Saturday, June 29, 2024
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अम्बाला छावनी का २२ वां वार्षिकोत्सव

२४ से २७ अक्टूबर तक आर्यसमाज रामनगर अम्बाला छावनी का २२ वां वार्षिकोत्सव सामवेद पारायण यज्ञ (आंशिक) के माध्यम से मनाया गया | यज्ञ के ब्रह्मा होशंगाबाद मध्य प्रदेश के आचार्य आनंद पुरुषार्थी जी थे जिन्होंने प्रतिदिन मन्त्रों की मार्मिक व्याख्या के माध्यम से वैदिक सिद्धांतों को स्पष्ट किया | वेदपाठी के रूप में सुयोग्य डॉ नरेश बत्रा जी (प्रधान आर्यसमाज )एवं सुश्री प्रियंका आर्या जी थे | जो दोनों ही गुरुकुलों के स्नातक व सनातन धर्म डिग्री कालेज में संस्कृत के प्राध्यापक है |आप दोनों ही ने उच्चारण की शुद्धता का तो ध्यान रखा ही और जनता जनार्दन को आपके उपदेशामृत के पान करने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ |

भजनोदेशक श्री संदीप वैदिक मुजफ्फरनगर ने सारगर्भित व्याख्या व मधुर भजनों से सभी का मन मोह लिया | प्रातः ६:३० से ९;३० व सायंकाल ४ से ७ तक यज्ञ भजन प्रवचन होते थे | पुरुषार्थी जी के आग्रह पर  बाहर की संस्थाओ में प्रोग्राम सनातन धर्म इंटर कालेज एवं सेंट्रल जेल में उपदेश रखे गए |जिनका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला |लगभग २५ आर्यसमाजी साथ गए थे | इस जेल में १३०० कैदी है जिनमे ७० महिलाएं भी है |एक महिला ऐसी भी है जिनकी दया याचिका राष्ट्रपतिजी ने ख़ारिज कर दी है | उसने पति के साथ मिलकर अपने  विधायक पिता ,सगे भाई भाभी सहित ९ व्यक्तियों का कत्लेआम किया है | पुरुषार्थी जी ने कैदियों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए |आर्यों को कैदियों की बैरक भोजनालय पुस्तकालय आदि देखने का अवसर प्राप्त हुआ |सत्यार्थ प्रकाश भेंट की गई |आचार्य जी ने कैदियों से अपने बेटे बेटियों को गुरुकुलों में देने पर उनकी निशुल्क व्यवस्था का आश्वासन दिया |

 अंतिम दिन पूर्णाहुति पर स्थानीय आर्यसमाजों से भी आर्य परिवार आये थे | स्कूल के बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे गए थे | आर्य स्त्री समाज का योगदान न होता तो यह कार्यक्रम सफल होना कठिन था |मंत्री ने आर्यसमाज में एक कमरा बनाने हेतु ४० सीमेंट की बोरियों का आवाहन किया श्रद्धालुओं ने तुरंत  घोषणा करके उसकी पूर्ति कर दी | ऋषि लंगर में सभी ने प्रेम से भोजन किया |

संपर्क
कृष्ण कुमार
मंत्री आर्यसमाज
२९  रामनगर
अम्बाला छावनी हरयाणा 

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कृष थ्री [हिंदी विज्ञान कथा]

दो टूक : कहते हैं बुराई चाहे जितनी ताकतवर हो उसका अंतिम संस्कार अच्छाई ही करती है . बस इतनी से बात कहती है.

निर्देशक राकेश रोशन की ऋतिक रोशन , प्रियंका चोपड़ा , विवेक ओबरॉय , कंगना राणावत , आरिफ जकारिया , शौर्य चौहान , मोहनीश बहल , राजपाल यादव ,रेखा और  नसीरुद्दीन शाह के अभिनय  फ़िल्म वाली कृष थ्री .

कहानी  : फ़िल्म की कहानी वहीँ से शुरू होती हैं जहाँ पहली फ़िल्म की कहानी ख़तम होती है . पिता रोहित [ऋतिक रोशन ] पर होने वाले  डॉक्टर आर्य [नसीर उद्दीनशाह ]  के जुल्म के बाद कृष (रितिक रोशन) अब भारत का सुपरहीरो बन चूका है। अपने पिता और पत्नी प्रिया (प्रियंका चोपड़ा) के साथ वह खुश है। लेकिन कृष की दुनिया तब बदलती है  जब काल [विवेक ओबरॉय ] नाम का एक वैज्ञानिक उसके रास्ते में आ जाता है . दुनिया के दूसरे छोर पर रहें वाला अपंग काल जीनियस है लेकिन उस के इरादे दुनिया में तबाही मचाने के है। इसके लिए पहले  वह खतरनाक बीमारियों के वायरस फैलाता है और फिर उनका एंटीडोट बेचकर पैसा कमाता है। उसके इस काम को अंजाम देने में काया (कंगना रनोट) उसकी मदद करती है जो गिरगट की तरह अपना भेष बदल लेती है। हालात तब मुश्किल होते हैं जब कृष काल का रास्ता रोककर उसे उसके इरादों में नाकाम कर देता है और बदले में काल उसके पिता रोहित और पत्नी प्रिया को अपने कब्जे में लेकर दुनिया को तबाह करने पर उतर आता है . इसके बाद शुरू होती है कृष की  दुनिया , प्रिया और रोहित को बचाने कि जंग की शुरुआत.

