों ने भाग लिया। उस समय में लुपिन फाउण्डेशन में कार्यकारी निदेशक के पद पर कार्यरत था।

प्रशिक्षण के बाद लगभग 900 किसानों ने सुभाष पालेकर मॉडल पर आधारित खेती करना प्रारंभ किया। जिसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुये। इस खेती के उत्पाद बाजार में न केवल लोकप्रिय बन गये बल्कि उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त उत्पाद प्राप्त होने लगें !

मान्यवर, बजट में सरकार ने एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है। प्राकृतिक खेती के सम्बंध में यह स्पष्ट करना होगा कि वे कौन सी प्राकृतिक खेती की अपनायें क्योंकि देश में कई प्राकृतिक खेती की पद्धतियां प्रचलित हैं। डॉ० सुभाष पालेकर पद्धति को अपनाकर किसानों को अनुकरणीय लाभ प्राप्त हुये है ऐसी स्थिति डॉ० पालेकर की पद्दति को ही प्राकृतिक खेती को पद्धति मानकर इसे लागू किया जाये।

यहां मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ कि कृषि विभाग के कुछ आधिकारियों ने श्रीलंका का हवाला देकर खाद्य संकट उत्पन्न को जो आंशका व्यक्त ही है। यह निराधार है।

अतः आपसे विनम्र आग्रह है कि एक देश के एक करोड़ किसानों को डॉ० सुभाष पालेकर पद्दति पर खेती कराने के लिए निर्देशित करे एवं शेष 11.5 करोड़ किसानों को परम्परागत खेती करने की अनुमति दें ताकि दोनो पद्धतियों की लाभ-हानि का पता चल सके।

हमें आशा ही नहीं अपितु विश्वास है कि इस सम्बन्ध में शीघ्र आदेश जारी कर अनुग्रहित करे।

सीताराम गुप्ता निदेशक
समृध्द भारत अभियान
New Delhi : Kamla Devi Bhawan, 5,

Deen Dayal Upadhyay Marg, 

New Delhi – 110002

 Rajasthan 560, Rajendra Nagar, Bharatpur – 321 001 (Raj.)

उपवास में खाया जाने वाला राजगिरा अंतरिक्ष यात्रियों का भोजन बना

3 अक्टूबर, 1985 को अपनी पहली यात्रा करने वाले स्पेस शटल अटलांटिस में रामदाना भेजा गया था। चालक दल के सदस्यों ने अंतरिक्ष में राजगिरा को अंकुरित करने का एक्सपेरिमेंट किया और नासा के शेफ ने मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के खाने के लिए रामदाना की कुकीज़ तैयार की थी।
हालांकि जो रामदाना अंतरिक्ष की सैर कर चुका है उसके बारे में पृथ्वी पर कम ही लोग जानते होंगे।

आमतौर पर रामदाना (Ramdana) को राजगिरा भी कहा जाता है। इसका सेवन अक्सर पूजा के समय उपवास करने पर किया जाता है। व्रत में राजगिरी के आटे (rajgiri ka Atta) का परांठा या हलवा बनाकर खाया जाता है। नवरात्री के समय रामदाने का लड्डू (rajgira ladoo) भी बनाकर खाया जाता है। रामदाना पौष्टिकारक होने के कारण इसके अनगिनत फायदे हैं, इसलिए उपवास के समय ज्यादातर इसका सेवन किया जाता है। राजगिरा चौलाई के दानों से बनाया जाता है, इसलिए कहीं-कहीं इसको चौलाई का बीज भी कहा जाता है। रामदाना को अनाज नहीं माना जाता है इसलिए व्रत के दौरान खाया जाता है।

