जम्मू। जम्मू कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के लिए काम करने वाले संगठन पानुन कश्मीर ने केंद्र सरकार से झेलम नदी के किनारे अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने की मांग की है। साथ ही संगठन ने घाटी से धारा 370 और धारा 35ए को भी जल्द से जल्द समाप्त करने की दरख्वास्त की है।
संगठन का कहना है कि 1990 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने जब कश्मीरी पंडितों की हत्या करनी शुरू की, बहन बेटियों को बेइज्जत किया जाने लगा तो लोगों ने इससे बचने के लिए कश्मीर छोड़ दिया था। इन आतंकियों का भी यही लक्ष्य था कि किसी तरह घाटी को सिर्फ एक खास कौम के लिए ही रखा जाए। इसमें कहीं न कहीं राजनेताओं ने भी गलतियां की जिसका खामियाजा कश्मीरी पंडितों को बेघर होकर चुकाना पड़ा।
गौरतलब है कि हुर्रियत के सभी गुटों की एक बैठक कुछ दिन पहले हुर्रियत मुख्यालय में हुई थी। इस बैठक में सिविल सोसाइटी, मुस्लिम समाज के अलावा कथित तौर पर कुछ कश्मीरी पंडित भी शामिल हुए थे। इसके बाद मीरवाइज उमर फारूक ने पंडितों की घर वापसी के लिए रोडमैप बनाने के लिए समिति बनाने का ऐलान किया था। बता दें कि, इस समिति में पंडितों को भी शामिल किया जाएगा। इस घोषणा के बाद कश्मीरी पंडितों और विशेषज्ञों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
पनुन कश्मीर के अध्यक्ष डॉ. अजय चुरंगु कहते हैं कि मस्जिदों से एलान होता था ‘कश्मीरी पंडितों भाग जाओ’। उस समय तो यह नारे भी लगते थे कि, ”कश्मीर बनेगा पाकिस्तान, लेकिन कश्मीरी पंडितों के बिना..।’ उन्हें कश्मीरी पंडित नहीं चाहिए, सिर्फ दुनिया को दिखाने के लिए ढोंग रचा जा रहा है। समिति में शामिल पंडितों की पृष्ठभूमि की जांच करें। यह वह लोग हैं जो पहले भी जेकेएलएफ व हुर्रियत नेताओं के साथ मंच पर नजर आ चुके हैं।