गीत संगीत : फ़िल्म में राजेश रोशन का संगीत और समीर के गीत हैं लेकिन फ़िल्म में इस बार ऐसा कोई भी गीत नहीं जो कानों को सुकून दें। हाँ एक गीत है जो मुझे बहुत पसंद आया और वो है दिल तू ही तो बता' जैसे बोलों वाला गीत . उसका फिल्मांकन भी अद्भुत रंगों और लोकेशंस वाला है . जबकि इसके साथ  रघुपति राघव राजा राम  बस सुना जा सकता है .

अभिनय :  ऋतिक रोशन को अगर हम अपने  पिता का हीरो माने तो बुरा नहीं लगाना चाहिए .सुपरहीरो की भूमिका के लिए रितिक रोशन से बेहतरीन विकल्प उनके पास नहीं है . यही नहीं ..इस पात्र के चरित्र को भी ऋतिक सलीके से अभिनीत करते हैं और उसके लिए भावुक भरी डिलीवरी देने के साथ ही एक सुपर एक्शन हीरो को भी वो अद्भुत तरीके से परदे पर उतारते  हैं . रोहित और कृष के की भूमिकाओं का अवयव तत्व , उसकी शारीरिक भाषा और संवादों के उम्र और पात्र के अंतर्मन को भी  . विवेक ओबेरॉय को पहली बार इतनी ग़हरी और गम्भीर खलनायकी करते हुए देखा . सुपर हीरो को सुपर खलनायक की ताकर देना आसान नहीं था पर प्रियंका चोपड़ा के पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था। उनसे बेहतर रोल कंगना के पास था और उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया। एक विशेष कास्ट्यूम के लिए उन्होंने अपने फिगर पर खासी मेहनत की जो नजर आती है ।काल भूमिका में उन्होंने मेहनत तो की है बात .औरउनके साथ कंगना ने भी .

हालांकि कंगना को कुछ और विस्तार दिया जा सकता था . पर फिर प्रियाका के लिए जगह कम हो जाती है और वैसे भी उनके लिए करने को बहुत कुछ नहीं था जबकि कंगना उनके और खुद के पात्र के लिए भी आधार बनी रही . राजपाल यादव और राखी विजन की  कोई जरुरत नहीं थी . मोहनीश बहाल,रेखा और नसीर बस कुछ दृश्यों कें दिखाई देते है और आरिफ जकारीय को बहुत जल्दी मार दिया  गया . हाँ नाजिए शेख और समीर अली खान जरुर याद रहते हैं.

निर्देशन : फिल्म की कहानी राकेश रोशन ने लिखी है और  पटकथा  हनी ईरानी, रॉबिन भट्ट, आकाश खुराना और इरफान कमल ने लिखी  है। कहानी में कुछ भी नया नहीं है लेकिन एनीमेशन, स्पेशल इफेक्टस , साउंड्स और कैमरे के कमाल को राकेश ने बहुत मेहनत के साथ परदे पर रखा  है . अपने नयाक को भी और खलनायक को भी . उनका सुपरहीरो अपने  बेहद क्रूर और विध्वंसकारी खलनायक को मात देता है तो लोग ताली बजाते हैं लेकिन फ़िल्म में विज्ञान सम्बन्धी शब्दों और भाषा का बेहद गूढ़ इस्तेमाल उसका चार्म कम कर देता है . फ़िल्म में एक्शन , रोमांस और रिश्तों की कहानी को बुना गया है .कोई और फ़िल्म .माने ..जब सुपर मैन , स्पाइडर मैन , टर्मिनेटर जैसी फ़िल्में देख चुके हों तो कृष ३ उतना प्रभाव नहीं छोड़ती ..ये अलग बात है कि फ़िल्म के क्लामीमेक्स में वही सब कुछ है जो किसी उत्रकृष्ठ फिल्मांकन , एक्शन  , संपादन और कैमरावर्क वली फ़िल्म में होता है.