अब तो भूले-बिसरे ही याद आता है हमें रामदाना. उपवास के लिए लोग इसके लड्डू और पट्टी खोजते हैं. पहले इसकी खेती का भी खूब प्रचलन था. मंडुवे यानी कोदों के खेतों के बीच-बीच में चटख लाल, सिंदूरी और भूरे रंग के चपटे, मोटे गुच्छे जैसे दिखने वाली फसल चुआ (चौलाई) होती थी जिसके पके हुए बीज रामदाना कहलाते हैं. जब पौधे छोटे होते थे तो वे चौलाई के रूप में हरी सब्जी के काम आते थे. तब पहाड़ों में मंडुवे की फसल के साथ चौलाई उगाने का आम रिवाज था. यह तो शहर आकर पता लगा कि रामदाना के लड्डू और मीठी पट्टी बनती है. पहाड़ में रामदाना के बीजों को भून कर उनकी खीर या दलिया बनाया जाता था. एक बार, नाश्ते में रामदाने की मुलायम और स्वादिष्ट रोटी खाई थी. रोटी का वह स्वाद अब भी याद है. अब तो पहाड़ में भी खेतों में दूर-दूर तक चौलाई के रंगीन गुच्छे नहीं दिखाई देते हैं.
इतिहास टटोला तो पता लगा, चौलाई के गुच्छे तो हजारों वर्ष पहले दक्षिणी अमेरिका के एज़टेक और मय सभ्यताओं के खेतों में लहराते थे. रामदाना उनके मुख्य भोजन का हिस्सा था और इसकी खेती वहां बहुत लोकप्रिय थी. जब सोलहवीं सदी में स्पेनी सेनाओं ने वहां आक्रमण किया, तब चौलाई की फसल चारों ओर लहलहा रही थी. वहां के निवासी चौलाई को पवित्र फसल मानते थे और उनके अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में रामदाना काम आता था. विभिन्न उत्सवों, संस्कारों और पूजा में रामदाने का प्रयोग किया जाता था. स्पेनी सेनापति हरनांडो कार्टेज को चौलाई की फसल के लिए उन लोगों का यह प्यार रास नहीं आया और उसने इसकी खड़ी फसल के लहलहाते खेतों में आग लगवा दी. चौलाई की फसल को बुरी तरह रौंद दिया गया और उसकी खेती पर पाबंदी लगा दी गई. इतना ही नहीं, हुक्म दे दिया गया कि जो चौलाई की खेती करेगा उसे मृत्युदंड दिया जाएगा. इस कारण चौलाई की खेती खत्म हो गई.
चौलाई का जन्मस्थान पेरू माना जाता है. स्पेनी सेनाओं ने एज़टेक और मय सभ्यताओं के खेतों में चौलाई की फसल भले ही उजाड़ दी, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों में इसकी खेती की जाती रही. दुनिया भर में इसकी 60 से अघिक प्रजातियां उगाई जाती हैं.
पहाड़ों में चौलाई सब्जी और बीज दोनों के काम आती है लेकिन मैदानों में इसका प्रयोग हरी सब्जी के लिए किया जाता है. इसकी ‘अमेरेंथस गैंगेटिकस’ प्रजाति की पत्तियां लाल होती हैं और लाल साग या लाल चौलाई के रूप में काम आती हैं. ‘अमेरेंथस पेनिकुलेटस’ हरी चौलाई कहलाती है. ‘अमेरेंथस काडेटस’ प्रजाति की चौलाई को रामदाने के लिए उगाया जाता है. हालांकि, मैदानों में यह हरी सब्जी के रूप में काम आती है. चौलाई के एक ही पौधे से कम से कम एक किलोग्राम तक बीज मिल जाते हैं. इस फसल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे कम वर्षा वाले और रूखे-सूखे इलाकों में भी बखूबी उगाया जा सकता है. इस भूली-बिसरी फसल के बारे में हम यह भूल गए हैं कि यह एक पौष्टिक आहार है. कई विद्वान तो इसे गाय के दूध और अंडे के बराबर पौष्टिक बताते हैं.
राजगिरा (चौलाई) के फायदे
राजगिरा के स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हैं, जिसकी जानकारी हम यहां विस्तार दे रहे हैं।
1. ग्लूटन फ्री (Gluten-Free)
राजगिरा को ग्लूटेन फ्री डाइट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्लूटेन प्राकृतिक रूप से गेहूं, राई और जौ में पाया जाता है (2)। कुछ मामलों में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। वैज्ञानिक रिपोर्ट की मानें, तो ग्लूटेन का सेवन सीलिएक रोग (Celiac disease) के जोखिम को बढ़ा सकता है (3)। यह छोटी आंत की बीमारी होती है। वहीं, राजगिरा ग्लूटेन से मुक्त होता है, जो आपको इस बीमारी से बचाए रखने का काम कर सकता है।
2. प्रोटीन का उच्च स्रोत
प्रोटीन के लिए लोग न जाने कितने खाद्य पदार्थों का सहारा लेते हैं। इस मामले में राजगिरा अहम भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। दरअसल, शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करने और नई कोशिकाओं को बनाने के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है (5)। विशेषज्ञों के द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, राजगिरा को प्रोटीन के बेहतरीन विकल्प के रूप में शामिल किया जा सकता है ।
3. सूजन रोकने में मददगार
शरीर में सूजन की समस्या से लड़ने में भी राजगिरा के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक अध्ययन में इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण के बारे में पता चला है, जो सूजन की समस्या को दूर करने का काम कर सकता है (7)।
4. हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए
हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए आप राजगिरा को प्रयोग में ला सकते हैं। दरअसल, राजगिरा में कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है और यह तो आप जानते ही होंगे कि हड्डियों के निर्माण से लेकर उनके विकास के लिए कैल्शियम कितना जरूरी है (😎, (9)।
5. हृदय स्वास्थ्य के लिए
राजगिरा में हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने के भी गुण पाए जाते हैं। दरअसल, हृदय जोखिम का एक कारण रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ना भी है। रक्त में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक सहित कई हृदय रोग का कारण बन सकता है (10)। यहां राजगिरा अहम भूमिका अदा कर सकता है, क्योंकि यह ब्लड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर सकता है (11)।
एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, राजगिरा का तेल कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स (रक्त में फैट), एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा को कम कर सकता है
6. डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए
राजगिरा का सेवन डायबिटीज से बचे रहने के लिए भी किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन में पता चला है कि राजगिरा और राजगिरा के तेल का सप्लीमेंट एंटीऑक्सीडेंट थेरेपी के रूप में काम कर सकता है, जो हाइपरग्लाइसीमिया (हाई ब्लड शुगर) को ठीक करने और मधुमेह के जोखिम को रोकने में फायदेमंद साबित हो सकता है (13)।
एक अन्य वैज्ञानिक अध्ययन में यह देखा गया है कि पर्याप्त इंसुलिन की मात्रा के बिना खून में मौजूद अतिरिक्त ग्लूकोज टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है (14)। वहीं, राजगिरा और राजगिरा के तेल का मिश्रण सीरम इंसुलिन की पर्याप्त मात्रा बढ़ा सकता है ।
7. कैंसर के जोखिम को कम करने में
कैंसर के जोखिम से बचने के लिए भी राजगिरा का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है। राजगिरा में उपयोगी एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और कैंसर से होने वाले खतरे को भी कम कर सकता है।
इसके अलावा, राजगिरा में विटामिन-ई पाया जाता है (8)। विटामिन-ई एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। यह फ्री-रेडिकल्स से कोशिकाओं को बचाता है और साथ ही कई प्रकार के कैंसर के खतरे को भी रोकने में सक्रिय भूमिका निभा सकता है ।
8. लाइसिन (एमिनो एसिड) का उच्च स्रोत
लाइसिन एक प्रकार का एमिनो एसिड है और शरीर में प्रोटीन की पूर्ति के लिए एमिनो एसिड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां राजगिरा के फायदे देखे जा सकते हैं, क्योंकि इसमें लाइसिन की भरपूर मात्रा पाई जाती है।
9. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी चौलाई के फायदे देखे जा सकते हैं। राजगिरा में जिंक की मात्रा पाई जाती है, जो इम्यून सिस्टम को बढ़ाने का काम कर सकता है (19)। इसके अलावा, राजगिरा में विटामिन-ए की मात्रा भी पाई जाती है और विटामिन-ए इम्यूनिटी को बूस्ट कर सकता है ।
10. पाचन शक्ति को बढ़ाने में
स्वस्थ जीवन के लिए पाचन क्रिया का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। यहां चौलाई के फायदे देखे जा सकते हैं, क्योंकि यह फाइबर से समृद्ध होता है (8)। फाइबर एक जरूरी पोषक तत्व है, जो पाचन क्रिया में सुधार के साथ-साथ कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है ।
11. वजन को नियंत्रित करने में
चौलाई के फायदे वजन नियंत्रित करने के लिए भी देखे जा सकते हैं। यहां पर एक बार फिर चौलाई में मौजूद फाइबर का जिक्र होगा (8)। फाइबर पाचन क्रिया को मजबूत करने के साथ-साथ वजन को नियंत्रित करने का काम कर सकता है। दरअसल, फाइबर युक्त भोजन का सेवन देर तक पेट को भरा रखता है, जिससे अतिरिक्त खाने की आदत को नियंत्रित किया जा सकता है ।
12. अच्छी दृष्टि के लिए
आंखों की दृष्टि को ठीक रखने के लिए चौलाई का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। राजगिरा में विटामिन-ए पाया जाता है (8)। विटामिन-ए आंखों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होता है (22)। इसकी पूर्ति के जरिए बढ़ती उम्र के साथ होने वाली दृष्टि संबंधित समस्याओं को भी कम किया जा सकता है (23)।
13. गर्भावस्था के लिए लाभदायक
गर्भावस्था में मां को पोषण युक्त आहार की जरूरत होती है और चौलाई को गर्भावस्था में बेहतरीन पोषण के रूप में शामिल किया जा सकता है। यह गर्भावस्था में कब्ज की समस्या से बचने के लिए फाइबर, एनीमिया के खतरे को दूर रखने के लिए आयरन और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम की पूर्ति का काम कर सकता है (24) (8)।
इसके अलावा, गर्भावस्था में जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं, उनके लिए विटामिन-सी की पर्याप्त मात्रा जरूरी होती है, जो राजगिरा के जरिए पूरी की जा सकती है हालांकि, इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। साथ ही स्टाइलक्रेज आपको धूम्रपान न करने की सलाह देता है।
14. बालों और त्वचा के लिए लाभदायक
बालों और त्वचा के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी राजगिरा का सेवन किया जा सकता है। बालों को स्वस्थ बनाने के लिए हम राजगिरा का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इसमें मौजूद जिंक बालों के लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, जिंक का सेवन करने से सिर में होने वाली खुजली कम हो सकती है और बालों का झड़ना रुक सकता है ।
त्वचा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी राजगिरा लाभकारी परिणाम दे सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन-सी त्वचा के लिए उपयोगी माना जाता है। विटामिन-सी एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो त्वचा को यूवी विकिरण से होने वाले नुकसान से बचा सकता है। इसके अतिरिक्त विटामिन-सी मुंहासों को दूर करने और त्वचा में कोलेजन को बढ़ाने में मदद कर सकता है ।
15. एनीमिया से लड़ने में
राजगिरा के फायदों में एनीमिया से बचाव करना भी शामिल है। एनीमिया एक ऐसी चिकित्सकीय स्थिति है, जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण उत्पन्न होती है। यहां राजगिरा के लाभ देखे जा सकते हैं, क्योंकि यह आयरन से समद्ध होता है। आयरन एक जरूरी पोषक तत्व है, जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने का काम करता है (😎, (28)।
राजगिरा के फायदे जानने के बाद आइए अब लेख के अगले भाग में जानते हैं कि राजगिरा में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व होते हैं।