फ़िल्म क्यों देखें : उत्कृष्ठ तकनिकी शैली वाली फ़िल्म हैं .

फ़िल्म क्यों ना देखें : अगर इसकी तुलना पिछली  वाली फ़िल्म से कर रहे हों .

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मूवी नाउ का दिवाली धमाका ब्लॉक बस्टर फिल्मों के साथ !

हॉलीवुड की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्में दिवाली डे स्पेशल-बूम बूम ब्लास्ट में पूरे दिन दिखाई जाएंगी

मुंबई। दिवाली के दिन, मूवीज नॉऊ 3 नवंबर, 2013 को पूरा दिन एक्शन से भरपूर हॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर फिल्मों का शानदार अनुभव मिलेगा। मूवीज नॉऊ ने दिवाली डे स्पेशल-बूम बूम ब्लास्ट में पूरा दिन 11 बजे से ये सुपरहिट फिल्में दिखाने का प्रबंध किया है।

इन फिल्मों में कुंग फू से लेकर भविश्कालीन फिल्में तक शामिल हैं और मूवीज नॉऊ सभी प्रकार के फिल्म दर्शाएगा और बूम बूम ब्लास्ट से हॉलीवुड प्रषंसकों को कभी ना भूलने वाला अनुभव दिलाएगा! इसलिए इस धमाकेदार दिन को मनाने के लिए तैयार रहिए!

 

हम सभी ने जैकी चैन की फुर्ती और तेज मूवमेंट्स को देखा है पर अब हम उन्हें जेडेन स्मिथ को भी वहीं षिक्षा देते हुए देखेंगे, जिस कला के लिए वे जाने जाते हैं। देखिए कैसे जेडेन स्कूल में अपनी खिंचाई करने वालों का कैसे मुकाबला करता है और अपने आप को मजबूत बनाता है। अब देखना होगा कि क्या इस पर लगाया गया दांव सही बैठेगा और वह चीन में सबसे मुश्किल कुंग फू चैम्पियनशिप का खिताब जीत पाएगा? इसलिए कराटे किड ना चूकें जो कि एक मार्शल आर्ट ब्लॉकबस्टर है जिसने पूरी दुनिया में 358 मिलियन डॉलर की कमाई की है।

 

अगर आपको भविष्यकालीन फिल्में भाती हैं तो एक्स-मैन लास्ट स्टैंड और राइज ऑफ द प्लेनेट ऑफ एप्स आपके लिए पूरी तरह से बना हैं। देखिए उन म्यूटेंट्स को सबसे बड़ी लड़ाई में आमने सामने होते है जब मानव उनके लिए एक स्थायी समाधान ढूंढ़ लेता है एक्स-मैन लास्ट स्टैंड में। इस सीजन में ये एकमात्र संघर्ष नहीं है जिसे आप देख पाएंगे। देखिए मानवजाति को वानरजाति से संघर्ष करते हुए! ये आंदोलन एक ऐसी चीज से जन्मा है जिसें मस्तिष्क की मरम्मत अपने आप करने के लिए डिजाइन किया गया था। देखिए राइज अॉफ द प्लेनेट अॉफ द एप्स! जे उसी आविष्कार का परिणाम है। इन दो प्रजातियों के अपने अस्तित्व को बचाने में कौन सफल रहेगा? इन दोनों सुपरहिट ब्लॉकबस्टर्स को देखिए और अपने सवालों के उत्तर पाएं।

हार्ड कोर एक्शन से आगे बढ़ते हुए अन्नोन आपको रोमांचित करने के लिए तैयार है। उस समय आपके साथ क्या होगा जब आप कोमा से जागे और आपको पता चले कि आपकी पहचान ही चोरी कर ली गई है?देखिए लियम नीसन को एक बेहद सनसनीखेज सस्पेंस ड्रामा-अन्नोन में।

 

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लक्ष्मीजी की आरती

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ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत हर-विष्णु-धाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता ।
जोकोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता ।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
(आरती करके शीतलीकरण हेतु जल छोड़ें एवं स्वयं आरती लें, पूजा में सम्मिलित सभी लोगों को आरती दें फिर हाथ धो लें।).

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राष्ट्र चेतना के कीर्ति पुरुष – आचार्य तुलसी

आचार्य तुलसी जनशताब्दी शुभारंभ ( 5 नवम्बर, 2013) के अवसर पर विशेष

 

भारतीय संस्कृति अध्यात्म प्रधान संस्कृति है। भारत की मिट्टी के कण-कण में महापुरुषों के उपदेश की प्रतिध्वनियाँ हैं। चाणक्य, आर्यभट्ट, विवेकानन्द, दयानन्द सरस्वती, महात्मा गाँधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर के भारत का इतिहास विश्व में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। स्वर्णिम इतिहास की इसी पवित्र श्रृंखला में एक नाम है- अहिंसा के अग्रदूत, मानवता के मसीहा, अणुव्रत अनुशास्ता, आचार्य तुलसी का।

 

आप भारतीय-दर्शन एवं अध्यात्म के प्रतिनिधि संतपुरुश एवं  साकार विश्व चेतना का साकार स्वरूप थे, जिनकी वाणी में तेज, हृदय में जिज्ञासाओं का महासागर विद्यमान था। उनकी सत् साहित्य सादृश्य जीवनशैली में संजीवनी-सा प्रभाव था। आचार्य तुलसी के मानसिक वैचारिक गुणों के अमृत घट से भारत ही नहीं, अपितु संसार ने भी पाया ही पाया है। उन्होंने देश व दुनियां के दिग्भ्रमित लोगों को नवजीवन, नई सोच, नई दिशा दी। सचमुच तेजस्वी जीवन के धनी गौरवशाली ज्ञान गरिमा के प्रेरक युगपुरुष थे, आचार्य तुलसी। उन्होंने भारत की रग-रग में नैतिक मूल्यों की प्रतिश्ठा की, अहिंसा-षांति व राष्ट्र-चेतना का संचार किया। समाज सुधारक, राष्ट्र चेतना के उन्नायक अध्येता-ज्ञाता-कीर्ति पुरुष आचार्य तुलसी के व्यक्तित्व व ज्ञान आभा से देश ही नहीं सारा संसार आलोकित हुआ था। आचार्यजी की जन्म “ाताब्दी का शुभारंभ एक बार फिर से आचार्य तुलसी जीवन शैली व उपदेशों को जीवंत करने एवं उनसे प्रेरणा लेने का अवसर हैं।

 

आचार्य तुलसी राष्ट्रसंत थे। देश की महान धरोहर थे। राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के पक्षधर थे। उनका प्रकाण्ड पांडित्य उन्हें स्वामी विवेकानंद और डॉ. राधाकृष्णन के समान स्तर पर प्रतिष्ठित करता है। उनका स्वयं का परिचय उन्हीं के शब्दों में इस विराटता के साथ मुखर हुआ कि मैं सबसे पहले मनुष्य हूँ फिर जैन हूँ, फिर तेरापंथ का आचार्य हूँ।

आचार्य तुलसी का जन्म बीसवीं शताब्दी में सन् 1914, अक्टूबर 20 को हुआ। मात्र ग्यारह वर्ष की अल्पावस्था में वे तेरापंथ के अष्टम आचार्य कालूगणी के पास दीक्षित हुए, अर्थात जैन मुनि बने। 11 वर्षों तक मेधावी छात्र के रूप में अध्ययन कर गुरु कालूगणी द्वारा 22 वर्षों की उभरती जवानी में आचार्य पद को प्राप्त हुए।

प्रथम स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 1947) पर आपने ‘असली आजादी अपनाओ’ का शंखनाद किया। 1949 मार्च 2, में उन्होंने 34 वर्ष की आयु में अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। हरितक्रांति, सत्याग्रह, भूदान की तरह अणुव्रत आंदोलन में लोकतंत्र की उज्ज्वल कल्पना निहित है। अणुव्रत दर्शन व्यक्ति को नैतिक बनाने की आचार संहिता है। आचार्य तुलसी के अणुव्रत की आवाज राष्ट्रपति भवन से लेकर गरीब की झोपड़ी तक गूँजी। इस नैतिक क्रांति को निरंतर प्रज्ज्वलित रखने के लिए आपने पूरे देश में कन्याकुमारी से कोलकाता तक लगभग एक लाख किमी की पदयात्राएँ की। उनका व्यक्तित्व पुरुषार्थ की परम पर्याय था। वे सृजनशील चेतना के धनी थे। पद और सम्मान की आसक्ति से ऊपर उठ उन्होंने 18 फरवरी 1994 को अपने आचार्य पद का विसर्जन कर विश्व के इतिहास में एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया, जो वर्तमान युग के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।

वे एक महान धर्मगुरु के साथ समाज सुधारक भी थे। गाँधी के बाद आचार्य तुलसी ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन से समूचे देश और दुनिया को प्रभावित किया। कहा जाता है कि लीक से हट के चलने वाला व्यक्ति प्रतिभाशाली होता है। समाज-सुधारक एवं  राष्ट्र चेतना के कीर्ति पुरुष आचार्य तुलसी ने राष्ट्रीय चेतना स्पंदित की और अंधविश्वासी, रूढ़िवादी समाज को नई दिशा दी। तुलसीजी ने अपने अध्यात्म ज्ञान व आत्मशक्ति से भारतवासियों में आत्मबल का संचार किया। विलक्षण व्यक्तित्व के धनी आचार्य तुलसी का नाम व काम भारत ही नहीं, अपितु संसार में भी अमर है और रहेगा।