रामदाना, अमरंथ या राजगिरा के बीज को कहते हैं. रामदाना के बारे में कुछ खास बातेंः

रामदाना को दुनिया का सबसे पुराना खाद्यान्न माना जाता है.
रामदाना को चौलाई भी कहा जाता है.
रामदाना को अंग्रेज़ी में किंगसीड या अमरंथ कहते हैं.
रामदाना को शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है.
रामदाना में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में होता है.
रामदाना में मौजूद फ़ाइबर, पेट की समस्याओं में फ़ायदेमंद है.
रामदाना का सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है.
रामदाना का सेवन करने से हृदय और डायबिटीज़ के रोगियों को भी फ़ायदा होता है.
रामदाना का सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में राहत मिलती है.
रामदाना का सेवन करने से पाचन तंत्र बेहतर रहता है.
रामदाना का सेवन करने से कब्ज़, गैस, अपच, ब्लोटिंग, और एसिडिटी की समस्या नहीं होती.
रामदाना को नवरात्र के दौरान व्रत के रूप में खाया जाता है.
रामदाना की खेती अगस्त के महीने में की जाती

इसकी खेती खरीफ एवं रबी दोनों सीजन में की जाती है। भारत में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बंगाल एवं हिमाचल प्रदेश इत्यादि में माइनर फसल के रूप में उगाते है।
अच्छी उपज के लिए गर्म एवं नम जलवायु की आवश्यकता होती है, उन सभी स्थानों पर जहाँ वर्षा कम होती है वहाँ पर इसकी खेती की जा सकती है।