आचार्य तुलसी का नाम इसलिये यादगार बना, क्योंकि वे निरन्तर गतिमान रहे और चरेवैति-चरेवैति उनके जीवन का आदर्ष था, यह आदर्ष इसलिये बना क्योंकि शोषण सेवा की ओट ले रहा था, हिंसा अहिंसा के वस्त्र पहन रही थी, अधर्म धर्म के मन्दिर में निवास कर रहा था और साम्प्रदायिकता उन्माद बन रही है।

इसलिए वे रूके नहीं और इसीलिए चलते रहे क्योंकि उन्हें वैमनस्य के सागर का गरल पीना था- शंकर बनकर। साम्प्रदायिकता के चण्डकोष को शांत करना था- महावीर बनकर। साम्प्रदायिकता के उन्माद में कोई ऐसा नहीं था , जो अंगुली उठाकर कह सके-”धर्म सम्प्रदाय से बड़ा है“ इसलिए वे निरन्तर मानवता के कल्याण के संकल्प को लेकर गतिमान रहे।

आजादी के बाद आचार्य तुलसी ने जब देखा कि जनमानस अशांति, असंतोष और विलासितापूर्ण जीवन की ओर बढ़ रहा है। इस कारण असली आजादी का आनंद कोसों दूर चला जा रहा है। तब उन्होंने सदाचार, सादगी नैतिकता एवं आजादी के मूल धेय को आत्मसात करवाने के लिए अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत की। यह आचार्य तुलसी का राश्ट्र को महान् अवदान है। कृष्णमृग अभयारण्य के रूप में विख्यात ताल छापर से स्फूटित अणुव्रत रूपी चिंतन ने सरदारशहर की धरा पर आंदोलन का स्वरूप प्राप्त कर व्यक्ति, क्षेत्र, काल विशेष की सीमा से परे सार्वभौम और सर्वग्राही पहचान बना ली है। क्योंकि इसके द्वारा आज की समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है एवं स्वस्थ समाज व देश की संरचना के लिए इसका होना आवश्यक प्रतीत हो रहा है।

आचार्य तुलसी ने न केवल अणुव्रत आंदोलन की शुरुआत की अपितु इसके माध्यम से नैतिकता व सदाचार की आवाज घर-घर पहुंचाई। उनका मानना था व्यक्ति से समाज बनता है और समाज से देश। यदि अच्छे समाज व देश का निर्माण करना है तो सर्वप्रथम व्यक्ति को अच्छा बनाना होगा। व्यक्ति के सुधरते ही समाज व देश अपने आप अच्छे बन जाएंगे। इसलिए उनके कथन के अनुसार ही अणुव्रत आंदोलन सबसे पहले व्यक्ति को स्वयं सुधारने को कहता है। समाज व राष्ट्र के जीवन को ऊंचा उठाना है तो पहले स्वयं को उठाने की चर्चा करता है।

आचार्य तुलसी अणुव्रत आन्दोलन के कार्यक्रमों को लेकर नंगे पांव गांव-गांव घूमते और लोगों को अच्छा बनने के लिए कहते। न कौशल का प्रदर्शन, न रणनीति का चक्रव्यूह। सब कुछ साफ-साफ। बुराई छोड़ो, नशा छोड़ो, मिलावट मत करो, भेदभाव मत रखो, धर्म सम्प्रदाय से बड़ा है, लोक जीवन में शुद्धता आये,  राष्ट्रीय चरित्र बने। अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी सुबह से शाम तक गांवों के लोगों से मिलते, प्रवचन करते हैं। एक-एक व्यक्ति को समझाते । लाखों-करोड़ों लोगों से सम्पर्क साधा और स्वस्थ समाज संयोजना, पर्यावरण और प्रदूषण निरोध, लोकतंत्र शुद्धि अभियान, व्यसन मुक्ति आन्दोलन, राष्ट्रीय एकता उद्बोधन, अहिंसा सार्वभौम, जीवन विज्ञान शिक्षा योजना जैसे सार्वभौम एवं सार्वकालिक उद्देष्यों से प्रेरित किया। ये सभी बिन्दु यही कहते कि मनुष्य के जीवन में नैतिकता आए। नैतिकता का अर्थ है मनुष्य के उत्कृष्टतर होते जाने की अभिलाषा। शिक्षा का लक्ष्य होता है चरित्र निर्माण और चरित्र निर्माण का अन्तिम लक्ष्य है सेवा और उत्थान। यही उत्कृष्टता की सीढ़ियां हैं।

आचार्य तुलसी कहते थे कि केवल अणुव्रत (संकल्पों) को स्वीकारने वाला ही अणुव्रती नहीं है। जिसने अणुव्रत को समझ लिया वह भी अणुव्रती है। अणुव्रत को समझने का अर्थ है यह समझना कि अच्छा क्या है, बुरा क्या है? और जिस दिन जो यह समझ लेता है, उसी दिन वह बुराई से दूर और अच्छाई के नजदीक होने की ओर प्रथम कदम बढ़ाता है।

उस समय मनुष्य का मानस वैज्ञानिक अवनति से, आचरण की अपरिपक्वता से, अनौचित्य  को साग्रह ग्रहण करने की प्रवृत्ति से विचलित था, वह युग साधारण मनुष्य का युग था। जिसमें विशिष्ट देवपुरुष नहीं साधारण मनुष्य ही युग धर्म की स्थापना कर सकता था और आचार्य तुलसी ने एक साधारण संतपुरुश बनकर ही असाधारण काम किया।

आचार्य तुलसी के समय में समूचा राष्ट्र पंजों के बल खड़ा नैतिकता की प्रतीक्षा कर रहा था, कब होगा वह सूर्योदय जिस दिन घर के दरवाजों पर ताले नहीं लगाने पड़ेंगे। महिलाएं अकेली भी सुरक्षित महसूस करेंगी। खाने को शुद्ध सामग्री मिलेगी। सामाजिक जीवन में विश्वास जगेगा। मूल्यों की राजनीति कहकर कीमत की राजनीति चलाने वाले राजनेता नकार दिये जायेंगे।

भारतीय जीवन से नैतिकता इतनी जल्दी भाग रही थी कि उसे थामकर रोक पाना किसी एक व्यक्ति के लिए सम्भव नहीं था। सामूहिक जागृति लानी थी। यह सबसे कठिन था पर यह सबसे आवश्यक भी था। और इसी आवष्यक असंभव लगने वाले काम को आचार्य तुलसी ने संभव कर दिखाया।

ईश्वर में आस्था परिश्रम का विकल्प नहीं हो सकता। नैतिक उत्थान की चाह, संकल्पों का विकल्प नहीं हो सकती। एक स्वस्थ समाज का स्वप्न जागरण का विकल्प नहीं होता। इसीलिये आचार्य श्री तुलसी कहते थे कि प्रभु तक पहुंचने के लिए प्रभु बनना होगा।

 

 

प्रेषकः

(ललित गर्ग)
ई-253, सरस्वती कुँज अपार्टमेंट
25 आईñ पीñ एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली-92
फोनः 22727486, 9811051133

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दीपक जलाने व आतिशबाजी का कारण

दीपावली के दिन आतिशबाजी (आकाशदीप, कंडील आदि) जलाने की प्रथा के पीछे संभवतः यह धारणा है कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरंभ होती है। कहीं वे मार्ग से भटक न जाएँ, इसलिए उनके लिए प्रकाश की व्यवस्था इस रूप में की जाती है। इस प्रथा का बंगाल में विशेष प्रचलन है।

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गौवंश को बचाने वाले मुस्लिम पत्रकार की जान गई

दुनिया के सामने पत्रकारिता के माध्यम से सच को उजागर करना एक पत्रकार के लिए आसान नहीं रह गया है, इस रास्ते में खतरा तो होता ही है, साथ में जान से हाथ धोने का जाने का भय भी बना रहता है। ऐसा ही एक वाक्या बुलंदशहर के खुर्जा में भी देखने को मिला।

प्राप्त जानकारी के अनुसार खुर्जा के मोहल्ला पंजाबियान का निवासी पत्रकार जकाउल्ला भी कुछ गो तस्करों की बलि चढ गया।   बताया जाता है कि पत्रकार जकाउल्ला हत्याकांड के पीछे उनके द्वारा किए गए खुर्जा में चल रहे गोकशी के गोरखधंधे के खुलासे के पर्दाफाश ने अहम भूमिका निभाई है।   अगर हम पुलिसिया खुलासे पर गौर करे तो उनके अनुसार जकाउल्ला की हत्या में गोकशी ही प्रमुख वजह बनी। इससे यह भी साफ हो गया है कि शहर में गोकशी का यह धंधा कितने बड़े पैमाने पर संगठित रूप से चल रहा है।   