प्रदेश में रोजगार बढ़ने के लिए अधिक से अधिक निवेश लाने के प्रयास

कोटा/भीलवाड़ा/ उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने कहा कि राजस्थान सरकार राजस्थान में अधिकाधिक निवेश लाने का प्रयास कर रही है। राज्य के मुख्यमंत्री, उद्योग मंत्री विदेश यात्रा द्वारा हम उद्योगों का पर्याप्त सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है जिससे राजस्थान में रोजगार का ज्यादा से ज्यादा सृजन हो सके। उप मुख्यमंत्री शनिवार को भीलवाड़ा में लघु उद्योग भारती के राजस्थान प्रदेश सम्मेलन 2024 में मुख्य अथिति पद से संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि सरकार भीलवाड़ा के उद्योगों की समस्याओं का समाधान करने के लिए तत्पर है।
उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह राठौड़ ने 2026 में लघु उद्योग भारती के कॉलोब्रेशन में राजस्थान सरकार के स्टोन मार्ट की घोषणा की। राठौड़ ने  उद्योगों के हित में 21 नई पॉलिसी लाने, 60 पॉलिसी में सुधार करने, निजी उद्योग पार्क की अनुमति देने की जानकारी भी दी। सम्मेलन को वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने कहा की खेतों में काला पानी छोड़ कर खेत खराब करने वाले उद्योगों पर कार्यवाही की जायेगी। उद्योग राज्य मंत्री के के विश्नोई, लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा और राजस्थान मंत्री प्रकाश चंद्र ने भी संबोधित किया।
लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष शांति लाल बालर ने सोलर के 200 फीसदी के नोटिफिएशन, सोलर पर बैंकिंग चार्ज लिमिट बढ़ाने की, विद्युत बिल में अलग अलग चार्ज हटाकर एक रेट करने,मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के पुराने भुगतान करवाने, फायर सेस 15 मीटर तक हटाने, लैंड बैंक बनाने, माइनिंग टीपी हटाने जैसे मुद्दे उठाए।
सम्मेलन प्रभारी रविंद्र जाजू ने स्वागत भाषण में कहा कि भीलवाड़ा मिनरल, खनिज संपदा में अति समृद्ध है। आवश्कता सरकारी नीति एवम सहयोग की है।भीलवाड़ा में टेक्सटाइल पार्क की घोषणा एवं जमीन आवंटन किया हुआ है जिसमें क्रियान्वयन हेतु बिजली दर में कमी, अनलिमिटेड सोलर,स्पेशल औद्योगिक जोन एवम सम्पूर्ण कार्ययोजना प्रस्तुत की जानी चाहिए जिससे टेक्सटाइल पार्क धरातल पर आ सके।
स्कूल ड्रेस की जारी निविदा में कंपोजिट यूनिट, सो करोड़ के सरकारी आपूर्ति के अनुभव तथा बिड वैल्यू का 50 प्रतिशत टर्नओवर की शर्त हटाने की मांग की। ग्रोथ सेंटर में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट एवम ईएसआई हॉस्पिटल तथा अंडरब्रिज की मांग की। जिला उद्योग केन्द्र के आवंटित भूमि पर स्थानांतरण, उत्पाद परिवर्तन, किराए देने, सब डिवीजन आदि पर रिको के नियम लागू करने की मांग की। उन्होंने बताया कि आज में प्रदेश भर के 160 औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिसमें शुरुआती सत्र में उद्योगों की विभिन्न समस्याओं उनके समाधान पर विस्तार से चर्चा हुई तथा संगठन को और अधिक व्यापक बनाने का कार्य योजना पर विचार हुआ।
सम्मेलन में पूर्व सांसद सुभाष बहेडिया,विधायक अशोक कोठारी, महापौर राकेश पाठक,आरसीएम समूह के तिलोक चंद्र छाबड़ा, ओस्तवाल समूह के पंकज ओसवाल, राजकुमार मेलाना, संजीव चिरानिया, महेश हुरकट, गिरीश अग्रवाल,सुरेश कोगटा, कमलेश जैन,रामप्रकाश काबरा,अजय मुंदड़ा, बालकृष्ण काबरा, हरगोविंद सोनी, सत्यप्रकाश गगगड़, रामरतन जागेटिया,रामकिशोर काबरा, के के जिंदल,ओमप्रकाश मूंदड़ा, अमित जालान, पुनीत सोनी, अजय अग्रवाल, सुनील मेहता, अभिषेक जैन, अभिषेक शर्मा, रवि कालरा आदि मौजूद रहे। महिला इकाई ने आयोजन व्यवस्थाओं में सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम का संचालन पल्लवी लड्ढा एवम सुमित जागेटिया ने संयुक्त रूप से किया।