गौरतलब है कि पत्रकार जकाउल्ला खां निवासी मोहल्ला पंजाबियान का 25 अगस्त को बोरे में बंद शव चोला चौकी क्षेत्र के जंगलों में बरामद हुआ। 27 अक्टूबर को पुलिस ने कोतवाली खुर्जा में खुलासा किया कि जकाउल्ला की हत्या नगर निवासी तीन लोगों ने मिलकर की थी।   पुलिस के अनुसार, जकाउल्ला को गोकशी के कारोबार के बारे बहुत सारे अहम सुराग प्राप्त कर लिए थे, इससे इस गोकशी के धंधें में लिप्त लोगों के लिए खतरा तो पैदा हो ही गया था, साथ ही उनका वर्चस्व भी दांव पर लगा था।इसलिए उन्होंने पत्रकार जकाउल्ला की हत्या कर दी गई।   

हांलाकि पुलिस अभी इस मामले में कोई ठोस सबूत जुटा नहीं पायी है, लेकिन पुलिस का दावा है कि उसके पास एक ऐसी चिट्ठी है, जिसमें जकाउल्ला के घर वालों को धमकी लिखकर भेजी गई है। उसमें लिखा गया है कि अगर मामले की पैरवी की तो ठीक नहीं होगा। हाथ से लिखी उस पाती को पुलिस ने अपना सबूत बनाया है।  

 इसके अलावा पुलिस उस युवक को गवाह बना रही है, जिसने आरोपी के घर के बाहर रात एक बजे आखिरी बार जकाउल्ला को देखा था। कोतवाली प्रभारी प्रमोद कुमार का कहना है कि आरोपियों ने उन्हें कार्रवाई न करने के लिए पेशकश की भी थी। इस केस में पुलिस गद्दों के राज को भी एक सबूत मानकर चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, आरोपियों ने दो नए गद्दे कुछ दिनों पहले खरीदे थे। हत्या के बाद दोनों गद्दे गायब हैं। एक गद्दे के खोल में ही जका का शव लपेटे जाने की दलील भी पुलिस दे रही है।   

साभार-दैनिक जागरण से

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रूप चौदस

दीपावली के एक दिन पूर्व आने वाली चतुर्दशी को रुप चौदस या रूप चतुर्दशी या  नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।  इसी दिन बजरंग बली हुनमान का जन्म दिवस भी माना गया है। इसे छोटी दीपावली भी कहते है। इस दिन रुप और सौंदर्य प्रदान करने वाले देवता श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है । इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और राक्षस बारासुर द्वारा बंदी बनाई गई सोलह हजार एक सौ कुआँरी कन्याओं को उससे मुक्ति दिलाई थी। नरकासुर के वध के कारण इसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

जिस प्रकार महिलाओं के लिए सुहाग पड़वा का स्नान माना जाता है, उसी प्रकार रूप चौदस पर पुरुषों के लिए शुद्घि स्नान माना गया है। वर्षभर ज्ञात, अज्ञात दोषों के निवारणार्थ इस दिन स्नान करने का महत्व शास्त्रों में है।

सूर्योदय के पहले स्नान रूप चौदस को नर्क चौदस भी कहा जाता है। माना जाता है कि सूर्योदय के पहले चंद्र दर्शन के समय में उबटन, सुगंधित तेल से स्नान करना चाहिए। सूर्योदय के बाद जो स्नान करता है, उसे नर्क समान यातना भोगनी पड़ती है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि ऋतु परिवर्तन के कारण त्वचा में आने वाले परिवर्तन से बचने के लिए भी विशेष तरीके से स्नान किया जाता है। माना जाता है कि ग्रीष्म और फिर वर्षा ऋतु के कारण त्वचा में जहाँ नमी बढ़ जाती है। वहीं इसके कारण त्वचा पर अन्य तत्वों की परत भी बन जाती है। इस स्थिति में शीत ऋतु के दौरान त्वचा फटने लगती है। रूप चौदस पर विशेष उबटन के जरिए और गर्मी और वर्षा ऋतु के दौरान बनी परत को हटाने के लिए रूप चौदस पर विशेष उबटन का स्नान उत्तम रहता है। इससे त्वचा फटती नहीं।.

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नमो ने ममो पर ली मीठी चुटकियाँ

गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के पीएम पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने आज इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला बोला।

नर्मदा में सरदार पटेल पर आधारित 'स्टैच्यू ऑप यूनिटी' का शिलान्यास करते हुए उन्होंने कहा, "दो दिन पहले मुझे प्रधानमंत्री से मिलने का मौ‌का मिला। उन्होंने बहुत अच्छी बात कही। मुझे गर्व है उनकी बात पर।"

मोदी ने कहा, "उन्होंने कहा कि सरदार सच्चे सेकुलर नेता हैं। हम भी कहते हैं कि देश को वही सेकुलरवाद चाहिए। हमें वही पटेल वाला सेकुलरवाद चाहिए, वोटबैंक वाला सेकुलरवाद नहीं।"

'पटेल को सीमाओं में बांधना अन्याय'
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, "पटेल सारे देश के हैं, किसी दल के नहीं। उन्हें दल की सीमाओं में बांधना खुद उनसे बड़ा अन्याय है।" दो दिन पहले एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वह उस राजनीतिक दल से जुड़े हैं, जो पटेल का रहा है।

मोदी ने कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा, "हमने गांधी स्मारक बनाया, तो किसी ने चैलेंज नहीं किया। सरदार की बात हुई, तो परेशानी क्यों हो रही है? यह गुजरात इफेक्ट है कि आज अखबार में सरकारी विज्ञापनों में पटेल दिख रहे हैं।

सदियों तक कायम रहेगी प्रतिमा
उन्होंने कहा, "मूर्ति बनाने का काम देश-विदेश के विशेषज्ञ करेंगे। वही तय करेंगे‌ कि उसमें क्या सामग्री लगनी है और तकनीक क्या होगी। लेकिन प्रतिमा ऐसी बनेगी कि सदियों तक कायम रहेगी। हम हिंदुस्तान के हर गांव से लोहा मांग रहे हैं। किसानों से पुराने औजार मांग रहे हैं।"

मोदी ने कहा कि सरदार सरोवर योजना का‌ शिलान्यास पंडितजी ने किया था। इस सरकार ने अपने कार्यकाल में पिछली तमाम सरकारों से दोगुना खर्च किया। लेकिन यह सपना सरदार पटेल ने देखा था। यह काम उनके सपने पूरे करने के लिए हो रहा है।

उन्होंने कहा कि लोग यह इलाका छोड़कर जाने लगे थे। यहां पानी नहीं था। लेकिन जब पता लगा कि पानी मिलेगा। गुजरात नहीं, राजस्‍थान के सभी लोग भी पानी देने पर धन्यवाद देते हैं।

गुलामी की छाया से बाहर निकलने की जरूरत
मोदी ने कहा, "हम गुलामी की छाया से निकल नहीं पाते। गुलामी की छाया से निकलने के लिए ऐसे काम करने होंगे, जिससे हम गर्व के साथ, आत्मसम्मान के साथ दुनिया के सामने खड़े हो सकें।"

मुख्यमंत्री ने कहा, "दुनिया हमें हीन भावना के साथ देखती थी। वाजपेयी शासन में परमाणु विस्फोट किया, तो दुनिया की निगाह हम पर गई। चीन के साथ भी ऐसा था। उसे कोई नहीं देखता था, लेकिन उसने शंघाई से धारणा बदली।"

मोदी ने कहा, "आज जरूरत है कि देश की ग्लोबल पोजिशनिंग की जाए। सवा सौ करोड़ का देश है हमारा। किसी ने देश को एक बनाने की सबसे ज्यादा कोशिश की, तो वह सरदार पटेल थे।

हर देशभक्त हमारे लिए प्रेरणा
उन्होंने सवाल किया, "हम राणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सम्मान करेंगे या नहीं? क्या वे सभी भाजपा के सदस्य थे? क्या सिर्फ उनका सम्मान होगा, जो भाजपा के सदस्य रहे? नहीं, ऐसा नहीं है। जो देश के लिए जिए-मरे, उससे बड़ा कुछ नहीं। दल से बड़ा देश होता है। ये सभी हमारे लिए प्रेरणा हैं, गौरव हैं।"

मोदी ने कहा, "विरासतें साझी होती हैं। अंबेडकर किसी दल के नहीं थे, लेकिन पूरा दलित-वंचित तबका उन्हें प्रेरणास्रोत के रूप में देखता है।"

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दीपावली और जुआ

दीपावली पर कहीं-कहीं जुआ भी खेला जाता है। इसका प्रधान लक्ष्य वर्षभर के भाग्य की परीक्षा करना है। इस प्रथा के साथ भगवान शंकर तथा पार्वती के जुआ खेलने के प्रसंग को भी जोड़ा जाता है, जिसमें भगवान शंकर पराजित हो गए थे।

हालाँकि यह एक दुर्गुण ही है किन्तु कुछ लोग भगवान शंकर और पार्वतीजी द्वारा द्यूत क्रीड़ा का खेला जाना शास्त्र सम्मत मान लेते हैं। उनकी दृष्टि में यह शास्त्रानुसार है। अफसोस है कि लोग शास्त्रों में बताए गए सद्कर्मों संबंधी निर्देशों का पालन नहीं करते और दुर्गुण को तुरंत अपना लेते हैं।

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