पवन कल्याण ने कहा हिंदुओं के लिए सनातन बोर्ड का गठन किया जाए

आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और अभिनेता पवन कल्याण ने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में पाई गयी मिलावट को लेकर नाराजगी जतायी है। पवन कल्याण ने इस घटना को धार्मिक भावनाओं का अपमान बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि पूरे देश में मंदिरों से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन धर्म रक्षा बोर्ड’ का गठन किया जाए।

इस बीच पत्रकार और एंकर आनंद नरसिम्हन ने भी इस मामले पर अपनी राय दी है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल से एक पोस्ट करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सनातन की रक्षा करने के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि लोग एकजुट भी हो। उन्होंने लिखा, जब तक सनातनी विभाजित है तब तक सनातन रक्षा संभव नहीं है।

हमारे मंदिरों और किलों के दरवाजे हमेशा आक्रमणकारियों के घुसने के लिए भीतर से खुले रहे हैं। जैसा कि एक मठाधीश ने हाल ही में कहा था ‘बटेंगे तो कटेंगे’। यह हिंदू समाज के भीतर विभाजन, अहंकार, भ्रष्टाचार और अवसरवाद है जिसने हिंदू जीवन शैली को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है।

हिंदुत्व के अस्तित्व के लिए हिंदू समाज को पहले एक होना पड़ेगा। एक और एक ग्यारह। अन्यथा हिंदू समाज विभाजनकारी ताकतों के आगे झुकता रहेगा। धर्मो रक्षति रक्षितः।
पवन कल्याण ने इस मुद्दे पर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि जो भी लोग इस मामले में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा और उनकी गरिमा को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने का भी आश्वासन दिया।

पत्रकारिता के लिए डॉ.सिंघल का सम्मान

कोटा/ पत्रकारिता सेवाओं के लिए लेखक और पत्रकार डॉ. प्रभात कुमार सिंघल का रविवार को कोटा ग्रेटर प्रेस क्लब द्वारा उम्मीद क्लब में आयोजित समारोह में सम्मान किया गया। क्लब के अध्यक्ष सुनील माथुर, महासचिव अनिल भारद्वाज, उपाध्यक्ष हरिमोहन शर्मा, संयुक्त सचिव चन्द्र प्रकाश चंदू ने डॉ. सिंघल की 45 वर्षीय पत्रकारिता सेवा के लिए शाल ओढ़ा कर, साफा पहना कर और माल्यार्पण कर सम्मान किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार भंवर सिंह सोलंकी, राम स्वरूप जोशी और कमल सिंह गहलोत को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर इस अवसर पर संरक्षक पवन आहुजा, धीरज गुप्ता तेज, कय्यूम अली, के एल जैन, श्याम रोहिडा, सुबोध जैन,  कार्यकारिणी सदस्य, दिनेश कश्यप, भंवर एस चारण, हिमांशु मित्तल, मनीष गौतम, लेखराज शर्मा, संजय वर्मा, शाकिर अली सहित कई वरिष्ठ एवं युवा पत्रकार उपस्थित थे।
 क्लब के सदस्य के. एल.जैन ने बताया कि डॉ. सिंघल पत्रकारों में लोकप्रिय रहे हैं और सभी को साथ लेकर चले हैं।  आपने इतिहास विषय में एम.ए., राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर, पत्रकारिता एवं जन संचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा तथा खुला विश्व विद्यालय कोटा से (राजपुताने में पुलिस प्रशासन 1857-1947) पीएच.डी.की उपाधि प्राप्त की। राजस्थान सरकार के सूचना एवम् जनसंपर्क विभाग से अक्टूबर 2013 में संयुक निदेशक पद से सेवा निवृत हुए हैं । लेखन और पत्रकारिता में सक्रिय हैं। इतिहास, पुरातत्व, काला – संस्कृति, पर्यटन और साहित्य पर आपकी 51 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। आपकी पर्यटन पर 10 पुस्तकें वीएसआरडी एकेडमिक पब्लिशन हाउस, मुंबई के प्लेटफार्म से 160 देशों में उपलब्ध कराई है हैं। राजस्थान, गुजरात, गुरुग्राम की कई संस्थाओं द्वारा आपको ग्लोबल, राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
 डॉ. सिंघल ने प्रेस क्लब के सभी पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर पिछले एक वर्ष की क्लब की गैतिविधियों और लेखे का विवरण एवम् भावी योजनाओं की जानकारी भी दी गई।